जीत के लिए भाजपा की तैयारी: तो क्या इस बार सीएम अशोक गहलोत के सामने होंगे गजेन्द्र सिंह शेखावत

इस बार भाजपा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सरदारपुरा सीट पर भाजपा के केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को चुनावी मैदान में उतार सकती है। इसी के साथ पार्टी सीएम गहलोत के सामने राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत को भी चुनावी चेहरा बना सकती है। 

Gajendra Singh Shekhawat - Ashok Gehlot

जयपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए भाजपा और कांग्रेस में सीटों के लिए जबरदस्त मंथन चल रहा है। 

भाजपा किसी भी तरह से कांग्रेस से सत्ता हथियाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। ऐसे में भाजपा का ज्यादा फोकस उन सीटों पर है जिन्हें वह निकाल पाने में अभी तक असफल रही है। 

भाजपा ने 19 सीटों को बेहद कमजोर माना है। ऐसे में उन सीटों पर पार्टी अब बड़े नेताओं को चुनावी मैदान में उतार सकती है।

हालांकि मीडिया में यह चर्चा है, लेकिन अभी तक इस तरह का अधिकारिक निर्णय या माहौल भी नजर नहीं आता।

परन्तु यह माना जा रहा है कि शेखावत के बजाय जैतारण के विधायक अविनाश गहलोत को यदि यहां भाजपा मौका देती है तो निश्चित तौर पर पूरे मारवाड़ के चुनावी समीकरण अलग ही रंगों से सराबोर होंगे।

ऐसे में बीजेपी के जैतारण सीट भी आसानी से सध सकती है, जहां दिलिप चौधरी के कारण कांग्रेस 2008 के अलावा हर बार परेशानी में फंसती रही है।

कहा जा रहा है कि कांग्रेस का खेमा पूर्व मंत्री सुरेन्द्र गोयल से भी संपर्क साध रहा है कि वे अबकी कांग्रेस का दामन थाम ले। 

इन नेताओं में लोकप्रिय नेताओं के साथ-साथ सांसद भी शामिल हैं। 

सीएम गहलोत के सामने गजेन्द्र शेखावत या राजेन्द्र गहलोत

सूत्रों की माने तो इस बार भाजपा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सरदारपुरा सीट पर भाजपा के केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को चुनावी मैदान में उतार सकती है। 

इसी के साथ पार्टी सीएम गहलोत के सामने राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत को भी चुनावी चेहरा बना सकती है। 

दरअसल, ऐसा करते हुए भाजपा जातिगत समीकरण साधने की कोशिश में लगी हुई है। 

गौरतलब है कि सीएम गहलोत और शेखावत के बीच जबरदस्त बयानबाजी देखी जाती रही है। दोनों के बीच जमकर शब्दों के तीर चलते हैं।

इसके अलावा शेखावत ने दिल्ली कोर्ट में सीएम गहलोत के खिलाफ उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाकर मानहानि का केस भी दायर किया हुआ है। 

ऐसे में अगर दोनों के बीच चुनावी मुकाबला होता है तो ये भी बेहद ही रोमांचक होने की उम्मीद है। 

दांतारामगढ़ पर जीत को तरस रही 

भाजपा के लिए सालों से दातारामगढ़ सीट परेशानी बनी हुई है। 1980 में भाजपा के गठन के बाद से आज तक भाजपा इस सीट पर जीत के लिए तरस रही है।

लाखों कोशिशों के बावजूद भाजपा इस सीट को निकाल पाने में असफल रही है। 

ऐसे में इस बार यहां से सैनिक कल्याण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व विधायक प्रेम सिंह बाजौर को चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। 

माना जा रहा है कि इस बार पार्टी यहां जातिगत समीकरण बदल कर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। 

राजस्थान में भाजपा कर्नाटक में की गई गलतियों को दोहराना नहीं चाहती हैं और यहां फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। 

गौरतलब है कि राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने जा रहे है, हालांकि अभी तक चुनावी तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन भाजपा-कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी भी राजस्थान में दस्तक देने की कोशिश में लगी हुई है।