राजस्थान में बुद्ध पूर्णिमा के दिन: प्रदेश में वन्यजीव गणना 1000 से अधिक पानी पिने की जगह पर वनकर्मियो के साथ सहायक कर्मियों ने भी गणना करवाई

राजस्थान में अब तक की सबसे बड़ी वन्य जीव गणना का समापन हो गया है। प्रदेशभर के जंगलों में 1000 से ज्यादा वाटर पॉइंट्स पर मचान लगाकर वनकर्मी और वॉलिंटियर्स ने बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर वन्यजीवों की गणना की।

वन्यजीव गणना

जयपुर | राजस्थान में अब तक की सबसे बड़ी वन्य जीव गणना का आज समापन हो गया है। प्रदेशभर के जंगलों में 1000 से ज्यादा जल संग्रहण केंद्र पर मचान लगाकर वनकर्मी और वॉलिंटियर्स ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन पर वन्यजीवों की गणना की। इसके साथ ही लगभग 2000 से ज्यादा वाटर पॉइंट्स पर ट्रैप कैमरा की मदद से वन्यजीवों की गणना की गई है। इसका डेटा क्रॉस वैरिफिकेशन (पूर्ण पृष्ठि) और एनालिसिस के बाद जारी किया जाएगा।

राजस्थान के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक पवन उपाध्याय (pawan upadhyay) ने बताया- पिछले 24 घंटे वाटर होल पद्धति से चली इस वन्य जीव गणना से प्रदेश में मौजूद चीता (Tiger), तेंदुआ (Leopard), भालू (Bear), जरख, हिरण (deer), नीलगाय, सियागोश (कैराकल कैराकल), लोमड़ी, जंगली सुअर, जंगली बिल्ली, नेवला और सांभर (शाकम्भरी) समेत सभी छोटे बड़े वन्यजीवों और उनकी प्रजातियों की जानकारी हासिल की गई है। अब इसका ट्रैप कैमरे से ली गई तस्वीरों से मिलन होगा। इसके बाद विशेषज्ञों की देखरेख में फाइनल रिपोर्ट तैयार की जाएगी

वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होने की प्रबल संभावना

सूत्रों के अनुसार इस बार की वन्यजीव गणना में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आ सकते हैं। क्योंकि पिछले लंबे वक्त से घास स्थल समेत वन्यजीवों के संरक्षण के लिए कई तरह के प्रयास किए गए थे। इसकी वजह से वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होने की प्रबल संभावना है। इसके बाद भविष्य में वन्यजीवों से जुड़ी गतिविधियों का खाका (blueprint) तैयार किया जाएगा।

इस बार जयपुर के झालाना लेपर्ड रिजर्व में भी कुल 12 वाटर पॉइंट पर मचान बनाए गए थे। गलता रिजर्व क्षेत्र में 7 मचान, सूरजपोल में 4, झोटवाड़ा, गोनेर और मुहाना में 1-1 मचान बनाए गए थे, जहां बड़ी संख्या में महिला कर्मचारियों ने भी भी वन्य जीवों की गणना की।

जयपुर प्रादेशिक रेंज क्षेत्र में कुल 26 मचान (scaffolding) थे। इनमें 26 वनकर्मी और 26 स्वयंसेवक मचान पर रहे। इनमें 5 महिला वनकर्मी और 5 महिला स्वयंसेवक भी गणना में मचान पर मौजूद रहे। हालांकि अब मचान से मिले डेटा का ट्रैप कैमरे से मिली तस्वीरों से मिलान होगा। उसके बाद जयपुर वन विभाग के अधिकारी अंतिम रिपोर्ट प्रदेश स्तर पर भेजेंगे।

बता दें कि पिछले साल बारिश के चलते वाटर होल पद्धति से वन्य जीव गणना नहीं हो पाई थी। ऐसे में इस बार वन्यजीवों की गणना को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वाटर होल पद्धति से वन्य जीव गणना से ही वन्य जीवों की संख्या के वास्तविक आंकड़े मिल पाएंगे। जो जल्द दी वन विभाग द्वारा जारी किए जाएंगे।