जेजेएम घोटाला: 2500 करोड़ का भ्रष्टाचार: जेजेएम घोटाला: 2500 करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचार, कार्रवाई ठप

राजस्थान में 2500 करोड़+ जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission - JJM) घोटाले में भजनलाल शर्मा के निर्देश बेअसर। 170 में से 39 को चार्जशीट मिली।

जयपुर: राजस्थान में 2500 करोड़+ जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission - JJM) घोटाले में भजनलाल शर्मा के निर्देश बेअसर। 170 में से 39 को चार्जशीट मिली।

जल जीवन मिशन (जेजेएम) में हुआ भ्रष्टाचार राजस्थान के इतिहास में अपनी तरह का एक अनोखा घोटाला बन गया है। प्रदेशभर में 2500 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी सामने आई है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मुख्य सचिव वी. श्रीनिवासन ने घोटालेबाजों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। पूर्व मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी ऐसे ही निर्देश जारी किए थे, लेकिन इन निर्देशों का कोई असर नहीं हुआ।

घोटाले पर मुख्यमंत्री के निर्देश बेअसर

घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई शुरू होने से पहले ही फुस्स हो गई। नतीजतन, किसी भी बड़े आरोपी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है।

यह स्थिति सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल खड़े करती है।

चार्जशीट प्रक्रिया में देरी और बहानेबाजी

घोटाले में जिम्मेदार इंजीनियरों और अधिकारियों को चार्जशीट देने के लिए प्रदेश में पहली बार विशेष कैंप लगाए गए थे। जल भवन में दो बार ऐसे कैंप आयोजित किए गए।

इसके बावजूद, अब तक 170 आरोपियों में से केवल 39 को ही चार्जशीट दी जा सकी है। 25 चार्जशीट तो जलदाय विभाग ने डीओपी को भेजी थीं, लेकिन वे भी जारी नहीं हो पाईं।

बाकी चार्जशीट बनाने में लगातार बहानेबाजी की जा रही है। अधीक्षण अभियंता और एक्सईएन स्तर पर जांच प्रक्रिया के तथ्यों में हेराफेरी की जा रही है, ताकि चार्जशीट में जानबूझकर कमी छोड़ी जा सके और डीओपी भेजने में देरी हो।

बिना काम के पेमेंट करने के मामले में 139 अधिकारियों के खिलाफ पिछले छह माह से जांच चल रही है, लेकिन अधूरे होमवर्क के कारण चार्जशीट नहीं बन पा रही हैं।

गौरतलब है कि जलदाय विभाग के इंजीनियरों ने मिलीभगत कर ठेकेदारों (मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी व मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी) को बिना काम के ही 55 करोड़ रुपये से अधिक का एडवांस पेमेंट कर दिया था। इन सभी पर पिछले एक साल से कार्रवाई लंबित है।

राजनीतिक दखल से धीमी हुई जांच

बताया जा रहा है कि जल जीवन मिशन घोटाले में विभाग के 170 से अधिक इंजीनियर जांच के दायरे में हैं। इनमें से कुछ को बचाने के लिए राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है।

इसी वजह से चार्जशीट और नोटिस जारी करने की कार्यवाही धीमी कर दी गई है, ताकि जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित न करना पड़े।

कई इंजीनियरों की चार्जशीट को 16 सीसी से बदलकर केवल 17 सीसी में देने की कोशिश भी की जा रही है, जिससे उनके खिलाफ कार्रवाई हल्की हो सके।

200 से अधिक शिकायतें, कार्रवाई लंबित

पिछले चार सालों में जेजेएम में भ्रष्टाचार की कुल 200 शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से 145 शिकायतें विधायक, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों ने की हैं।

25 मामले विभाग ने स्वतः संज्ञान लिए हैं, जबकि 30 मामले मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर दर्ज किए गए। विभाग ने 160 मामलों में जांच पूरी कर ली है, लेकिन 12 मामले अभी प्रक्रिया में हैं और 3 लंबित हैं।

चार्जशीट के लिए विशेष कैंप लगाए गए थे। पहला कैंप 29 और 30 नवंबर को, जबकि दूसरा कैंप 15 और 16 दिसंबर को लगा था। इन कैंपों में रोजाना 20 अधिकारी-कर्मचारियों ने काम किया था।

एसीबी जांच में बड़े खुलासे की उम्मीद

जल जीवन मिशन घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अब जल्द ही आईएएस सुबोध अग्रवाल को पूछताछ के लिए बुलाएगी। एसीबी को अग्रवाल सहित 110 इंजीनियरों के खिलाफ प्राथमिक जांच में घोटाले के पुख्ता सबूत मिले हैं।

ये वही इंजीनियर हैं, जिनके खिलाफ विभाग चार्जशीट देकर औपचारिकता पूरी कर रहा है। एसीबी ने जल जीवन मिशन में छह लोगों के फोन चार माह तक सर्विलांस पर लिए थे, जिससे पता चला कि जेजेएम में हर माह लाखों रुपये की रिश्वत इंजीनियरों को दी जा रही थी।

सर्विलांस से सामने आया भ्रष्टाचार का जाल

एसीबी के एएसपी राजेश राव ने परिवादी बनकर इस घोटाले का मामला दर्ज किया था। तत्कालीन आईएएस सुबोध अग्रवाल सहित छह इंजीनियरों के खिलाफ जांच की अनुमति मिलने के बाद गठित एसआईटी ने महज छह दिनों में कई महत्वपूर्ण सबूत जुटा लिए हैं।

एसआईटी ने जलदाय विभाग से पूरी कार्यप्रणाली को समझा है और घोटाले वाले टेंडरों की प्रतियां भी हासिल की हैं। जनवरी में एक सप्ताह के भीतर 20 से अधिक इंजीनियरों से पूछताछ की जाएगी।

ठेकेदार पदम चंद जैन के दो मोबाइल नंबर, उनके रिश्तेदार महेश मित्तल के दो मोबाइल नंबर, उमेश शर्मा और प्रवीण के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर थे।

20 मई 2023 को पता चला कि ये लोग हरियाणा के अफसरों से मिलीभगत कर चोरी का सामान राजस्थान लाते हैं और शाहपुरा इलाके में जलदाय विभाग के अधिकारियों को रिश्वत देकर गलत कार्यों को भी सही करवाते हैं। एसआईटी जलदाय विभाग के अधिकारियों को हर दिन जांच में सहयोग के लिए बुला रही है।