पेपर लीक-भ्रष्टाचार: मुद्दे एक, फिर भी सचिन पायलट ने आज नहीं दिया भाजपा का साथ, आखिर क्यों?

ये पेपर लीक मामला वहीं है जिसको लेकर कांग्रेस के ही दिग्गज नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।  अब ये बात कुछ और है कि आज हुए भाजपा के पेपर लीक और भ्रष्टाचार मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन पर सचिन पायलट की जरा भी आवाज नहीं निकली। 

Sachin Pilot

जयपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले  पेपर लीक मामला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए गले की फांस बनता जा रहा है।

मंगलवार को राजस्थान भाजपा ने इस मामले को लेकर सीएम गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए और प्रदेश कार्यालय से पैदल मार्च करते हुए सचिवालय की ओर कूच किया।

ये पेपर लीक मामला वहीं है जिसको लेकर कांग्रेस के ही दिग्गज नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। 

अब ये बात कुछ और है कि आज हुए भाजपा के पेपर लीक और भ्रष्टाचार मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन पर सचिन पायलट की जरा भी आवाज नहीं निकली। 

माना पायलट के लिए भाजपा विरोधी पार्टी है लेकिन दोनों के मुद्दे तो एक ही हैं।

आज से कुछ समय पहले सचिन पायलट ने ही इन्हीं मुद्दों पर कार्रवाई की मांग को लेकर अजमेर से लेकर जयपुर तक जन संघर्ष यात्रा निकाली थी।

यहीं नहीं, पायलट ने बाद में जयपुर में रैली के जरिये प्रदर्शन कर इस मसले पर कार्रवाई के लिए अपनी ही सरकार को अल्टीमेटम भी दिया था।

और तो और... पायलट इसी मामले को लेकर एक दिन के अनशन पर भी बैठे थे।

लेकिन जब इन मुद्दों को लेकर भाजपा ने गहलोत सरकार पर हमला बोला तो पायलट एकदम खामोश बैठे रहे।

क्या पार्टी अलग होने से जनता के हितों के लिए उठाई जा रही आवाज भी अलग हो जाती है ?

लेकिन ये भी हर बार देखा गया है कि, सचिन पायलट अपनी कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद वफादार दिखाई दिए हैं। 

इन साढ़े चार सालों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कई बार टकराव की स्थिति के बाद सियासी गलियारों में ये तक खबरें आग की तरफ फेलती रही कि सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ रहे हैं, लेकिन हर बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

अभी की ताजा स्थिति ही ले लीजिए... 11 जून को पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर ये अटकलें लगाई जा रही थी कि अब तो पायलट बड़ा कदम उठाएंगे और कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी बनाएंगे, लेकिन इस बार भी पिछली बार की तरह ही सब अटकलें  धरी की धरी रह गई। 

तो ऐसे में हम आज भी ये मान सकते हैं कि सचिन पायलट ने अपनी कांग्रेस पार्टी के चक्कर में ही पेपर लीक और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर शांत रहना ही उचित समझा होगा।