Modi Sarkar: श्री राम मंदिर अयोध्या धाम प्राण प्रतिष्ठा पर कैबिनेट का प्रस्ताव

श्री राम मंदिर अयोध्या धाम प्राण प्रतिष्ठा पर कैबिनेट का प्रस्ताव
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Highlights

एक अभूतपूर्व कदम में, मोदी कैबिनेट ने अयोध्या में श्री राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार्दिक बधाई देने वाला यह प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक के दौरान भाषण के रूप में प्रस्तुत किया गया।

ऐतिहासिक क्षण जब मोदी कैबिनेट ने श्री राम मंदिर अयोध्या धाम प्रांत प्रतिष्ठा पर प्रस्ताव पारित किया

एक अभूतपूर्व कदम में, मोदी कैबिनेट ने अयोध्या में श्री राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के संबंध में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हार्दिक बधाई देने वाला यह प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण कैबिनेट बैठक के दौरान भाषण के रूप में प्रस्तुत किया गया।

????संकल्प की मुख्य बातें:

बधाई संदेश: संकल्प की शुरुआत रामलला की मूर्ति की प्रतिष्ठा पर प्रधानमंत्री मोदी को हार्दिक बधाई के साथ होती है। प्रधान मंत्री के नेतृत्व में मंत्रिमंडल के सदस्यों ने उस सदियों पुराने सपने को पूरा होते देख हार्दिक खुशी व्यक्त की, जिसे भारतीय सभ्यता पिछली पांच शताब्दियों से संजोए हुए थी।

ऐतिहासिक महत्व: कैबिनेट बैठक को ऐतिहासिक बताते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि ब्रिटिश काल की वायसराय की कार्यकारी परिषद को देखते हुए भी कैबिनेट प्रणाली के इतिहास में ऐसा अनूठा अवसर कभी नहीं आया था। 22 जनवरी, 2024 की घटनाओं को अद्वितीय बताया गया है, जो 1947 में अपनी आजादी के बाद देश की आत्मा की बहाली का प्रतीक है।

आध्यात्मिक आनंद: प्रस्ताव पूरे राष्ट्र द्वारा महसूस किए गए आध्यात्मिक आनंद पर जोर देता है, जिसमें कहा गया है कि भगवान राम का अभिषेक केवल एक राजनीतिक घटना नहीं है बल्कि एक गहन आध्यात्मिक घटना है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन कि भगवान राम भारत के प्रभाव, प्रवाह, नीति और नियति हैं, को राष्ट्र की नियति के अहसास के रूप में स्वीकार किया जाता है।

एकता और जन आंदोलन: संकल्प अभिषेक के दौरान देश भर में देखी गई भावनात्मक उत्तेजना और एकता को स्वीकार करता है। ऐतिहासिक आंदोलनों के साथ समानताएं बनाते हुए, यह भगवान राम के लिए जन आंदोलन को एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखता है, जो राष्ट्र के लिए एक नई कहानी स्थापित करता है।

ईश्वर का आशीर्वाद: मंत्रिमंडल के सदस्यों ने विश्वास व्यक्त किया कि इतने महत्वपूर्ण अनुष्ठान का सफल समापन तभी संभव है जब इसके लिए जिम्मेदार व्यक्ति पर ईश्वर का आशीर्वाद हो। गोस्वामी तुलसीदास जी को उद्धृत करते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी को भगवान राम का आशीर्वाद मिलने के बाद अब सभी का आशीर्वाद प्राप्त है।

नए युग और राष्ट्रीय एकता: 11 दिवसीय अनुष्ठान में प्रधान मंत्री मोदी के योगदान, भगवान श्री राम से जुड़े मंदिरों में उनकी पूजा को भारत की राष्ट्रीय एकता को ऊर्जा प्रदान करने के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह प्रस्ताव देश की भविष्य की प्रगति में प्रधानमंत्री के नेतृत्व के लिए धन्यवाद और शुभकामनाओं के साथ समाप्त होता है।

????️ सहस्राब्दी की कैबिनेट:
घटनाओं की गहन प्रकृति और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और आध्यात्मिक प्रभाव को देखते हुए, प्रस्ताव सुझाव देता है कि आज की कैबिनेट को "सहस्राब्दी की कैबिनेट" कहा जा सकता है।

????उत्सव और बधाई:
यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी को हार्दिक बधाई और इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने के लिए मंत्रिमंडल के सदस्यों के बीच आपसी बधाई के साथ समाप्त होता है।

यह संकल्प भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण बिंदु है, जो अयोध्या में श्री राम मंदिर के अभिषेक के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक है।

Modi कैबिनेट में श्री राम मंदिर अयोध्या धाम प्राण प्रतिष्ठा पर एक प्रस्ताव पारित किया। 

प्रस्ताव का मूल पाठ निम्नवत है 

  • प्रधानमंत्री जी सबसे पहले हम सभी आपके नेतृत्व के मंत्रिमंडल के सदस्य आपको रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा पर हार्दिक बधाई देते हैं।
  • भारतीय सभ्यता बीते पांच शताब्दियों से जो स्वप्न देख रही थी, आपने वह सदियों पुराना स्वप्न पूरा किया।
  • प्रधानमंत्री जी, आज की कैबिनेट ऐतिहासिक है।
  • ऐतिहासिक कार्य तो कई बार हुए होंगे, परन्तु जब से यह कैबिनेट व्यवस्था बनी है और यदि ब्रिटिश टाइम से वायसराय की Executive Council का कालखण्ड भी जोड़ लें, तो ऐसा अवसर कभी नहीं आया होगा।
  • क्योंकि 22 जनवरी, 2024 को आपके माध्यम से जो कार्य हुआ है, वह इतिहास में अद्वितीय है।
  • वह इसलिए अद्वितीय है, क्योंकि यह अवसर शताब्दियों बाद आया है। हम कह सकते हैं कि 1947 में इस देश का शरीर स्वतंत्र हुआ था और अब इसमें आत्मा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। इससे सभी को आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई है।
  • आपने अपने उद्बोधन में कहा था कि भगवान राम भारत के प्रभाव भी हैं, और प्रवाह भी हैं, नीति भी हैं और नियति भी हैं।
  • और आज हम राजनैतिक दृष्टि से नहीं, आध्यात्मिक दृष्टि से कह सकते हैं कि भारत के सनातनी प्रवाह और वैश्विक प्रभाव के आधार स्तंभ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए नियति ने आपको चुना है।
  • वास्तव में, प्रभु श्रीराम भारत की नियति हैं और नियति के साथ, वास्तविक मिलन अब हुआ है।
  • वास्तविकता में देखें तो कैबिनेट के सदस्यों के लिए यह अवसर जीवन में एक बार का अवसर नहीं, बल्कि अनेकों जन्मों में एक बार का अवसर कहा जा सकता है।
  • हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि देश की सर्वोच्च समिति, कैबिनेट में इस अवसर पर हम सब विद्यमान हैं।
  • प्रधानमंत्री जी, आपने अपने कार्यों से इस राष्ट्र का मनोबल ऊंचा किया है और सांस्कृतिक आत्मविश्वास मजबूत किया है।
  • प्राण-प्रतिष्ठा में जिस तरह का भावनात्मक जन-सैलाब हमने देशभर में देखा, भावनाओं का ऐसा ज्वार हमने पहले कभी नहीं देखा।
  • हालांकि, जन-आंदोलन के रूप में हमने इमरजेंसी के समय भी लोगों के बीच में एकता देखी थी, लेकिन वह एकता तानाशाही के विरुद्ध, एक प्रतिरोधी आंदोलन के रूप में उभरी थी।
  • भगवान राम के लिए जो जन-आंदोलन हमें देखने को मिला, वह एक नए युग का प्रवर्तन है।
  • देशवासियों ने शताब्दियों तक इसकी प्रतीक्षा की और आज भव्य राम मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ एक नए युग का प्रवर्तन हुआ है। आज यह एक नया नरेटिव सेट करने वाला जन-आंदोलन भी बन चुका है।
  • प्रधानमंत्री जी, इतना बड़ा अनुष्ठान तभी संपन्न हो सकता है, जब अनुष्ठान के कारक पर प्रभु की कृपा हो।
  • जैसा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि ‘जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करै सब कोई।।’ यानि कि जिस पर स्वयं श्रीराम जी की कृपा हो, उस पर सभी की कृपा होती है।
  • प्रधानमंत्री जी, श्रीराम जन्मभूमि का आंदोलन स्वतंत्र भारत का एकमात्र आंदोलन था, जिसमें पूरे देश के लोग एकजुट हुए थे। इससे करोड़ों भारतीयों की वर्षों की प्रतीक्षा और भावनाएं जुड़ी थीं।
  • आपने 11 दिनों का अनुष्ठान रखा और भारत में भगवान श्रीराम से जुड़े तीर्थों में तपस्या भाव से उपासना करके भारत की राष्ट्रीय एकात्मता को ऊर्जा प्रदान की। इस हेतु हम केवल कैबिनेट सदस्य के नाते ही नहीं, बल्कि एक सामान्य नागरिक के रूप में भी आपका अभिनन्दन करते हैं।
  • माननीय प्रधानमंत्री जी जनता का जितना स्नेह आपको मिला है उसे देखते हुए आप जननायक तो हैं ही, परन्तु अब इस नए युग के प्रवर्तन के बाद, आप नवयुग प्रवर्तक के रूप में भी सामने आए हैं।
  • आपका कोटिशः साधुवाद, और भविष्य के भारत में हम सब आपके नेतृत्व में आगे बढ़ें, हमारा देश आगे बढ़े, इसके लिए आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।
  • चूंकि यह मंदिर हजारों सालों के लिए बना है, और आपने अपने संबोधन में कहा है, ‘’22 जनवरी का सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है। यह कैलेण्डर पर लिखी केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक नए कालचक्र का उद्गम है। गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हो रहा राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र, ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज के इस तारीख को, आज के इस पल को याद करेंगे और चर्चा करेंगे। और यह कितनी बड़ी राम कृपा है कि हम इस पल को जी रहे हैं, इसे साक्षात् घटित होते देख रहे हैं। आज दिन-दिशाएं, दिग-दिगंत... सब दिव्यता से परिपूर्ण हैं। ये समय सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं।’’ 
  • और इसीलिए आज की इस कैबिनेट को यदि सहस्त्राब्दि की कैबिनेट, यानि कैबिनेट ऑफ मिलेनियम भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।
  • इस हेतु हम सब आपका अभिनंदन करते हैं व एक-दूसरे को बधाई देते हैं। 

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