गणपत हत्याकांड: न्याय के लिए परिवार की भूख हड़ताल: Jalore: गणपत सिंह हत्याकांड में CBI जांच की मांग, परिवार भूख हड़ताल पर

Ad

Highlights

  • गणपत सिंह मांडोली हत्याकांड के 16 महीने बाद भी खुलासा नहीं।
  • पीड़ित परिवार न्याय के लिए जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर।
  • आईपीएस अधिकारी के तबादले के बाद जांच ठंडे बस्ते में, परिवार की सीबीआई जांच की मांग।
  • संदिग्धों के नार्को टेस्ट में 2 करोड़ रुपये की शर्त ने जांच को रोका।

जालोर: राजस्थान (Rajasthan) के जालोर (Jalore) जिले में गणपत सिंह मांडोली (Ganpat Singh Mandoli) हत्याकांड के 16 महीने बाद भी न्याय न मिलने से हताश परिवार जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर है। उनकी अस्सी वर्षीया माँ, पत्नी और बच्चे सीबीआई (CBI) जांच की मांग कर रहे हैं।

न्याय की तलाश में एक परिवार सड़क पर आ गया है। जालोर जिले के मांडोली निवासी गणपत सिंह पुत्र रणसिंह की निर्मम हत्या 28 अगस्त 2022 को हुई थी। इस जघन्य हत्याकांड को आज सोलह माह से भी अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन प्रशासन आज तक अपराधियों का पर्दाफाश नहीं कर पाया है।

मृतक गणपत सिंह का परिवार अब न्याय की आस में जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल पर बैठा है। उनकी अस्सी वर्षीया माँ, पत्नी और छोटे बच्चे इस भीषण ठंड में न्याय की गुहार लगा रहे हैं। परिवार की बिगड़ती सेहत के बावजूद सरकार के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ हुई वार्ता भी बेनतीजा रही।

पुलिस जांच पर उठे गंभीर सवाल

करीब डेढ़ घंटे की लंबी समझाइश के बाद भी परिजन अपनी मांगों पर अडिग हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक आरोपी नहीं पकड़े जाते, उन्हें अब सरकार पर कोई भरोसा नहीं है और वे अपनी भूख हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे। पुलिस की धीमी और अविश्वसनीय जांच प्रक्रिया से हताश परिवार अब सीबीआई जांच की मांग कर रहा है।

पुलिस प्रशासन लगातार केवल आश्वासन दे रहा है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई या परिणाम आज तक सामने नहीं आया है। इस मामले की जांच कई बार बदली गई, लेकिन अपराधियों तक पहुंचने में पुलिस के हाथ खाली हैं। यह स्थिति प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

सर्व समाज का धरना और अधूरे आश्वासन

इस हत्याकांड को लेकर सर्व समाज ने कई बार धरना प्रदर्शन किया है। 9 सितंबर को रामसीन थाना के समक्ष एक विशाल धरना दिया गया था, जहाँ दस दिन के भीतर हत्याकांड का पर्दाफाश करने का आश्वासन मिला था। लेकिन जब समय बीत गया और कोई खुलासा नहीं हुआ, तो 16 अक्टूबर को जालोर जिला मुख्यालय पर भी सर्वसमाज के सहयोग से बड़ा प्रदर्शन हुआ।

उस समय तत्कालीन मंत्री जोगेश्वर गर्ग ने जांच में तेजी लाने, लापरवाह पुलिसकर्मियों को हटाने और शीघ्र खुलासा करने का आश्वासन दिया था। उनके आश्वासन पर धरना कुछ समय के लिए स्थगित तो हो गया, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिल पाया है। यह दर्शाता है कि प्रशासन अपने वादों को पूरा करने में विफल रहा है।

आईपीएस अधिकारी के तबादले से रुकी जांच

इस मामले की जांच कर रहे आईपीएस अधिकारी गोपीनाथ कांबले के स्थानांतरण के बाद जांच की गति पूरी तरह ठहर गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि आईपीएस कांबले जांच के दौरान तीन संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान कर चुके थे। उन्होंने उनके नार्को, पॉलीग्राफ और ब्रेनस्टॉर्म टेस्ट के लिए न्यायालय से अनुमति भी मांगी थी।

परंतु, कथित तौर पर इन संदिग्ध व्यक्तियों में से एक ने अनुसंधान अधिकारी द्वारा दो करोड़ रुपये की मांग जैसी आपत्तिजनक शर्त रखी। यह शर्त थी कि यदि टेस्ट के दौरान उसे कुछ होता है, तो अनुसंधान अधिकारी उसके परिवार को दो करोड़ रुपये देगा। अन्य दो व्यक्तियों ने भी उसी की शर्त पर अपने टेस्ट करवाने की बात कही।

इस असहमति के चलते न्यायालय ने परीक्षण की अनुमति नहीं दी और अधिकारी के स्थानांतरण के बाद जांच पूरी तरह ठंडे बस्ते में चली गई। परिवार का दृढ़ विश्वास है कि उनके पति के हत्यारे इन्हीं तीन व्यक्तियों में से हैं। यह स्थिति न्याय प्रणाली की जटिलताओं और चुनौतियों को उजागर करती है।

सीबीआई जांच ही एकमात्र उम्मीद

परिवार का मानना है कि राज्य स्तर पर सोलह माह के लंबे समय में भी पुलिस प्रशासन न्याय नहीं दिला पाया है, ऐसे में इस हत्याकांड की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई से करवाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। उन्हें पूर्ण विश्वास है कि केवल सीबीआई जांच से ही निष्पक्ष, पारदर्शी और ठोस परिणाम सामने आ सकते हैं।

एक विधवा पत्नी, अस्सी वर्षीया बूढ़ी माँ, और दो छोटे बच्चों के भविष्य पर अंधेरा छाया हुआ है। उनकी भूख हड़ताल से सेहत लगातार बिगड़ रही है और कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती है। यह केवल गणपत सिंह के परिवार का मामला नहीं, बल्कि यह न्याय की उस उम्मीद का सवाल है, जो हमारे लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर नागरिक को होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

हम माननीय मुख्यमंत्री महोदय से निवेदन करते हैं कि वे इस मामले में व्यक्तिगत संज्ञान लें। इन तीनों संदिग्धों से कड़ी पूछताछ करवाई जाए और मामले का जल्द से जल्द खुलासा हो। एक निर्दोष परिवार को न्याय मिले और दोषियों को कठोर दंड दिया जा सके। यह समय है कि सरकार अपनी संवेदनशीलता दिखाए और न्याय की इस पुकार को अनसुना न करे।

Must Read: माउंट आबू में करना हैं अवैध निर्माण तो हैं आपको पूरी छूट

पढें क्राइम खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :