RSS : मोहन भागवत बोले- भारत को केवल सुपरपावर नहीं, विश्वगुरु भी बनना चाहिए; धर्म और विज्ञान में कोई टकराव नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) [RSS] प्रमुख मोहन भागवत [Mohan Bhagwat] ने तिरुपति [Tirupati] में भारतीय विज्ञान सम्मेलन [Bharatiya Vigyan Sammelan] के दौरान कहा कि भारत [India] को केवल सुपरपावर [Superpower] नहीं बल्कि विश्वगुरु [Vishwaguru] बनना चाहिए। उन्होंने धर्म [Dharma] और विज्ञान [Science] के बीच के संबंधों को स्पष्ट किया।
तिरुपति | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने आंध्र प्रदेश के तिरुपति में भारतीय विज्ञान सम्मेलन (BVS) के उद्घाटन के अवसर पर एक महत्वपूर्ण संबोधन दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है और देश का आगे बढ़ना निश्चित है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत का लक्ष्य केवल एक सुपरपावर बनना नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करने वाला 'विश्वगुरु' बनना चाहिए।
धर्म और विज्ञान का समन्वय
भागवत ने विज्ञान और धर्म के बीच के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन दोनों के बीच कोई वास्तविक टकराव नहीं है। उन्होंने समझाया कि विज्ञान और धर्म के रास्ते भले ही अलग दिखते हों, लेकिन अंततः दोनों एक ही सत्य की खोज करते हैं और उनकी मंजिल एक ही है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमारे विकास की अवधारणा का मूल आधार धर्म है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धर्म का अर्थ केवल पूजा-पद्धति या मजहब नहीं है, बल्कि यह वह तरीका है जिससे प्रकृति और संपूर्ण ब्रह्मांड संचालित होता है।
अंधविश्वास और आधुनिक चुनौतियां
मोहन भागवत ने समाज को पुराने और नए, दोनों तरह के अंधविश्वासों से मुक्त होने का आह्वान किया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी कई मंदिर अपनी मजबूत और वैज्ञानिक बनावट के कारण सुरक्षित रह जाते हैं, जो हमारे प्राचीन ज्ञान की शक्ति को दर्शाता है।
कृषि और स्वास्थ्य पर चिंता
कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 10,000 वर्षों से पारंपरिक खेती के माध्यम से जमीन सुरक्षित रही। लेकिन आधुनिक समय में रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग ने गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर दी हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि स्थिति इतनी खराब है कि पंजाब से जयपुर तक एक 'कैंसर ट्रेन' चल रही है।
इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू भी उपस्थित रहे, जहाँ नेशनल संस्कृत यूनिवर्सिटी में सम्मेलन का उद्घाटन किया गया। इससे पहले मोहन भागवत ने भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में दर्शन किए, जहां मंदिर प्रशासन और पुजारियों ने उनका पारंपरिक स्वागत और सम्मान किया।