मेघवाल: कांग्रेस का दोहरापन और एसआईआर: चुनाव सुधारों पर मेघवाल का कांग्रेस पर तीखा हमला

Ad

Highlights

  • बाबासाहेब अंबेडकर के 'एक व्यक्ति एक वोट, एक मूल्य' सिद्धांत पर जोर।
  • एसआईआर प्रक्रिया को संवैधानिक और वैधानिक बताया।
  • कांग्रेस पर वोट चोरी और चुनावी धांधली का आरोप लगाया।
  • महिलाओं के मताधिकार और नारी शक्ति वंदन अधिनियम की सराहना।

नई दिल्ली: केंद्रीय विधि राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल (Union Minister of State for Law Arjun Meghwal) ने लोकसभा (Lok Sabha) में चुनाव सुधारों पर कांग्रेस (Congress) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने मतदाता सूची के एसआईआर (Special Intensive Revision) प्रक्रिया पर विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया, साथ ही बाबासाहेब अंबेडकर (Babasaheb Ambedkar) के 'एक व्यक्ति एक वोट' सिद्धांत पर जोर दिया।

चुनाव सुधारों पर मेघवाल का संबोधन

केंद्रीय विधि राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने लोकसभा में चुनाव सुधारों जैसे महत्वपूर्ण विषय पर आयोजित चर्चा में बोलने का अवसर मिलने पर धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने भारत को लोकतंत्र की जननी बताया, जो पूरे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

मेघवाल ने कहा कि भारत में चुनाव मात्र एक राजनीतिक अभ्यास नहीं हैं, बल्कि इन्हें लोकतंत्र के महापर्व के रूप में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। इस महापर्व में देश के करोड़ों लोग मतदान के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।

यह प्रक्रिया हमारे लोकतांत्रिक गणतंत्र की पहचान का एक सशक्त प्रतीक है, और यही वह आधारशिला है जिस पर भारतीय लोकतंत्र की भव्य संरचना की नींव रखी गई है। स्वतंत्रता के बाद भारत ने अपनी शासन प्रणाली के रूप में संसदीय लोकतंत्र को अपनाया।

इसमें सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के माध्यम से जनप्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है। मेघवाल ने इस बात पर जोर दिया कि आज जब हम चुनाव सुधारों की बात कर रहे हैं, तो हमें संविधान निर्माताओं के दूरदर्शी दृष्टिकोण को समझना होगा।

चुनाव आयोग का महत्व और स्थापना

मंत्री मेघवाल ने सदन को बताया कि संविधान निर्माताओं के लिए चुनाव आयोग का कितना महत्व था। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।

लेकिन उससे एक दिन पहले, 25 जनवरी 1950 को ही चुनाव आयोग का गठन कर दिया गया था। यह दर्शाता है कि संविधान निर्माताओं ने इस संस्था को कितना महत्व दिया था।

देश में संपन्न हुए 2024 के आम चुनाव में कुल 97.79 करोड़ मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल किया गया था। चुनाव आयोग के अनुसार, इसमें छह राष्ट्रीय पार्टियों सहित कुल 743 राजनीतिक दलों ने लोकतंत्र के इस महापर्व में भाग लिया।

चुनाव आयोग की स्थापना के उपलक्ष्य में हर वर्ष 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे मनाया जाता है। इस अवसर पर देश की राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों और विदेशी प्रतिनिधियों के साथ चुनाव आयोग एक समारोह आयोजित करता है।

मेघवाल ने बताया कि वह स्वयं भी इस समारोह में भाग लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के चुनाव आयोग की चुनाव प्रणाली और चुनाव संचालन को लेकर विदेशी प्रतिनिधि बहुत प्रशंसा करते हैं।

यह आश्चर्यजनक है कि हमारे राजनीतिक दलों के लोग भी वहां प्रशंसा करते हैं, लेकिन बाहर आकर आलोचना करते हैं। उन्होंने इसे एक 'गजब का विरोधाभास' बताया, जो उनकी समझ से परे है।

मतदाता सूची और एसआईआर प्रक्रिया

मेघवाल ने बाबासाहेब बी.आर. अंबेडकर द्वारा संविधान सभा में 25 नवंबर 1949 को दिए गए भाषण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वही भाषण हमारे चुनाव सुधारों का आधार है।

बाबासाहेब ने कहा था कि 26 जनवरी 1950 को हम विरोधाभासों से भरे जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं। राजनीति में समानता होगी, लेकिन सामाजिक और आर्थिक जीवन में असमानता बनी रहेगी।

राजनीति में हम 'एक व्यक्ति एक वोट और एक मूल्य' के सिद्धांत को मान्यता देंगे, और यही सिद्धांत चुनाव सुधारों का आधार है। एक आदमी का एक ही वोट होना चाहिए और उसकी एक ही वैल्यू होनी चाहिए।

इसलिए, एसआईआर (Special Intensive Revision) में जो अपात्र वोट हैं, वे मतदाता सूची में नहीं रहने चाहिए। इसके साथ ही, पात्र लोग मतदाता सूची में शामिल होने से छूटने नहीं चाहिए, यही बाबासाहेब कह कर गए थे।

एसआईआर की आवश्यकता और संवैधानिक आधार

मेघवाल ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे संविधान की किताब तो लेकर आते हैं, लेकिन उसमें लिखा क्या है, इसे पढ़ते नहीं हैं। बाबासाहेब ने भारत में चुनाव भागीदारी हेतु 'वन मैन वन वोट, वन वैल्यू' के सिद्धांत को प्रतिपादित किया था।

इस प्रक्रिया के तहत, कोई भी पात्र व्यक्ति वोटर लिस्ट में नामांकन से और वोट देने के अधिकार से छूटना नहीं चाहिए। साथ ही, कोई भी अपात्र व्यक्ति वोटर लिस्ट में शामिल नहीं होना चाहिए।

यह सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग समय-समय पर एसआईआर की प्रक्रिया संचालित करता है। मेघवाल ने सवाल किया कि इसमें किसी को आपत्ति क्यों होनी चाहिए।

उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल में हुई एसआईआर प्रक्रियाओं का भी जिक्र किया और कहा कि 'वे करें तो ठीक, हम करें तो खराब, यह कैसा विरोधाभास है?'

मेघवाल ने कहा कि संविधान निर्माताओं की सामूहिक दूरदर्शिता का परिणाम था कि देश की आजादी के तुरंत बाद ही सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार लागू करके महिलाओं को भी वोटिंग का अधिकार सुनिश्चित किया गया। यह एक बहुत बड़ी बात थी।

उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड का उदाहरण दिया, जहां महिलाओं को मताधिकार के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा। अमेरिका को आजादी के 144 वर्ष बाद और इंग्लैंड को 1918 (30 वर्ष से ऊपर की महिलाओं) तथा 1928 (सभी महिलाओं) में मताधिकार मिला।

बाबासाहेब अंबेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि सबको मताधिकार देना चाहिए, क्योंकि भारतीय महिलाएं समझदार हैं और उनकी भागीदारी से लोकतंत्र मजबूत होगा। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिलाएं भी भागीदारी कर रही हैं और लोकतंत्र मजबूत हो रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन में पहले बिल के रूप में 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' लाकर बाबासाहेब को ही श्रद्धांजलि दी है। इस अधिनियम के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में 33% महिलाओं को आरक्षण दिया गया है।

चुनाव आयोग की संवैधानिक स्थिति

चुनाव आयोग के मार्गदर्शन में देश का प्रथम आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक सफलतापूर्वक संपन्न हुआ था। कई लोगों ने लेख लिखे थे कि भारत में लोकतंत्र सफल होगा या नहीं, लेकिन चुनाव आयोग ने यह बड़ा काम करके दिखाया।

मेघवाल ने कहा कि बाबासाहेब ने कहा था कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय के रूप में काम करे। यह एक संवैधानिक संस्था है, जिसकी चर्चा आर्टिकल 324 के अंतर्गत आती है।

आर्टिकल 324 के अंतर्गत, चुनाव आयोग को इलेक्टर रोल की तैयारी, पार्लियामेंट और स्टेट लेजिस्लेचर के चुनाव के संचालन हेतु निगरानी, निर्देशन और नियंत्रण के लिए शक्तियां प्रदान की गई हैं। संविधान सभा ने ही इस संवैधानिक अथॉरिटी को ये शक्तियां प्रदान की थीं।

रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट 1950 और रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स 1960 (आरईआर 1960) द्वारा चुनाव आयोग को सशक्त किया गया है। आर्टिकल 326 यह निर्धारित करता है कि भारत का प्रत्येक नागरिक जिसने क्वालिफाइंग डेट पर 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है।

और किसी भी कानून के तहत अयोग्य घोषित नहीं है, उसे वोटर के रूप में पंजीकृत होने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त, आरपी एक्ट 1950 के सेक्शन 16 और 19 नामांकन के लिए मूल पात्रता शर्तें निर्धारित करते हैं।

इन शर्तों में आवेदक का भारतीय नागरिक होना, साउंड माइंड होना, क्वालिफाइंग डेट पर कम से कम 18 वर्ष की आयु होना, इनसॉल्वेंट न होना और संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से निवासी होना शामिल है।

ईसीआई यह संवैधानिक जिम्मेदारी लेता है कि केवल योग्य नागरिकों को ही इलेक्टर रोल में शामिल किया जाए। साथ ही, निर्धारित पात्रता नहीं रखने वाले अयोग्य नागरिकों का एक्सक्लूजन किया जाए।

इलेक्टर रोल की शुद्धता और अखंडता बनाए रखना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए अत्यंत आवश्यक है। एक विश्वसनीय रोल सभी योग्य मतदाताओं का नामांकन सुनिश्चित करता है और अयोग्य तथा डुप्लीकेट एंट्रीज को हटाकर पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।

एसआईआर का इतिहास और विपक्ष के आरोप

आरपी एक्ट 1950 के सेक्शन 21 व अन्य प्रावधान इलेक्टर रोल की तैयारी और संशोधन को कानूनी आधार प्रदान करते हैं। रजिस्ट्रेशन ऑफ इलेक्टर्स रूल्स 1960 का रूल 25 यह निर्धारित करता है कि ईसीआई के निर्देशानुसार प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाता सूची को स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन या समरी रिवीजन (जो साल में चार बार होता है) द्वारा संशोधित किया जाता है।

मेघवाल ने बताया कि एसआईआर की प्रक्रिया पहली बार संचालित नहीं की जा रही है। इससे पहले भी इंटेंसिव स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन वर्ष 1952, 1956, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983, 1984, 1987, 1989, 1992, 1993, 1995, 2002 और 2003 में हुई है।

हालांकि, पिछले दो दशकों में कोई भी इंटेंसिव रिवीजन नहीं किया गया था। इस अवधि में तेजी से शहरीकरण, शिक्षा या रोजगार हेतु माइग्रेशन और अन्य सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के चलते नागरिकों के निवास स्थान में बार-बार बदलाव हुआ।

इसके चलते कई मतदाता नए निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकरण करा लेते हैं, लेकिन पिछले निर्वाचन क्षेत्र से अपना नाम हटाने में विफल रहते हैं, जिससे डुप्लीकेट या गलत एंट्रीज उत्पन्न हो जाती हैं। इन्हीं सब पहलुओं को ध्यान में रखकर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की आवश्यकता उत्पन्न होती रही है।

इसका उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह साफ, सत्यापित, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है। इसलिए विपक्ष द्वारा एसआईआर को लेकर लगाए जाने वाले आरोप और शंकाएं निराधार और तथ्यों से परे हैं।

असल बात यह है कि बार-बार होने वाले चुनाव में विपक्ष की हार ने हमारे विपक्षी साथियों को हताशा और निराशा से भर दिया है। इनके पास कोई साधन नहीं है, कोई बहाना नहीं है, तो यह चुनाव प्रक्रिया में होने वाले सुधारों पर अंगुली उठाते रहते हैं।

कभी इन्हें ईवीएम में गड़बड़ी दिखती है, कभी इन्हें एसआईआर की प्रक्रिया में कमी दिखती है। सच बात तो यह है कि इन्हें अपनी कमी नहीं दिखती है, जिसके चलते भारत की जनता ने इन्हें पूरी तरह से नकार दिया है।

मेघवाल ने विपक्ष की स्थिति पर गालिब का एक शेर सुनाया:

Must Read: क्या रंग लाएगी सीएम गहलोत और राहुल गांधी की मुलाकात, आज दिल्ली में ’पायलट’ की उड़ान पर हो सकता है मंथन 

पढें राजनीति खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :