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पीएम मोदी ने तीर्थराज पुष्कर में स्थित दुनिया के एक मात्र ब्रह्मा जी के मंदिर में भी पूजा-अर्चना की। राजस्थान के पुष्कर में बना भगवान ब्रह्मा जी का ये मंदिर न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है।
अजमेर | PM Narendra Modi Ajmer Visit: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार यानि आज राजस्थान के अजमेर जिले में चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए पहुंच रहे है।
पीएम मोदी ने तीर्थराज पुष्कर में स्थित दुनिया के एक मात्र ब्रह्मा जी के मंदिर में भी पूजा-अर्चना की।
राजस्थान के पुष्कर में बना भगवान ब्रह्मा जी का ये मंदिर न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है।
हिन्दू धर्म में भगवान ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचियता माना जाता है। इसके बावजूद भगवान का एक ही मंदिर क्यों है? आइए जानते हैं इसकी पौराणिक कथा के बारें में....
माता सरस्वती ने दिया था ब्रह्मा जी को श्राप
हिन्दू धर्मग्रन्थ पद्म पुराण के अनुसार, धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने जब उत्पात मचा रखा था, तब भगवान ब्रह्मा जी ने उसका वध किया था।
इस दौरान भगवान के हाथों से तीन जगहों पर पुष्प गिरा था, इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बन गई।
जिनमें से एक झील पुष्कर है। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी ने यज्ञ करने का फैसला किया।
अब यज्ञ में पूर्णाहुति के लिए धर्मपत्नी का होना जरूरी होता है और सरस्वती माता के न मिलने से उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक कन्या ’गायत्री’ से विवाह कर इस यज्ञ को पूर्ण किया।
इसी दौरान माता सरस्वती भी वहां पहुंच गई और ब्रह्मा जी के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो गईं।
माता ने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी।
बाद में सभी देवताओं के समझाने पर इस श्राप के असर को कम करने के लिए माता ने यह वरदान दिया कि एक मात्र पुष्कर में उनकी उपासना संभव होगी।
अब इस यज्ञ को पूर्ण करने में भगवान विष्णु ने भी ब्रह्मा जी की सहायता की थी। इसलिए देवी सरस्वती ने विष्णु जी को भी श्राप दिया था कि उन्हें पत्नी से विरह का कष्ट भोगना होेगा।
जिसके चलते रामावतार में भगवान नारायण को भी राम जी के रूप में 14 साल के वनवास के दौरान सीता माता से अलग होना पड़ा था।
कब हुआ था ब्रह्मा मंदिर का निर्माण
ब्रह्मा जी का ये मंदिर पुष्कर झील के किनारे स्थित है।
भगवान ब्रह्मा जी पुष्कर में विराजमान है। इस पुष्कर मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में किया गया था।
मंदिर में एक सुंदर नक्काशीदार चांदी का कछुआ है, जो संगमरमर के फर्श पर स्थापित किया गया है।
मंदिर के गर्भगृह में गायत्री माता के साथ ब्रह्मा जी की चार मुखी मूर्ति है।