बीकानेर शाही परिवार विवाद: बीकानेर की राज्यश्री कुमारी: कौन हैं, क्यों चर्चा में हैं?
बीकानेर (Bikaner) के 'शाही परिवार' की सदस्य राज्यश्री कुमारी (Rajyashree Kumari) इन दिनों संपत्ति विवाद के कारण चर्चा में हैं। उन्हें जूनागढ़ किले में प्रवेश से रोका गया था। वे पूर्व महाराजा करणी सिंह (Karni Singh) की बेटी और एक विख्यात निशानेबाज हैं, जिन्हें अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) से सम्मानित किया गया है। उनकी भतीजी सिद्धि कुमारी (Siddhi Kumari) के साथ संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है।
बीकानेर: बीकानेर (Bikaner) के 'शाही परिवार' की सदस्य राज्यश्री कुमारी (Rajyashree Kumari) इन दिनों संपत्ति विवाद के कारण चर्चा में हैं। उन्हें जूनागढ़ किले में प्रवेश से रोका गया था। वे पूर्व महाराजा करणी सिंह (Karni Singh) की बेटी और एक विख्यात निशानेबाज हैं, जिन्हें अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) से सम्मानित किया गया है। उनकी भतीजी सिद्धि कुमारी (Siddhi Kumari) के साथ संपत्ति को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है।
बीकानेर रियासत का भारत संघ में विलय
राजस्थान की बीकानेर रियासत स्वतंत्र भारत में सबसे पहले भारत संघ में विलय होने वाली रियासत थी।
तत्कालीन महाराजा सादुल सिंह ने 1947 में विलय पत्र पर सबसे पहले हस्ताक्षर किए थे।
उनके बाद ही अन्य रियासतों के शासक भारत का हिस्सा बने।
15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तब अलग-अलग रियासतों का एकीकरण किया गया था।
इस एकीकरण से ही भारत गणराज्य का निर्माण हुआ।
अगस्त 1947 में बीकानेर रियासत ऐसी पहली रियासत थी जिसके तत्कालीन महाराजा सादुल सिंह ने एकीकरण के विलय पत्र पर सबसे पहले हस्ताक्षर किए थे।
हालांकि सादुल सिंह बीकानेर के अंतिम महाराजा थे, लेकिन उनके पुत्र करणी सिंह को भी महाराज की उपाधि दी गई थी।
ऐसे में करणी सिंह को बीकानेर रियासत का अंतिम शासक माना जाता है।
कौन हैं राज्यश्री कुमारी?
बीकानेर के पूर्व राजपरिवार के शासक रहे करणी सिंह की बेटी राज्यश्री कुमारी हैं।
पूर्व राजपरिवार के शासक करणी सिंह की तीन संतानें हैं, जिनमें एक पुत्र और दो पुत्रियां शामिल हैं।
पुत्र का नाम नरेंद्र सिंह है, जबकि पुत्रियों के नाम राज्यश्री कुमारी और मधुलिका सिंह हैं।
राज्यश्री कुमारी का जन्म 4 जून 1953 को मुंबई में हुआ था।
प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने के कारण उनकी शिक्षा-दीक्षा बड़े स्तर पर हुई।
उन्होंने नई दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉन्वेंट से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी।
इसके बाद उन्होंने लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन, नई दिल्ली से उच्च शिक्षा ग्रहण की।
राज्यश्री कुमारी राजनीति से दूर रहती हैं, जबकि उनकी भतीजी सिद्धि कुमारी भाजपा से जुड़ी हुई हैं।
सिद्धि कुमारी बीकानेर पूर्व विधानसभा से भाजपा की वर्तमान विधायक हैं।
एक विख्यात निशानेबाज और अर्जुन पुरस्कार विजेता
लेखिका और समाजसेवी होने के साथ-साथ राज्यश्री कुमारी एक विख्यात निशानेबाज भी रही हैं।
उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व पांच ओलंपिक, पांच विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय क्ले पिजन शूटिंग चैंपियनशिप में किया।
वर्ष 1962 में काहिरा विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप में उन्होंने क्ले पिजन ट्रैप स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था।
यह उनकी अंतरराष्ट्रीय खेल यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था।
वर्ष 1969 में उन्हें निशानेबाजी के क्षेत्र में भारत का पहला प्रतिष्ठित पुरस्कार 'अर्जुन पुरस्कार' दिया गया था।
बचपन से खेलों के प्रति आकर्षण
राज्यश्री कुमारी को बचपन से ही खेलों के प्रति गहरा आकर्षण था।
कम उम्र में ही उन्होंने अपने पिता के साथ निशानेबाजी में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था।
वर्ष 1961 में सात साल की उम्र में उन्होंने जूनियर राष्ट्रीय एयर राइफल चैंपियनशिप में अपनी पहली निशानेबाजी प्रतियोगिता जीती।
इसके बाद उन्होंने 1967 में टोक्यो, जापान में एयर राइफल प्रतियोगिता में पहली एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में भाग लिया।
इस चैंपियनशिप में हिस्सा लेने वाली वे पहली महिला निशानेबाज थीं, जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।
वर्ष 1969 में सैन सेबेस्टियन, स्पेन में विश्व निशानेबाजी चैंपियनशिप में भाग लेकर उन्होंने विश्व में आठवां स्थान प्राप्त किया।
वर्ष 1971 में सियोल, दक्षिण कोरिया में दूसरी एशियाई निशानेबाजी चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर उन्होंने कांस्य पदक जीता।
उनकी खेल उपलब्धियों को देखते हुए 1969 में उन्हें भारत में स्पोर्ट्सपर्सन ऑफ द ईयर चुना गया।
संपत्ति विवाद की जड़ें
पूर्व महाराजा करणी सिंह के परिवार में इन दिनों संपत्ति विवाद चल रहा है, जिसकी वजह से यह परिवार एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है।
यह विवाद करणी सिंह की बेटी राज्यश्री कुमारी और करणी सिंह की पोती यानी नरेंद्र सिंह की पुत्री सिद्धि कुमारी के बीच है।
यह संपत्ति विवाद पिछले तीन साल पहले शुरू हुआ था।
तीन साल पहले करणी सिंह की पत्नी सुशीला कुमारी यानी राज्यश्री कुमारी की मां और सिद्धि कुमारी की दादी का निधन हो गया था।
उनके निधन के बाद ही संपत्ति का विवाद सामने आया।
सिद्धि कुमारी का दावा है कि उनकी दादी ने अपनी संपत्ति उनके नाम कर दी थी।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सिद्धि कुमारी ने अपनी संपत्ति 8.89 करोड़ रुपए बताई थी।
हालांकि, 2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने खुद को 102 करोड़ की संपत्ति का मालकिन बताया।
राज्यश्री कुमारी का कहना है कि उनकी मां की संपत्ति पर उनका भी अधिकार है।
जबकि सिद्धि कुमारी ने कोर्ट में वाद दायर करके दावा किया कि दादी ने अपनी वसीयत में पूरी संपत्ति उनके नाम कर दी थी।
राज्यश्री कुमारी ने इस वसीयत को सार्वजनिक करने की मांग की है।
उनका स्पष्ट कहना है कि उनकी मां की संपत्ति की हकदार सिद्धि कुमारी अकेली नहीं हो सकतीं।
यह मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।
राज्यश्री कुमारी का निजी जीवन
राज्यश्री कुमारी के एक पुत्री और एक पुत्र हैं।
पुत्र का नाम डॉ. सज्जन सिंह गोहिल है और पुत्री का नाम अनुपमा कुमारी है।
कुछ वर्षों पहले जब सिद्धि कुमारी की ओर से प्रॉपर्टी विवाद को लेकर राज्यश्री कुमारी के पति के नाम का जिक्र किया गया था, तब राज्यश्री कुमारी ने स्पष्ट किया था कि मयूरध्वज सिंह गोहिल से वर्ष 1996 में ही उनका तलाक हो चुका है।
उन्होंने कहा था कि अब वे किसी की पत्नी नहीं हैं।
यह विवाद बीकानेर के शाही परिवार के भीतर चल रहे गहरे मतभेदों को उजागर करता है।