शांति केंद्र: आने वाले समय में ब्रह्माकुमारीज़ विश्व शांति के प्रयासों का प्रमुख केंद्र होगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

आने वाले समय में ब्रह्माकुमारीज़ विश्व शांति के प्रयासों का प्रमुख केंद्र होगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
संस्थान की ओर से छत्तीसगढ़ टोपी और शांति शिखर का मॉडल देकर पीएम का सम्मान किया गया
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Highlights

  1. मोदी ने कहा- इस संस्थान से मेरा अपनापन है, ब्रह्माकुमारीज़ में शब्द कम, सेवा ज्यादा है
    - शांति शिखर एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड समाज के नाम समर्पित
    - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया लोकार्पण, पीएम ने मेडिटेशन रुम में लगाया ध्यान
    - मोदी ने अपने संबोधन में अध्यात्म, विश्व शांति, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति और ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े अपने अनुभवों को किया सांझा
    - मुख्यालय आबू रोड से अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी, अतिरिक्त महासचिव राजयोगी डॉ. मृत्युंजय भाई भी रहे मौजूद

आबूरोड। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के छत्तीसगढ़ नवा रायपुर में नवनिर्मित शांति शिखर एकेडमी फॉर ए पीसफुल वर्ल्ड रिट्रीट सेंटर को समाज के नाम समर्पित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने मेडिटेशन रुम में कुछ समय ध्यान भी लगाया। शांति शिखर के विशाल ऑडिटोरियम में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में अध्यात्म, विश्व शांति, पर्यावरण संरक्षण, संस्कृति और ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े अपने अनुभवों को किया सांझा। मंच पर राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, संस्थान की अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी, अतिरिक्त महासचिव राजयोगी डॉ. मृत्युंजय भाई भी रहे मौजूद।

 रिमोट दबाकर शिला पटि्टका का अनावरण करते पीएम मोदी


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ ने स्वयं ही नहीं विश्व और ब्रह्मांड में शांति के प्रयासों से जोड़ा है। आपका पहला संबोधन ही ओम शांति है। ओम अर्थात् ब्रह्म और संपूर्ण ब्रह्मांड। शांति अर्थात् शांति ही कामना है। इसलिए ब्रह्माकुमारी के विचारों का हर किसी के अंतर्मन पर इतना प्रभाव पड़ता है। हमारा अध्यात्म हमें सिर्फ शांति का पाठ ही नहीं सिखाता, वह हमें हर कदम पर शांति की राह भी दिखाता है।

मंचासीन पीएम मोदी, राज्यपाल, मुख्यमंत्री व ब्रह्माकुमारीज़ के पदाधिकारी।


पीएम ने कहा कि हम वो हैं, जो जीव में शिव को देखते हैं। हम वो हैं, जो स्व में सर्वस्व को देखते हैं। हमारे यहां हर धार्मिक अनुष्ठान जिस उद्घोष के साथ पूरा होता है... वो उद्घोष है- विश्व का कल्याण हो! वो उद्घोष है- प्राणियों में सद्भावना हो। विश्व शांति की अवधारणा, ये भारत के मौलिक विचार का हिस्सा हैं। राज्य के विकास से देश का विकास, इसी मंत्र पर चलते हुए हम भारत को विकसित बनाने के अभियान में जुटे हैं। विकसित भारत की इस अहम यात्रा में ब्रह्माकुमारीज़ जैसी संस्था की अहम भूमिका है। आज दुनिया में कहीं कोई संकट आता है, कोई आपदा आती है भारत एक भरोसेमंद साथी के तौर पर मदद के लिए आगे पहुंचता है। भारत फर्स्ट रिस्पांडर होता है। मैंने हमेशा अनुभव किया है, ब्रह्माकुमारीज़ में शब्द कम, सेवा ज्यादा है। मैं शांति शिखर की संकल्पना में उनके (दादी जानकी) विचारों को साकार होते हुए देख रहा हूं। मैंने इस आध्यात्मिक आंदोलन को वटवृक्ष की तरह विशाल होते देखा है।

 रंगोली का अवलोकन करते पीएम

यहां शब्द कम, सेवा ज्यादा है-
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है आचार्य परमोधर्म:, आचार्य परमोतपं, आचार्य परमज्ञानमं, आचार्य किं साध्यते अर्थात आचरण ही सबसे बड़ा धर्म है, आचरण ही सबसे बड़ा तप है और आचरण ही सबसे बड़ा ज्ञान है। आचरण से क्या कुछ सिद्ध नहीं हो सकता है। बदलाव तब होता है, जब अपने कथन और करनी में उतारा जाए और यही ब्रह्माकुमारी संस्था की आध्यात्मिक शक्ति का स्त्रोत है। जहां हर बहन पहले कठोर तप और साधना में खुद को तपाती है। समाज को सशक्त करने में ब्रह्माकुमारी जैसे संस्थाओं की अहम भूमिका है।

मोदी ने ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े अनुभव किए सांझा-
ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े अपने अनुभव सांझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मेरा तो सौभाग्य रहा है कि मैं बीते कई दशकों से आप सबके साथ जुड़ा हुआ हूं। मैं यहां अतिथि नहीं हूं, मैं आपका ही हूं। इस संस्थान से मेरा अपनापन है। खासकर जानकी दीदी का स्नेह, राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी जी का मार्गदर्शन यह मेरी जीवन की विशेष स्मृतियों का हिस्सा है। मैं बहुत भाग्यवान रहा हूं। वर्ष 2011 में अहमदाबाद में फ्यूचर ऑफ पावर कार्यक्रम हो, वर्ष 2012 में संस्था की स्थापना के 75 वर्ष हो या वर्ष 2013 में प्रयागराज के कार्यक्रम हो, आबू जाना हो या गुजरात में किसी कार्यक्रम में जाना हो यह तो बहुत रुटीन सा हो गया था। दिल्ली आने के बाद भी आजादी के अमृत महोत्सव से जुड़ा अभियान हो, स्वच्छ भारत अभियान या जल जन अभियान इन सबसे जुड़ने का मौका हो, मैं जब भी आपके बीच आया हूं। आपके प्रयासों कोे बहुत गंभीरता से देखा है।

ऑडिटोरियम में मौजूद लोग

दुनिया के हर देश में ब्रह्माकुमारी के लोग मिले-
मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद दुनिया में मैं जहां-जहां गया, एक भी देश ऐसा नहीं होगा जहां एयरपोर्ट हो या कार्यक्रम का स्थान हो मुझे ब्रह्माकुमारीज़ के लोग नहीं मिले हों, उनकी शुभकामनाएं मेरे साथ न रहीं हों। इसमें मुझे अपनेपन का एहसास भी होता है और आपकी शक्ति का भी अंदाजा लगता है। जिन सपनों कोे लेकर आप चलें हैं वह सपने नहीं है, वह संकल्प होते हैं। आपके संकल्प पूरे हों।

संबोधित करते मोदी

यह ऊर्जा लोगों को शांति प्रयासों से जोड़ेगी-
पीएम मोदी ने कहा कि आज हमारा छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ झारखंड और उत्तराखंड की स्थापना के भी 25 वर्ष पूरे हुए हैं। देश के और भी कई राज्य अपना स्थापना दिवस मना रहे हैं। मैं इन सभी राज्यों के निवासियों को स्थापना दिवस की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज का दिन बहुत विशेष है। मुझे विश्वास है शांति शिखर जैसे संस्थान भारत के प्रयासों को नई ऊर्जा देंगे। इस संस्थान से निकली ऊर्जा देश-दुनिया के लाखों लोगों को विश्व शांति के इस विचार से जोड़ेंगी।

अध्यात्म पर बोले पीएम- अध्यात्म दिखाता है शांति की राह-
पीएम मोदी ने अध्यात्म पर कहा कि आत्म संयम से आत्म ज्ञान, आत्म ज्ञान से आत्म साक्षात्कार और आत्म साक्षात्कार से आत्म शांति, इसी पथ पर चलते हुए शांति शिखर एकेडमी में साधक वैश्विक शांति का माध्यम बनेंगे। ग्लोबल पीस के मिशन में जितनी अहमियत विचारों की होती है, उतनी ही बड़ी भूमिका व्यावहारिक नीतियों और प्रयासों की भी होती है।

भारत उस दिशा में आज अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी के साथ निभाने का प्रयास कर रहा है। पर्यावरण संरक्षण का आहृान करते हुए कहा कि आज पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के बीच भारत पूरे विश्व में प्रकृति संरक्षण की प्रमुख आवाज बना हुआ है। बहुत आवश्यक है कि प्रकृति ने हमें जो दिया है हम उसका संरक्षण और संवर्धन  करें।  


अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ परिवार की ओर से प्रधानमंत्री का हार्दिक अभिनंदन है। परमात्मा आपको उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें ताकि आपके भारत के विश्व गुरु बनाने के संकल्प को सकारात्मक ऊर्जा मिलती रहे और आपके नेतृत्व में देश आगे बढ़ता रहे।

झलकियां-
- अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने छत्तीसगढ़ी टोपी और माला पहनाकर प्रधानमंत्री का स्वागत किया।
- अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी जयंती दीदी ने शॉल पहनाकर सम्मान किया।
- परिसर में पूर्व मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी और प्रधानमंत्री मोदी की बनाई गई आकर्षक रंगोली का मोदी ने अवलोकन किया।

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