सिरोही: जर्जर स्कूल भवन में बच्चे खाते पोषाहार, नया निर्माण अधर में

chhapri school

सिरोही: सिरोही (Sirohi) के छापरी स्कूल में जर्जर भवन को गिराने का आदेश मिला, पर वह अब भी खड़ा है। नए निर्माण का वर्क ऑर्डर जारी होने पर भी बच्चे पोषाहार के लिए इसी जोखिम भरे कमरे में आते हैं।

आबूरोड ब्लॉक के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय छापरी में अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है। जिस स्कूल भवन को एक साल पहले जमींदोज करने का आदेश जारी हुआ था, वह आज भी उसी खतरनाक स्थिति में खड़ा है। इतना ही नहीं, इसके नए निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया गया है।

जर्जर घोषित होने के कारण इस भवन में बच्चों की कक्षाएँ तो बंद कर दी गई हैं, लेकिन रसोई और पोषाहार वितरण आज भी इसी भवन में हो रहा है। बच्चे रोज़ दोपहर को इसी जर्जर कमरे में पोषाहार खाने आते हैं, जो उनकी सुरक्षा के लिए एक बड़ा जोखिम है।

पंद्रह माह बाद भी नहीं हुआ ध्वस्तीकरण

जिला परियोजना कार्यालय ने 08 अगस्त 2024 को पांच स्कूलों को जमींदोज करने के आदेश जारी किए थे, जिनमें छापरी स्कूल भी शामिल था। यह आदेश भवन की अत्यधिक जर्जर स्थिति को देखते हुए लिया गया था।

आदेश जारी हुए पंद्रह महीने बीत चुके हैं, लेकिन इस जोखिम भरे भवन को आज तक गिराया नहीं गया है। यह प्रशासनिक लापरवाही का एक स्पष्ट उदाहरण है, जिससे बच्चों की जान जोखिम में पड़ रही है।

जोखिम भरा पोषाहार वितरण

मुख्य भवन को जोखिमपूर्ण मानकर छात्रों की बैठने की व्यवस्था पास के दो कमरों में की गई है। इन कमरों में पहले से ही सामान भरा है, और इसी संकुचित स्थान में आठवीं तक की कक्षाएँ संचालित हो रही हैं।

हालांकि, पोषाहार लेने के लिए बच्चों को रोज़ पुराने, जर्जर भवन में वापस ले जाया जाता है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि पोषाहार के लिए बच्चों को जर्जर भवन में लाना उनकी मजबूरी है, क्योंकि कहीं और उपयुक्त स्थान नहीं है।

नया निर्माण, पर कहाँ?

तीन महीने पहले नए भवन के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई थी और हाल ही में वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया गया है। यह स्थिति और भी पेचीदा हो जाती है, क्योंकि जब तक पुराना भवन जमींदोज ही नहीं हुआ, तब तक नए निर्माण के लिए जगह का सवाल खड़ा होता है।

यह पूरा मामला प्रशासनिक अक्षमता और समन्वय की कमी को उजागर करता है, जिससे छात्रों की शिक्षा और सुरक्षा दोनों प्रभावित हो रही हैं। स्थानीय लोगों ने जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करने की मांग की है।

“भवन जर्जर होने के बाद हमने बच्चों को दूसरी जगह बैठाना शुरू किया है। पोषाहार के लिए यहां लाते हैं, फिर वापस ले जाते हैं। भवन अभी जमींदोज नहीं हुआ है।”
— कृष्णकुमार वराहट, प्रधानाध्यापक, छापरी