Rajasthan: कांग्रेस से अमीन खान और बालेन्दु शेखावत का निष्कासन कई सवालों का जवाब भी मांगता है

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दो सिपाही कांग्रेस ने जिबह कर दिए हैं, छह साल के लिए...। एक का नाम अमीन खान है और दूसरे बालेन्दु शेखावत...। बर्खास्त कर दिए गए हैं पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए। अमीन खान अपनी साफगोई के लिए पहचाने जाते हैं। और बालेन्दु तथा उनके पिता दीपेन्द्रसिंह सचिन पायलट के  प्रति निष्ठा के लिए...। यही निष्ठा उनकी बर्खास्तगी का मूल कारण बनी है। बाकी जालोर वाला मामला तो तात्कालिक है।

जयपुर । अमीन खान और बालेन्दु शेखावत को लेकर कांग्रेस आलाकमान से कड़ा फैसला लिया है। दोनों को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है और इस पर बात करनी बनती है।

जंग में कत़्ल सिपाही होंगे
सुर्खरु ज़िल्ले इलाही होंगे

मौज रामपुरी याद आते हैं। दो सिपाही कांग्रेस ने जिबह कर दिए हैं, छह साल के लिए...। एक का नाम अमीन खान है और दूसरे बालेन्दु शेखावत...। बर्खास्त कर दिए गए हैं पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए। अमीन खान अपनी साफगोई के लिए पहचाने जाते हैं। और बालेन्दु तथा उनके पिता दीपेन्द्रसिंह सचिन पायलट के  प्रति निष्ठा के लिए...। यही निष्ठा उनकी बर्खास्तगी का मूल कारण बनी है। बाकी जालोर वाला मामला तो तात्कालिक है।

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अंधेरा होगा। 

निदा फाजली को याद करते हुए अमीन खां तो शायद उसी राह पर बढ़े थे और समर्थन रविन्द्रसिंह भाटी को दे बैठे। परन्तु अमीन खां और बालेन्दु कितना भी सच के साथ हों उन्होंने शायद अशरफ मालवी को नहीं पढ़ा जो लिखते हैं कि

हुकूमत से एजाज़ अगर चाहते हो
अंधेरा है लेकिन लिखो रोशनी है

परन्तु अशोक गहलोत खेमे की मुश्किलात भी बढ़ सकती है यदि हम बर्खास्तगी वाले दोनों पत्रों से आगे बढ़कर राजेन्द्र राठौड़ का पत्र पढ़ें। अशोक गहलोत पर लोकेश शर्मा के लगाए आरोपों को कानूनी जमा पहनाने और कार्यवाही की मांग कर डाली है राठौड़ ने...। उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। 

अशोक गहलोत भी अपनी आस्तीन चेक कर शायद खुर्शीद अकबर को याद करते हुए सोच रहे होंगे कि वक्त कितना क्रूर होता है।

सरों पर ताज रक्खे थे क़दम पर तख़्त रक्खा था 
वो कैसा वक़्त था मुट्ठी में सारा वक़्त रक्खा था 

लोकतंत्र में फोन टेपिंग और जासूसी बड़े मामले हैं। भारत में ही कई सरकारें चली गईं। परन्तु अब क्या एक्शन होगा। अशोक गहलोत ने सियासी बयान दे दिया है और कह डाला है कि लोकतंत्र खतरे में है और इस दौर में कुछ भी हो सकता है। पता ही नहीं चलता कि 

कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर 
क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या 

राजस्थान की राजनीति अब फिर से उबाल लेने वाली है। लगता है कि इस उबाल के लिए जो आंच लगानी है उसके लिए कागज राजेन्द्र राठौड़ ने डाला है, लेकिन सवा महीने के इंतजार के बाद आग जोर पकड़ेगी। मई महीने में राजस्थान की सरकार के बड़े नेता अलग—अलग प्रदेशों में प्रचार पर रहेंगे। ऐसे में सीधे तौर पर लग रहा है कि सिस्टम मसाले पकाएगा कि किस आंच पर कितना वक्त किसे देना है और कैसे पकाया जाना है

। इसी बीच अशोक गहलोत शायद उम्मीद कर रहे होंगे कि बेटे वैभव गहलोत किसी तरह संसद पहुंच जाएं। किसी तरह लोकसभा सदस्य की शपथ ले लें, लेकिन यह तो जनता ने क्या निर्णय दिया है उस पर निर्भर करता है।

अमीन खां दिन को दिन और रात को रात कहने वाले आदमी है। दीन ईमान वाले ऐसे नेता जिसे कहा जा सकता है कि नेहरू गांधी पटेल के दौर की कांग्रेस को कभी देखना हो तो अमीन खां से मिलिए। उनका वह भाषण पढ़िए जब उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त किया गया था। दीपेन्द्रसिंह शेखावत अध्यक्ष थे विधानसभा के और अमीन खां को मौका दिया कि महिला राष्ट्रपति वाले मामले

थोड़ा आपको बयान के बारे में बता देते हैं।बात फरवरी 2011 की है। उस समय गहलोत प्रदेश के सीएम थे और अमीन अल्पसंख्यक मंत्री। हुआ यूं था कि पाली में कांग्रेस की बैठक ले रहे थे प्रभारी मंत्री के नाते अमीन खान। जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कहा कि लोगों के काम नहीं हो रहे हैं और कमेटियों में तथा सरकारी पदों पर नियुक्तियां नहीं हुई हैं।इस पर अमीन खान बोले थे कि कांग्रेस में समर्पित कार्यकर्ता को एक दिन जरूर अच्छा मौका मिलता है।

उन्होंने कहा कि जब इंदिरा गांधी चुनाव नहीं जीतीं तब भी प्रतिभा पाटिल ने उनका साथ नहीं छोड़ा। वे साथ रहती थीं और एक किचन में खाना बनाती थीं, आज श्रीमती पाटिल राष्ट्रपति हैं। जयपुर से एक मीडिया हाउस ने इसे उठाया और ऐसे प्रचारित किया कि प्रतिभा पाटिल का अपमान अमीन खान ने किया। अमीन खान को मंत्री पद छोड़ना पड़ा। विधानसभा में बोलते हुए अमीन खान ने कहा कि उनके खिलाफ एक षड्यंत्र रचा गया और वे उसे तोड़ नहीं पाए। उनके मन में कतई राष्ट्पति के अपमान की भावना नहीं थी।

अमीन खां बाद में फिर मंत्री बनाए गए थे, लेकिन 2018 में अशोक गहलोत वाली सरकार में अमीन खां मंत्री पद नहीं पा सके और अशोक गहलोत के निशाने पर ही रहे। कांग्रेस चूंकि पुरानी परम्पराओं के कुछ चिह्न दिखाकर वोट मैनेजमेंट करती है और अमीन खां को भी लगातार दस बार एक ही विधानसभा शिव से टिकट दिया जाना इसी मैनेजमेंट का उदाहरण है। अब उन्हें टर्मीनेट किया गया है तो इससे यह लगता है कि कांग्रेस के प्रभारी ने मूल्य और सिद्धान्त वाली कांग्रेस को ही टर्मीनेट कर दिया है।

बालेन्दु शेखावत ​का जो टर्मीनेशन हुआ है, वह इसी वजह से हुआ है कि उन्होंने जालोर के राजपूतों में जाकर यह प्रचार किया कि वैभव गहलोत को वोट ​नहीं दिया जाना है। बस साहब को खटक गई और बालेन्दु कांग्रेस से आउट।

जो बंदा कभी उस इलाके का सह प्रभारी था और प्रदेश का सचिव था। वह आउट हो गया है। बालेन्दु के पिता दीपेन्द्रसिंह शेखावत को अशोक गहलोत ने उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष बनाया था जब वे दूसरी बार सीएम बने थे और उनके पास सिर्फ 96 विधायक थे।

दीपेन्द्रसिंह शेखावत ने बसपा के विधायकों का विलय करवाया और उस विधायी सदन को कम बहुमत के बावजूद अशोक गहलोत के लिए पांच साल मैनेज करते रहे। हालांकि जब पायलट अध्यक्ष बने और कांग्रेस की कमान उनके हाथ में रही तो दीपेन्द्रसिंह एक कांग्रेसी के नाते उनके समर्थन में काम करते रहे। जब पाला बदलने की बात आई तो दीपेन्द्र ने इनकार कर दिया। गहलोत

मुख्यमंत्री बने तो दीपेन्द्रसिंह जो कि अशोक गहलोत से भी पुराने कांग्रेसी हैं उन्हें कोई बड़ा पद नहीं दिया गया।

राजेन्द्र गुढ़ा सिरोही में बोल गए कि 2023 में श्रीमाधोपुर में अशोक गहलोत की टीम घूम—घूमकर श्रीमाधोपुर में दीपेन्द्रसिंह के खिलाफ प्रचार करती रही और दीपेन्द्रसिंह चुनाव हार गए। अब यही तो सियासत है बालेन्दु जालोर पहुंचे और उन्होंने भी वैसा कुछ किया बताया।

बालेन्दु ने अपना बदला लिया और गहलोत खेमे ने अपना बदला भी ले लिया गया है। यह वही अमीन खान है जिन्होंने हमसे नवम्बर 2023 में बात करते हुए कहा कि पायलट ने कांग्रेस के साथ गलत किया।

इरतिजा निशात कहते हैं कि 

कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है 
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते

अशोक गहलोत कहते रहे कि कुर्सी मुझे नहीं छोड़ रही। मैं छोड़ना चाहता हूं, लेकिन...! खैर छोड़िए!!  अमीन खान और बालेन्दु के बहाने से हम राजनीतिक बदलों का इतिहास देखें तो उसमें नवोदितता या उम्रदराजी नहीं देखी जाती। उसमें यह भी नहीं देखा जाता है कि व्यक्ति संभावनाशील है या नहीं, मूल्य और सिद्धान्त भी नहीं देखे जाते। यहां तक कि पूरा जीवन समर्पित करने वाले अमीन खान भी नहीं देखे जाते। यहां भी नहीं देखे गए हैं। 

अब है कि फोन टैपिंग को सचिन पायलट, कांग्रेस आलाकमान कैसे लेता है और कैसे लेता है राजस्थान का ​सरकारी सिस्टम, जिस पर तमाम तरह के आरोप हैं।

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