जयपुर : 298 साल की हुई गुलाबी नगरी, जानिए इसके मजेदार किस्से
राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) आज 298 साल की हो गई। 18 नवंबर, 1727 को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh II) ने इसकी नींव रखी थी। यह दुनिया का पहला सुनियोजित शहर है, जिसका ग्रिड पैटर्न इसे खास बनाता है।
जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) आज 298 साल की हो गई। 18 नवंबर, 1727 को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय (Maharaja Sawai Jai Singh II) ने इसकी नींव रखी थी। यह दुनिया का पहला सुनियोजित शहर है, जिसका ग्रिड पैटर्न इसे खास बनाता है।
गुलाबी नगरी जयपुर आज अपना 298वां जन्मदिन मना रही है! लगभग तीन सदियों पहले, 18 नवंबर, 1727 को, आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने एक ऐसे शहर की नींव रखी, जो आज भी अपनी शान और सुंदरता से सबको मंत्रमुग्ध कर देता है। उनकी दूरदर्शी सोच हर गली, हर इमारत और हर बाजार में साफ दिखती है।
क्यों पड़ी थी इस शानदार शहर की नींव?
उस जमाने में आमेर की राजधानी में पानी की किल्लत और जगह की कमी थी। महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को एक आधुनिक शहर चाहिए था। इसी 'समस्या' को हल करने के लिए उन्होंने जयपुर की नींव रखी।
वास्तुशास्त्र का जादू: विद्याधर भट्टाचार्य का कमाल
जयपुर सिर्फ ईंट-पत्थर का ढेर नहीं, बल्कि विज्ञान और ज्योतिष का जीता-जागता उदाहरण है। महाराजा सवाई जयसिंह खुद ज्योतिष के बड़े प्रेमी थे। उन्होंने बंगाल के प्रसिद्ध वास्तुविद विद्याधर भट्टाचार्य को बुलाया। विद्याधर जी ने हिंदू वास्तुशास्त्र और भारतीय नगर नियोजन के सिद्धांतों का ऐसा तड़का लगाया कि जयपुर दुनिया का पहला सुनियोजित शहर बन गया। इसका ग्रिड पैटर्न, चौड़ी सड़कें और 9 वर्गाकार ब्लॉक आज भी इंजीनियरों को हैरान करते हैं। जयपुर का जंतर मंतर इसकी नायाब मिसाल है, जिसे यूनेस्को ने भी विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है।
गुलाबी रंग का दिलचस्प किस्सा
जयपुर को 'गुलाबी नगरी' क्यों कहते हैं? इसके पीछे एक मजेदार कहानी है। साल 1876 में, जब प्रिंस ऑफ वेल्स (जो बाद में किंग एडवर्ड VII बने) जयपुर आने वाले थे, तब महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने उनकी मेहमाननवाजी में पूरे शहर को गेरुआ (टेराकोटा पिंक) रंग से रंगवा दिया। बस, तभी से यह शहर 'गुलाबी नगरी' कहलाने लगा। इससे पहले तो यह सफेद रंग का हुआ करता था!
भव्य महल और किले: पहचान जयपुर की
जयपुर की स्थापना के बाद से इसने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक रूप से कई बदलाव देखे हैं। भव्य महलों और किलों ने इसे एक अनूठी पहचान दी है। यह शहर सिर्फ सुंदरता में ही नहीं, बल्कि विज्ञान, कला और वास्तुकला में भी अव्वल रहा है। आज भी ये इमारतें जस की तस खड़ी हैं। अब जयपुर एक स्मार्ट सिटी के रूप में भी विकसित हो रहा है।
29 ऐतिहासिक दरवाजे: सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम
महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने शहर की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने जयपुर में कुल 29 ऐतिहासिक दरवाजे बनवाए – 13 सिटी पैलेस में और 16 परकोटे में। ये दरवाजे आज भी शहर की पुरानी चारदीवारी (Walled City) की सुरक्षा का बखान करते हैं। आधिकारिक तौर पर, इस चारदीवारी में 7 मुख्य पोल या प्रवेश द्वार हैं, जैसे अजमेरी गेट, सांगानेरी गेट, चांद पोल, सूरज पोल, न्यू गेट, दिल्ली गेट और विद्याधर नगर द्वार। ये हर दिशा में बनाए गए हैं।
तो यह थी गुलाबी नगरी जयपुर के 298 साल के सफर की एक छोटी सी झलक। यह शहर सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि एक जीवंत कलाकृति है, जो हर दिन अपनी नई कहानी लिख रहा है।