प्रोजेक्ट किशोरी : एक उम्मीद से शुरू हुई कहानी ने सोच बदलनी शुरू कर दी है

प्रजना फाउण्डेशन ने अभियान के तहत जयपुर जिले के सौ से अधिक विद्यालयों में जागरूकता शिविर आयोजित किए

प्रजना फाउण्डेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा प्रारंभ किया गया प्रोजेक्ट किशोरी

जयपुर। प्रजना फाउण्डेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा प्रारंभ किया गया प्रोजेक्ट किशोरी अब अपनी पहली यात्रा के अंतिम चरण में है। यह अभियान एक ऐसा प्रयास है। जिसने न केवल बेटियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि सामाजिक मानसिकता को बदलने का एक महत्वपूर्ण कदम भी उठाया। बीते ढाई महीनों में ही सौ से अधिक विद्यालयों के अलावा आंगनबा​ड़ी केन्द्रों और कच्ची बस्तियों में करीब पन्द्रह हजार बेटियों को लाभान्वित करने वाले इस अभियान ने एक नई शुरूआत की है।


इस यात्रा की शुरुआत जयपुर के वैशाली नगर स्थित खण्डेलवाल गर्ल्स कॉलेज सभागार में हुई, जब प्रदेश की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने इस प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने महिलाओं के जीवन में आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा था कि महिलाओं को अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर खुलकर बात करनी चाहिए। यह एक ऐसी शुरुआत थी जो एक बड़े बदलाव की ओर संकेत कर रही थी।

जागरूकता शिविरों का आयोजन
प्रजना फाउण्डेशन ने अभियान के तहत जयपुर जिले के सौ से अधिक विद्यालयों में जागरूकता शिविर आयोजित किए। इन शिविरों में पांच हजार से अधिक बेटियों को किशोरी किट वितरित किए गए। ये किट किशोरियों की स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए आवश्यक सामग्री से भरे थे। इसके साथ ही, पन्द्रह हजार से अधिक बेटियों को विभिन्न स्वास्थ्य विषयों पर जागरूक किया गया।

किशोरी क्लब का गठन
इस यात्रा का एक और महत्वपूर्ण पहलू किशोरी क्लबों का गठन था। लगभग 1100 बेटियों को शामिल करते हुए सौ से अधिक किशोरी क्लबों का गठन किया गया, जो लड़कियों को अपने मुद्दों पर चर्चा करने और समर्थन पाने का एक मंच प्रदान करते हैं। इन क्लबों ने न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य विषयों पर चर्चा की, बल्कि एक सामुदायिक समर्थन का माहौल भी बनाया।

सामुदायिक समर्पण
इस अभियान में सिर्फ विद्यालयों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जयपुर की कच्ची बस्तियों और आंगनबाड़ियों में भी किट वितरण और जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रजना फाउण्डेशन ने बीस हजार से अधिक लाभार्थियों तक सीधी पहुंच बनाई, जो इस यात्रा की सफलता का एक बड़ा प्रमाण है।

मानसिकता में बदलाव
इस पहल ने महिलाओं और बेटियों के मुद्दों पर चर्चा को प्रोत्साहित किया। कार्यक्रमों में महिलाओं ने अपनी बात रखने के लिए मंच का उपयोग किया, जिससे समाज में संवाद का एक नया मार्ग प्रशस्त हुआ। डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने माहवारी जैसी विषयों को टैबू मानने की सोच को चुनौती दी, और यह दर्शाया कि महिलाएं स्वस्थ रहकर ही एक स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकती हैं।


प्रोजेक्ट किशोरी की यात्रा ने यह साबित कर दिया कि जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। प्रजना फाउण्डेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के इस संयुक्त प्रयास ने न केवल बेटियों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी, बल्कि उनके अधिकारों और स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति एक नई जागरूकता भी स्थापित की।

यह अभियान एक उदाहरण है कि जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो हम सामाजिक बाधाओं को तोड़कर एक सशक्त और जागरूक समाज का निर्माण कर सकते हैं। प्रजना फाउण्डेशन और उनकी टीम इस यात्रा की श्रेय पात्र हैं, जिन्होंने समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। यह एक नई उम्मीद है, जो आने वाले समय में और भी बेटियों को सशक्त बनाने का कार्य करेगी। 

प्रोजेक्ट किशोरी: एक सशक्त बदलाव की यात्रा
इस अभियान की संचालक प्रीति शर्मा, जो प्रजना फाउण्डेशन की संस्थापक हैं, ने इसे आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दृष्टि और नेतृत्व ने अभियान को एक दिशा दी, जहां महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता दी गई। प्रीति शर्मा ने कहा, "अब सोच बदलने लगी है। महिलाओं की समस्याओं को समझना जरूरी है और इस दिशा में पुरुषों का सहयोग भी आवश्यक है।"


रोहित अस्पताल की निदेशक डॉ. शैलजा जैन ने भी अभियान में अपनी विशेषज्ञता से योगदान दिया। उन्होंने इस विषय पर चिकित्सा जानकारी प्रदान की, जिससे महिलाएं अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को समझ सकें और समाधान पा सकें। उनका योगदान महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने में काफी प्रभावी रहा।


प्रजना फाउण्डेशन की प्रवक्ता विशिष्टा सिंह ने इसे एक नई सोच की शुरूआत करार दिया। उन्होंने बताया कि इस अभियान में शामिल युवा लड़कों की भागीदारी ने इसे और भी प्रभावी बनाया। "ये लड़के अपने मन से इस मुद्दे के साथ खड़े हुए और पूरे कार्यक्रम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही," उन्होंने कहा।

युवा स्वयंसेवकों का योगदान
हालांकि यह अभियान सीधे तौर पर महिलाओं से जुड़ा था, लेकिन युवा पुरुषों की भागीदारी ने इसे एक अलग आयाम दिया। दीपक श्योराण, जो इस अभियान में वालंटियर के रूप में जुड़े, ने कहा, "यह मुद्दा बहुत बड़ा है और सभी को मिलकर इस पर काम करना होगा।"

शिवनारायण ने भी इस बात पर जोर दिया कि बेटियों की गरिमा एक महत्वपूर्ण विषय है और इस अभियान से जुड़कर उन्हें गर्व महसूस हुआ। राघव बोहरा ने कहा, "प्रजना ने हमें इस संजीदा विषय पर खड़े होने का सौभाग्य दिया।" इससे यह स्पष्ट होता है कि यह केवल महिलाओं की समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक मुद्दा है, जिसमें सभी की भागीदारी आवश्यक है।

अनुभव साझा करते युवा वालंटियर्स

प्राची खण्डेलवाल ने इस अनुभव को अनूठा बताते हुए कहा कि वे इस काम को आगे भी जारी रखना चाहती हैं। राशि कटोदा ने कहा कि प्रजना ने उन्हें वह मौका दिया, जिसके लिए वे लंबे समय से इच्छुक थीं। इस प्रकार, अभियान ने न केवल महिलाओं को सशक्त बनाया, बल्कि युवा पुरुषों को भी सामाजिक मुद्दों पर सक्रियता से काम करने के लिए प्रेरित किया।

प्रोजेक्ट किशोरी की यात्रा ने साबित कर दिया कि स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़े मुद्दों पर बात करना न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लिए आवश्यक है। इस अभियान ने यह भी दिखाया कि जब पुरुष और महिलाएं एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है।

यह अभियान एक नई सोच का प्रतीक है, जहां सभी वर्गों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होता है। प्रजना फाउण्डेशन और ब्रह्मोस के इस प्रयास ने यह सिद्ध कर दिया कि परिवर्तन संभव है, जब सभी मिलकर एक उद्देश्य की दिशा में काम करते हैं। प्रीति शर्मा और उनकी टीम ने इस यात्रा के माध्यम से एक सशक्त और जागरूक समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।