आमेर के राजा मान सिंह : जिस राजा को कहा गया गद्दार उसने करवा दिए इतने गजब के काम

राजा मानसिंह आमेर अकबर के नवरत्नों में एक और आमेर के राजा थे | मानसिंह का जन्म आमेर के राजा भगवन्तदास की रानी भगोती (भगवती) ‘पंवारजी’ से 21 दिसम्बर 1550 ई. को हुआ था |

amer fort jaipur

मानसिंह आमेर के इतिहास को लेकर हो पुनर्मूल्यांकन 


आमेर के राजा मान सिंह की जयंती बुद्धवार को जयपुर में मनाई गई | इस दौरान सामाजिक कार्यकर्त्ता शक्ति सिंह बांदीकुई और तेज सिंह राजावत ने मान सिंह आमेर को अपने अंदाज में याद किया |

शक्ति सिंह बांदीकुई ने सुबह मान सिंह आमेर की बड़ी प्रतिमा चांदपोल के हनुमान मंदिर,सांगानेर मंदिर,आमेर के अम्बिकेश्वर महादेव मंदिर में भेंट की | बांदीकुई ने बताया कि एक दोहा समाज में प्रचलित है कि.

 'सांगानेर को संगो बाबो जैपुर को हड़मान 
आमेर की शिलादेवी ल्यायो राजा मान '

अर्थात राजा मान सिंह आमेर ने ही इन मंदिरो का निर्माण करवाया लेकिन जानकारी के आभाव में लोगो को पता नहीं है | इसलिए जिन मंदिरो का निर्माण राजा मान सिंह आमेर ने करवाया उन मंदिरो में उअन्कि एक तश्वीर तोकम से कम लगी होनी चाहिए | 


कौन थे मानसिंह आमेर ?

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राजा मानसिंह आमेर अकबर के नवरत्नों में एक और आमेर के राजा थे | मानसिंह का जन्म आमेर के राजा भगवन्तदास की रानी भगोती (भगवती) ‘पंवारजी’ से 21 दिसम्बर 1550  ई. को हुआ था | मानसिंह अपने पिता भगवंतदास की मृत्यु के बाद आमेर के शासक बने |

मानसिंह अकबर के सबसे विश्वासपात्रो में से एक और कुशल सेनापति थे | उन्होंने अपने नेतृत्व में बंगाल उड़ीसा से लेकर बिहार तक विजयी अभियान किये |

मानसिंह ने अपना ज्यादातर समय युद्ध के मैदान में बिताया| उनके बारे में उल्लेख है कि उड़ीसा का जगन्नाथपूरी का मंदिर मानसिंह आमेर की वजह से ही सुरक्षित है | जब उड़ीसा के पठान सुल्तान ने जगन्नाथ पुरी के मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद बनाने की कोशिश की थी

तो इसकी सूचना राजा मान सिंह को मिली| मानसिंह सूचना मिलते ही एक बड़ी सेना लेकर उड़ीसा पहुँच गए पठानों के खिलाफ जंग छेड़कर उन्हें परास्त कर दिया  | इसके अलावा भी मानसिंह को वृन्दावन सहित बनारस के अनेक मंदिरो का उध्दारक बताया जाता है |

वृन्दावन में सात मंजिला  कृष्ण मंदिर का निर्माण भी मानसिंह आमेर ने करवाया था | बनारस के क्षत - विक्षत पड़े अनेक मंदिरो का जीर्णोध्दार करवाने का श्रेय भी सिंह को जाता है | 

एक दूसरा तथ्य जो मानसिंह आमेर के बारे में प्रचलित है वह यह कि उनके समकालीन लगभग सभी संतो से उनके अच्छे संबंध थे | संत दादूदयाल और भक्तशिरोमणि मीरा की संगत उन्हें अच्छी लगती थी |

एक युद्ध में मानसिंह आमेर के पुत्र जगत सिंह जब वीरगति को प्राप्त हुए तो मानसिंह की रानी कनकावती ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में एक मंदिर बनवाया जिसे जगत शिरोमणि मंदिर कहा जाता है |

इस मंदिर में कृष्ण की जो मूर्ति स्थापित है वह वही मूर्ति है जिसकी पूजा मीरा बचपन में किया करती थी | कहा जाता है कि मानसिंह को वह मूर्ति खुद मीरा ने उपहारस्वरूप भेंट की थी | 


जयपुर में लगे मानसिंह आमेर की भव्य प्रतिमा 

मान सिंह आमेर के बारे में बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता शक्ति सिंह बांदीकुई ने उन्हें सनातन धर्म रक्षक और एक महान सेनापति बताया |

साथ ही यह भी कहा कि यह बिडम्बना ही है कि इतने महान राजा जिनका इतिहास और स्थापत्य कला में इतना बड़ा योगदान हो उनकी जयपुर या फिर आमेर में एक प्रतिमा तक नहीं है| बांदीकुई ने यह मांग उठाई कि जयपुर में उनकी एक भव्य प्रतिमा होनी चाहिए ताकि युवा पीढ़ी आमेर के इस्त्ने महान शासक के बारे में जान पाए |