Rajasthan: राजस्थान सरकार के प्रचार रथों पर सवाल, एमपी-यूपी से आए वाहन

राजस्थान (Rajasthan) सरकार की उपलब्धियों के प्रचार रथ मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से आए। आत्मनिर्भरता के दावों पर सवाल उठ रहे हैं।

एमपी-यूपी से आए प्रचार रथ, आत्मनिर्भरता पर सवाल

सिरोही: राजस्थान (Rajasthan) सरकार की उपलब्धियों के प्रचार रथ मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से आए। आत्मनिर्भरता के दावों पर सवाल उठ रहे हैं।

आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार का ढिंढोरा पीटने वाली राज्य सरकार अपनी ही उपलब्धियों के प्रचार के मामले में पूरी तरह दूसरों पर निर्भर नजर आ रही है। यह स्थिति कई गंभीर सवाल खड़े कर रही है।

हालात ऐसे हैं कि राजस्थान की सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए भी मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश का सहारा लिया जा रहा है, जो सरकार के आत्मनिर्भरता के दावों के विपरीत है।

आत्मनिर्भरता पर सवाल: प्रचार में भी दूसरों का सहारा

राज्य सरकार के दो वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जिलों में भेजे गए प्रचार रथ न तो स्थानीय हैं और न ही राजस्थान के किसी जिले से मिले हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है।

सरकारी योजनाओं और उपलब्धियों के प्रचार का जिम्मा मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के ठेकेदारों को दिया गया है। इसी कारण प्रचार रथनुमा वाहन भी वहीं से भेजे गए हैं।

बाहरी राज्यों से आए प्रचार रथ

सिरोही जिले की तीनों विधानसभा सीटों के लिए एक-एक प्रचार रथ भेजा गया है। इन रथों की पासिंग भी बाहरी राज्यों की है।

रेवदर और पिण्डवाड़ा-आबू विधानसभा क्षेत्र के लिए पहुंचे दोनों रथ मध्यप्रदेश पासिंग के हैं। यह सीधे तौर पर बाहरी राज्यों पर निर्भरता को दर्शाता है।

सिरोही विधानसभा क्षेत्र के लिए भेजा गया प्रचार रथ उत्तरप्रदेश पासिंग बताया जा रहा है। यह रथ अभी जयपुर से सिरोही पहुंचना बाकी है।

इन सभी प्रचार रथों के ठेकेदार भी मध्यप्रदेश से ही जुड़े बताए जा रहे हैं। यह स्थिति स्थानीय ठेकेदारों और संसाधनों की अनदेखी का संकेत देती है।

कलेक्ट्री से हुई रवानगी, एलईडी बंद

मध्यप्रदेश पासिंग दोनों रथों को प्रभारी मंत्री के.के. बिश्नोई ने कलेक्ट्री परिसर से रवाना किया। यह एक औपचारिक कार्यक्रम था।

रवानगी के दौरान चालकों को साफा पहनाया गया और झंडी दिखाकर वाहनों को रवाना किया गया। यह एक प्रतीकात्मक शुरुआत थी।

प्रचार रथों पर राज्य सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं का बखान लिखा गया है। इसके साथ ही, साइड में एलईडी स्क्रीन भी लगी हुई है।

हालांकि, रवानगी के समय एलईडी चालू नहीं की गई थी। अधिकारियों का कहना है कि एलईडी स्क्रीन पर योजनाओं का प्रदर्शन रात के समय किया जाएगा।

उठ रहे हैं गंभीर सवाल

प्रदेश में वाहन, संसाधन और ठेकेदारों की कोई कमी नहीं होने के बावजूद दूसरे राज्यों पर निर्भरता कई सवाल खड़े कर रही है। यह एक विरोधाभासी स्थिति है।

आत्मनिर्भर राजस्थान की बात करने वाली सरकार का प्रचार तंत्र खुद कितना आत्मनिर्भर है, इस पर बहस तेज हो गई है। यह स्थिति सरकार की नीतियों पर सवाल उठाती है।

स्थानीय संसाधनों और श्रम को बढ़ावा देने के बजाय बाहरी राज्यों पर निर्भरता, सरकार के 'लोकल फॉर वोकल' जैसे नारों के विपरीत दिखती है। यह एक विचारणीय विषय है।

जनता और विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे हैं। वे जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों स्थानीय संसाधनों का उपयोग नहीं किया गया।

यह घटना राज्य सरकार की कार्यप्रणाली और प्राथमिकताओं पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगाती है। भविष्य में इस पर और अधिक चर्चा होने की संभावना है।