Jalore: नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी स्कूल टीचर को 20 साल की कठोर कारावास की सजा

जालोर पॉक्सो कोर्ट ने किताबें खरीदकर घर लौट रही नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी स्कूल टीचर प्रमोद कुमार को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, कोर्ट ने आरोपी को एक लाख रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है।

Jalore Court orders 20 years jail sentence to culprit pramod

जालोर: जालोर पॉक्सो कोर्ट ने किताबें खरीदकर घर लौट रही नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के आरोपी स्कूल टीचर प्रमोद कुमार को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, कोर्ट ने आरोपी को एक लाख रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है।

घटना का विवरण

यह घटना 29 सितंबर 2022 को जालोर में हुई थी, जहां एक मासूम छात्रा के साथ उसी के स्कूल टीचर ने दरिंदगी की। पीड़िता के परिजनों ने जब उसे तलाश किया, तो वह एक दुकान के ऊपर बने कमरे में बेहोशी की हालत में मिली। पूछताछ करने पर यह सामने आया कि उसके साथ दुष्कर्म हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पॉक्सो कोर्ट ने 21 गवाहों और लिखित दस्तावेजों के आधार पर फैसला सुनाया।

मामले की जानकारी

विशिष्ठ लोक अभियोजक मुमताज अली ने बताया कि पीड़िता के मामा ने 29 सितंबर 2022 को बागोड़ा थाना पुलिस को लिखित रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि उसकी भांजी कक्षा 11वीं में पढ़ती है और वह शाम को बस स्टैंड स्थित स्टेशनरी की दुकान पर किताबें लेने गई थी। जब वह सात बजे तक घर नहीं लौटी, तो परिवार ने उसकी तलाश शुरू की। बस स्टैंड के पास दो परिचित युवक मिले, जिन्हें पीड़िता के पिता ने पूरी बात बताई। इसके बाद सभी ने मिलकर मासूम की तलाश की।

घटना का खुलासा

तलाश के दौरान, दुकानों के ऊपर बने एक कमरे से बच्ची के रोने की आवाज आई। जब दरवाजा तोड़ा गया, तो अंदर उसकी भांजी बेहोशी की हालत में पड़ी मिली। होश में आने पर बच्ची ने बताया कि जब वह किताबें लेकर घर लौट रही थी, तब उसके स्कूल टीचर प्रमोद कुमार ने उसका रास्ता रोका और जबरदस्ती उसे कमरे में ले जाकर धमकाते हुए उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया।

कोर्ट का फैसला

सुनवाई के दौरान कोर्ट में कुल 21 गवाह और लिखित दस्तावेज पेश किए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनकर पॉक्सो कोर्ट के विशिष्ठ न्यायाधीश भुपेन्द्र कुमार शांडिल्य ने प्रमोद कुमार को दोषी करार दिया और पॉक्सो एक्ट के तहत 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। आरोपी को एक लाख रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया गया है।

न्याय की जीत

इस फैसले ने यह स्पष्ट किया कि न्यायपालिका बाल यौन उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा देने से पीछे नहीं हटेगी। इस मामले में त्वरित न्याय ने न केवल पीड़िता और उसके परिवार को राहत दी, बल्कि समाज में यह संदेश भी दिया कि बाल उत्पीड़न के अपराधियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा।