Rajasthan: सीपी जोशी क्या चित्तौड़गढ़ से ही चुनाव लड़ेंगे और यदि लड़ेंगे तो वे ​बागियों को कैसे मैनेज करेंगे

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यही नहीं विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के सबसे बड़े प्रदेश के अध्यक्ष अपने बूथ से भी अपने प्रत्याशी को मात्र 13.95 फीसदी वोट ही दिला सके। लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से मावली पर कांग्रेस और चित्तौड़ पर निर्दलीय जीते। शेष बेगूं, कपासन, वल्लभनगर, प्रतापगढ़, निम्बाहेड़ा और बड़ी सादड़ी पर भाजपा जीती है।

बीजेपी के अध्यक्ष सीपी जोशी और चन्द्रभानसिंह आक्या की अदावत लोकसभा चुनाव में क्या रंग लाएगी। सवाल राजनीतिक फिजाओं में गूंज रहा है। उसी मेवाड़ ​की,​ उसी चित्तौड़ की फिजाओं में जो चित्तौड़ उस वक्त भी दिल्ली से भिड़ गया था।

आक्या ने बागी होकर चुनाव लड़ा और बीजेपी के प्रत्याशी जमानत बचाने को तरस गए थे। पूर्व सीएम के दामाद और मंत्री रहे राजवी के कॅरियर का समापन इस तरह होगा, किसी ने सोचा ही नहीं था।

यही नहीं विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के सबसे बड़े प्रदेश के अध्यक्ष अपने बूथ से भी अपने प्रत्याशी को मात्र 13.95 फीसदी वोट ही दिला सके। लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से मावली पर कांग्रेस और चित्तौड़ पर निर्दलीय जीते। शेष बेगूं, कपासन, वल्लभनगर, प्रतापगढ़, निम्बाहेड़ा और बड़ी सादड़ी पर भाजपा जीती है।

विधानसभा चुनावों में जीत का अंतर 45 हजार वोटों का बीजेपी—कांग्रेस के बीच इस लोकसभा क्षेत्र में बचा है। इनमें से भी यदि बेगूं को  निकाल दें तो बाकी सीटों के कुल वोटों के जोड़ में बीजेपी पीछे रह जाती है। सीपी जोशी क्या चित्तौड़गढ़ से ही चुनाव लड़ेंगे और यदि लड़ेंगे तो वे ​बागियों को कैसे मैनेज करेंगे? यही इस विश्लेषण में प्रदीप बीदावत के साथ...

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