ग्रीष्म संक्रांति: एस्ट्रो नाइट स्काई टूरिज्म कार्यक्रम के तहत हुआ आयोजन

एस्ट्रो नाइट स्काई टूरिज्म कार्यक्रम के तहत हुआ आयोजन
प्रीति वैष्णव एवं गोविंद दाधीच द्वारा ग्रीष्म संक्रांति के विषय में प्रेजेंटेशन
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Highlights

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के संयुक्त तत्वाधान में ग्रीष्म संक्रांति कार्यक्रम का आयोजन

जंतर-मंतर के 17वीं सदी में स्थापित उपकरणों की कार्यप्रणाली से रूबरू करवाया।

जयपुर। जयपुर के जंतर-मंतर पर शुक्रवार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) और पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग (Archeology and Museum Department) के संयुक्त तत्वाधान में ग्रीष्म संक्रांति कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम में विशेष विशेषज्ञों (special experts) ने देशी-विदेशी पर्यटकों, आमजन एवं प्रतिभागियों (participants) को 21 जून को सबसे बड़ा दिन एवं सबसे छोटी रात के सिद्धान्त को ग्रीष्म संक्रांति के माध्यम से जंतर-मंतर के 17वीं सदी में स्थापित उपकरणों (devices) की कार्यप्रणाली से रूबरू करवाया।

एस्ट्रो नाइट स्काई टूरिज्म (Astro Night Sky Tourism) कार्यक्रम के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology) के सचिव वी. श्रवण कुमार की मौजूदगी में आयोजित हुए आयोजन में विशेष विशेषज्ञों (special experts) द्वारा ग्रीष्म संक्रांति खगोलीय घटना (astronomical phenomenon) की जानकारी देते हुए घटना के वैज्ञानिक दृष्टिकोण (scientific approach) पर भी प्रकाश डाला।

जंतर-मंतर के कन्वेंशन सेंटर (Convention Center) में विषय विशेषज्ञों प्रीति वैष्णव एवं गोविंद दाधीच द्वारा ग्रीष्म संक्रांति के विषय में प्रेजेंटेशन (presentation) के माध्यम से पर्यटकों (tourists) को विस्तृत जानकारी दी गई।

क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र (Regional Science Center) एवं साइंस पार्क (Science Park) के उपनिदेशक कैलाश मिश्रा ने बताया कि जब सूर्य अपने चरम ऊंचाई पर था तब कार्यक्रम में षषटाश यंत्र एवं दक्षिणावर्ती यंत्र पर सूर्य की ऊंचाई (sun's altitude) मापा गया। कार्यक्रम में जंतर-मंतर की अधीक्षक (superintendent) प्रतिभा यादव ने भी शिरकत की।

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