ग्रामीणों का विरोध: अल्ट्राटेक नाथद्वारा सीमेंट कंपनी की ब्लास्टिंग से मकानों में दरारें और कुओं में सूखा

मालप और ठंडीवेरी गांव के लोग बताते हैं कि पहले उनके कुएं में 24 घंटे पानी रहता था, लेकिन अब ब्लास्टिंग के कारण कुएं सूखने लगे हैं। पानी की कमी से ग्रामीणों की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं। इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी लोग भी मायूस हो चुके हैं, क्योंकि उनकी सुनवाई के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।

सिरोही - अल्ट्राटेक नाथद्वारा सीमेंट कंपनी की आमली लाइम स्टोन माइंस क्षेत्र में हो रही ब्लास्टिंग के कारण जामाफली और आसपास के गांवों में ग्रामीणों का जीवन मुश्किल हो गया है। इस मुद्दे पर ग्रामीण लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और नेताओं की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। पुलिस की भूमिका भी इस मामले में निष्क्रिय दिखाई दे रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि माइंस में हो रही ब्लास्टिंग से उनके मकान थर-थर कांप रहे हैं, जिससे मकानों में दरारें आ गई हैं और कुछ मकान धराशाई भी हो चुके हैं। ब्लास्टिंग की तीव्रता इतनी ज्यादा है कि मकानों की मजबूती को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। ग्रामीण दहशत में जी रहे हैं, क्योंकि उन्हें हर समय डर सताता रहता है कि कब कोई बड़ा पत्थर उनके मकान पर गिर जाएगा।

मालप और ठंडीवेरी गांव के लोग बताते हैं कि पहले उनके कुएं में 24 घंटे पानी रहता था, लेकिन अब ब्लास्टिंग के कारण कुएं सूखने लगे हैं। पानी की कमी से ग्रामीणों की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं। इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी लोग भी मायूस हो चुके हैं, क्योंकि उनकी सुनवाई के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।

इस पूरे मामले में न तो प्रशासन ने कोई कदम उठाया है और न ही यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक पहुंचा है। पर्यावरण को हो रहे इस नुकसान पर भी किसी का ध्यान नहीं है। ग्रामीणों का यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता।

ग्रामीणों की मांग है कि ब्लास्टिंग को तुरंत रोका जाए और उनके मकानों की मरम्मत करवाई जाए। साथ ही, पानी की समस्या का समाधान किया जाए ताकि उनका जीवन सामान्य हो सके। अल्ट्राटेक नाथद्वारा सीमेंट कंपनी से भी यह अपेक्षा है कि वह ग्रामीणों की समस्याओं को समझे और उनकी मदद के लिए आगे आए।