ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका: एएसआई सर्वेक्षण को कार्ट की मंजूरी

कार्ट का ये फैसला मुस्लिम पक्ष के लिए एक झटका है, क्योंकि यह एएसआई को परिसर के भीतर मौजूद ऐतिहासिक कलाकृतियों और संरचनाओं की जांच करने की अनुमति देता है।

Gyanvapi Controversy

लखनऊ | Gyanvapi Controversy : लंबे समय से चले आ रहे ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार को एक और महत्वपूर्ण फैसला आया है।

आज वाराणसी कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) (ASI Survey) को पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Gyanvapi Mosque Complex) का सर्वेक्षण करने की मंजूरी दे दी है। 

कार्ट का ये फैसला मुस्लिम पक्ष के लिए एक झटका है, क्योंकि यह एएसआई को परिसर के भीतर मौजूद ऐतिहासिक कलाकृतियों और संरचनाओं की जांच करने की अनुमति देता है।

हालांकि, सर्वेक्षण में विवादित हिस्से को शामिल नहीं किया जाएगा, विशेष रूप से कथित शिवलिंग वाला क्षेत्र, जो सबसे ज्यादा विवाद के केंद्र में रहा है।

ज्ञानवापी मामला दशकों से हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का विषय रहा है। 

जहां हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर के नीचे आदि विश्वेश्वर का 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग है। ऐसे में हिंदू पक्ष की मांग है कि उन्हें भगवान विश्वेश्वर की नियमित पूजा की अनुमति दी जाए। 

वहीं दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष इस स्थान पर अपना स्वामित्व बनाए रखना चाहता है और हिंदू पक्ष द्वारा किए गए दावों का खंडन करता रहा है।

सर्वे की रिपोर्ट 4 अगस्त को

एएसआई सर्वेक्षण से मस्जिद परिसर की उम्र और ऐतिहासिक महत्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है, जो परस्पर विरोधी दावों की प्रामाणिकता निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सर्वे की रिपोर्ट 4 अगस्त को जिला जज को सौंपी जायेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर रोक लगा दी थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर कथित शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन-डेटिंग की अनुमति दी गई थी। 

ज्ञानवापी मामले पर कई सालों से कानूनी लड़ाई चल रही है। इसे 1991 में वाराणसी कोर्ट में दायर किया गया था, लेकिन ये मामला तब और बढ़ा जब अगस्त 2021 में पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा करने की मांग की।

इस विवाद की जड़ें बेहद पुरानी हैं और आज़ादी से पहले की भी।  इस स्थल पर कई बार विवाद हुए थे, यहां तक कि 1809 में इस मामले पर सांप्रदायिक दंगा भी भड़क गया था।

अब जैसे-जैसे एएसआई अपना सर्वेक्षण शुरू कर रहा है, इस मामले को लेकर नई उम्मीदों के साथ तनाव भी बढ़ता जा रहा है। 

हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय उत्सुकता से सर्वेक्षण के निष्कर्षों का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद है कि लंबे समय से चला आ रहा ज्ञानवापी विवाद का समाधान जल्द होगा।