Highlights
- अल फलाह यूनिवर्सिटी का पूर्व छात्र शादाब बेग 2008 के बम धमाकों का आरोपी।
- शादाब बेग आजमगढ़ टेरर मॉड्यूल का मास्टरमाइंड था।
- बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान भाग गया था बेग।
- उसने इंडियन मुजाहिदीन के लिए कई बम धमाके किए।
फरीदाबाद: फरीदाबाद (Faridabad) की अल फलाह यूनिवर्सिटी (Al Falah University) से नए खुलासे। पूर्व छात्र मिर्जा शादाब बेग (Mirza Shadab Beig) 2008 के बम धमाकों का आरोपी है। वह आजमगढ़ टेरर मॉड्यूल का मास्टरमाइंड था, बाटला हाउस एनकाउंटर (Batla House Encounter) के बाद पाकिस्तान भाग गया।
फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी को लेकर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से पहले, यूनिवर्सिटी का एक पूर्व छात्र आजमगढ़ टेरर मॉड्यूल के जरिए भारत को दहला चुका है। अल फलाह यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका मिर्जा शादाब बेग साल 2008 से 2011 तक भारत में कई बम धमाकों का आरोपी है।
मिर्जा शादाब बेग कौन है?
आजमगढ़ का रहने वाला शादाब बेग ने अल फलाह यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद एचसीएल (HCL) में नौकरी की। इसी दौरान वह अपने स्कूली दोस्तों असदुल्ला अख्तर और आरिज खान के संपर्क में आया। इसके बाद वह कट्टरपंथी रास्ते पर चला गया।
बेग साल 2007 में दिल्ली के जाकिर नगर में रहने लगा। इस दौरान उसकी मुलाकात बाटला हाउस कांड के आरोपी आतिफ अमीन से हुई। उसने आजमगढ़ टेरर मॉड्यूल खड़ा किया। बेग ने 2008 में दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के दौरान इंडिया गेट के पास एक बच्चों के पार्क को निशाना बनाने की कोशिश की थी। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पार्क में लगाए गए बम को समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया।
पुलिस रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे
शादाब बेग को लेकर पुलिस की रिपोर्ट में भी चौंकाने वाले तथ्य दर्ज हैं। दरअसल, असदुल्ला अख्तर और आरिज खान के संपर्क में आने के बाद बेग की जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। वह जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर के भाषण सुनता था और फिलिस्तीन के वीडियो देखता था।
इसके बाद उसने इंडियन मुजाहिदीन के आजमगढ़ मॉड्यूल को खड़ा किया। इस मॉड्यूल ने देश भर में कई बम धमाके किए। पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, शादाब बेग और आजमगढ़ टेरर मॉड्यूल से जुड़े साथियों ने वाराणसी, फैजाबाद और लखनऊ की अदालतों में आईईडी लगाए। धमाकों को अंजाम देने से पहले कई मीडिया समूहों को ईमेल भेजा और हमले की जिम्मेदारी ली। यह पहली बार था जब इंडियन मुजाहिदीन ने किसी आतंकी हमले की जिम्मेदारी स्वीकार की थी।
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