Rajasthan: बाड़मेर के मौलवी के फोन से 3 लाख हिडन फोटो, बड़ी साजिश का खुलासा
राजस्थान (Rajasthan) के बाड़मेर (Barmer) से गिरफ्तार मौलवी ओसामा उमर (Moulvi Osama Umar) के फोन से एटीएस (ATS) ने 3 लाख हिडन फोटो (hidden photos) बरामद किए हैं। वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से संपर्क में था।
जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) के बाड़मेर (Barmer) से गिरफ्तार मौलवी ओसामा उमर (Moulvi Osama Umar) के फोन से एटीएस (ATS) ने 3 लाख हिडन फोटो (hidden photos) बरामद किए हैं। वह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से संपर्क में था।
आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने विदेशी फंडिंग और आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से संपर्क के मामले में बाड़मेर के सांचौर निवासी मौलवी ओसामा उमर को 6 नवंबर को गिरफ्तार किया था। उसकी गिरफ्तारी के बाद से ही एटीएस की टीम लगातार उससे पूछताछ कर रही थी, जिसके दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
3 लाख हिडन फोटो और बड़ी साजिश का खुलासा
एटीएस की जांच में सामने आया है कि मौलवी ओसामा उमर के मोबाइल फोन से 3 लाख से अधिक डिलीट की गई और 'हिडन स्पेस' में छिपाई गई तस्वीरें बरामद हुई हैं। इन तस्वीरों के साथ-साथ बड़ी संख्या में संदिग्ध सामग्री भी मिली है, जो उसकी भारत विरोधी गतिविधियों और एक बड़ी साजिश का हिस्सा होने की ओर इशारा करती है। यह बरामदगी एटीएस के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है।
आईजी विकास कुमार ने बताया कि एटीएस की कई विशेष टीमें इन बरामद फोटो और संदिग्ध सामग्री की गहनता से जांच कर रही हैं। इन तस्वीरों और डेटा का विश्लेषण करके मौलवी के नेटवर्क, उसके संपर्कों और उसकी भविष्य की योजनाओं को समझने का प्रयास किया जा रहा है। यह डेटा कई अन्य महत्वपूर्ण सुराग उपलब्ध करा सकता है।
'हिडन स्पेस' ने खोला राज, एफएसएल की भूमिका
आरोपी ओसामा ने अपनी संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ी जानकारी को छिपाने के लिए अपने मोबाइल फोन में एक विशेष 'हिडन स्पेस' बना रखा था। यह एक ऐसी गुप्त जगह थी, जहां वह अपनी निजी और संवेदनशील सामग्री को छुपा कर रखता था, ताकि सामान्य जांच में उसे पकड़ा न जा सके। मोबाइल को देखने पर उसका सारा डेटा डिलीट किया हुआ प्रतीत होता था, जिससे जांचकर्ताओं को गुमराह किया जा सके।
एटीएस ने इस तकनीकी चुनौती को समझते हुए आरोपी ओसामा के मोबाइल को राजस्थान एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) के पास भेजा। एफएसएल के निदेशक डॉ. अजय शर्मा ने पुष्टि की कि उनके विशेषज्ञों ने मोबाइल के 'हिडन स्पेस' को सफलतापूर्वक खोज निकाला। उन्होंने बताया कि इस छिपे हुए हिस्से से ही 3 लाख संदिग्ध तस्वीरें और अन्य महत्वपूर्ण डेटा बरामद किया गया, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट एटीएस को सौंप दी गई है। यह तकनीकी सफलता जांच में मील का पत्थर साबित हुई है।
टीटीपी से प्रभावित, अफगानिस्तान जाने की थी तैयारी
एटीएस की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि मौलवी ओसामा उमर पिछले चार साल से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे कट्टरपंथी आतंकी संगठन से गहराई से प्रभावित था। वह सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स के जरिए इन संगठनों के संपर्क में आया और लगातार टीटीपी के भड़काऊ वीडियो और सामग्री देखता था, जिसने उसकी विचारधारा को पूरी तरह से कट्टरपंथी बना दिया था।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, ओसामा उमर 8 नवंबर को दुबई के रास्ते अफगानिस्तान जाने की फिराक में था। उसका मुख्य मकसद वहां जाकर आतंकी ट्रेनिंग प्राप्त करना था और भारत में बड़ी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना था। हालांकि, एटीएस की मुस्तैदी और समय पर की गई कार्रवाई से उसकी यह खतरनाक योजना विफल हो गई और उसे अपनी साजिश को अंजाम देने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। उसके मोबाइल में उर्दू और फारसी भाषा में कई संदिग्ध संदेश भी मिले हैं, जिनकी जांच विशेषज्ञों द्वारा की जा रही है।
विदेशी फंडिंग और अन्य संदिग्धों की भूमिका
एटीएस ने प्रारंभिक तौर पर संदिग्ध गतिविधियों और व्यवहार के आधार पर ओसामा सहित पांच लोगों को हिरासत में लिया था। इन सभी पर भारत विरोधी गतिविधियां संचालित करने के लिए विदेश से धन प्राप्त करने का आरोप था। जयपुर एटीएस मुख्यालय में कई दिनों तक गहन पूछताछ के बाद अन्य चार लोगों को छोड़ दिया गया, जबकि ओसामा उमर को विदेशी लोगों से मिलीभगत और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग के पुख्ता प्रमाण मिलने पर गिरफ्तार कर लिया गया।
एटीएस अब इस बात का पता लगा रही है कि विदेश में रहकर कौन-कौन से व्यक्ति या संगठन भारत विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग कर रहे हैं। साथ ही, ओसामा से संपर्क रखने वाले अन्य लोगों की भूमिका की भी बारीकी से जांच की जा रही है, ताकि इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके। ओसामा को रिमांड अवधि पूरी होने पर शनिवार को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।
राजस्थान में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
मौलवी ओसामा उमर की गिरफ्तारी ने राजस्थान में सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। जयपुर में मई 2008 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट के बाद से ही आतंकी संगठनों ने कई बार प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश की है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से उनके मंसूबे हमेशा नाकाम रहे हैं।
ओसामा की गिरफ्तारी और टोंक के मालपुरा में एक डॉक्टर के पकड़े जाने के बाद राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियां, एटीएस और इंटेलिजेंस विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर आ गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और संदिग्ध गतिविधियों वाले व्यक्तियों पर पैनी निगाह रखी जा रही है। एटीएस ने ओसामा के साथ पकड़े गए चार अन्य लोगों को कट्टरवाद से बाहर निकालने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है, जो समाज में ऐसे तत्वों के बढ़ते प्रभाव को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।