भाजपा की सियासी चाल: सचिन पायलट की घेराबंदी में उतार दिए अपने दिग्गज मोहरे
भाजपा ने पायलट की घेराबंदी के लिए गुर्जर नेताओं को टोंक और उसके आसपास के क्षेत्रों में उतार दिया है। भाजपा ने टोंक के चार विधानसभा सीटों पर गुर्जर मतदाताओं को साधने की बड़ी कोशिश की है।
जयपुर | भारतीय जनता पार्टी इस बार राजस्थान विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट को हराने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
तभी तो सचिन पायलट को घेरने के लिए सियासी चाल चलते हुए तीन गुर्जर नेताओं को टोंक के सियासी रण में उतार दिया है।
भाजपा ने सोमवार को अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। जिसके बाद से टोंक विधानसभा सीट फिर से सुर्खियों में छा गई है।
दरअसल, इस सीट से प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) विधायक हैं। ऐसे में भाजपा इस सीट पर पायलट की किलेबंदी करना चाह रही है।
भाजपा ने पायलट की घेराबंदी के लिए गुर्जर नेताओं को टोंक और उसके आसपास के क्षेत्रों में उतार दिया है। भाजपा ने टोंक के चार विधानसभा सीटों पर गुर्जर मतदाताओं को साधने की बड़ी कोशिश की है।
ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा की इस चाल से गुर्जर समुदाय का वोट बैंक बंट सकता है।
साल 2018 के पिछले चुनाव विधानसभा चुनावों में गुर्जर समुदाय ने पायलट के लिए एकतरफा कांग्रेस को वोट किया था। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार भाजपा ने गुर्जर समुदाय को साधने के लिए देवली-उनियारा विधानसभा सीट से विजय बैंसला को टिकट देकर बड़ा दांव खेला है।
बता दें कि इससे पहले भाजपा ने दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी (Ramesh Bidhuri) को टोंक जिले का प्रभारी बनाया था।
वहीं, सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया पहले से ही टोंक-सवाई माधोपुर से सांसद हैं। ऐसे में भाजपा ने पायलट की घेराबंदी के लिए अपने सिपाही तैनात कर दिए हैं।
हालांकि, विजय बैंसला (Vijay Bainsla) को टिकट देने पर कुछ विरोध के स्वर भी उठे है। जिसको लेकर बीजेपी के जिला प्रभारी और दिल्ली सांसद रमेश बिधूड़ी ने उनका बचाव करत हुए कहा है कि विजय बैंसला राजस्थान के ही है।
उनके पिता ने राजस्थान से ही चुनाव लड़ा, लेकिन सचिन पायलट राजस्थान के नहीं है बल्कि बाहरी उम्मीदवार है।
अब देखना ये होगा कि राजस्थान के इस चुनावी रण में कौन बाजी मार पाता है।