Sachin pilot vs Amit Malviya: 'मिजोरम बमबारी में शामिल थे राजेश पायलट' बीजेपी नेता का सियासी बयान,कांग्रेस नेता सचिन पायलट का पलटवार

'मिजोरम बमबारी में शामिल थे राजेश पायलट'  बीजेपी नेता का सियासी बयान,कांग्रेस नेता सचिन पायलट का पलटवार
Amit Malviya's Controversial Claim
Ad

Highlights

मिजोरम की राजधानी आइजॉल पर एयरफोर्स की बमबारी के मुद्दे पर सियासी बवाल गहरा गया है। भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल इंचार्ज अमित मालवीय ने इस मामले पर ट्वीट किया है, जिसके बाद ट्वीटर पर #अमितमालवीमाफीमांगो ट्रेंड करने लगा है।

Jaipur/Rajasthan

मिजोरम की राजधानी आइजॉल पर एयरफोर्स की बमबारी के मुद्दे पर सियासी बवाल गहरा गया है। भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल इंचार्ज अमित मालवीय ने इस मामले पर ट्वीट किया है, जिसके बाद ट्वीटर पर #अमितमालवीमाफीमांगो ट्रेंड करने लगा है।

इंदिरा गाधी के प्रधानमंत्री बनते ही 5 मार्च 1966 को मिजोरम के आइजॉल में बमबारी की गई। और इस बमबारी में सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट और कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी के शामिल होने का दावा किया था।

सचिन पायलट ने अमित मालवीय पर पलटवार करते हुए उनके दावे को पूरी तरह झूठा करार दिया। पायलट ने मालवीय के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें काल्पनिक, तथ्यहीन और भ्रामक करार दिया है।

दरअसल, बीजेपी आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने आइजॉल ऑपरेशन का जिक्र करते हुए लिखा- राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी भारतीय वायुसेना के उन विमानों को उड़ा रहे थे, जिन्होंने 5 मार्च 1966 को आइजॉल पर बम गिराए।

बाद में दोनों कांग्रेस के टिकट पर सांसद और सरकार में मंत्री भी बने। साफ है कि नॉर्थ ईस्ट में अपने ही लोगों पर हवाई हमला करने वालों को इंदिरा गांधी ने बतौर इनाम राजनीति में जगह दी, सम्मान दिया।

इस मामले में सचिन पायलट ने पलटवार करते हुए लिखा  'स्व. राजेश पायलट 29 अक्टूबर 1966 को भारतीय वायु सेना में कमीशन हुए थे। यह कहना कि उन्होंने 5 मार्च 1966 में मिजोरम में बमबारी करी थी - काल्पनिक है, तथ्यहीन है और पूर्ण तरह भ्रामक है।'

पायलट ने आगे ये भी कहा कि राजेश पायलट 80 के दशक में एक राजनेता के रूप में मिजोरम में युद्ध विराम करवाने और स्थायी शांति संधि स्थापित करवाने गए थे और इसमें उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका ज़रूर निभाई थी।'

वहीं पायलट समर्थकों ने सोशल मीडिया साइट ट्वीटर पर अमित मालवीय के खिलाफ ट्रेंड करना शुरु कर दिया है। इसके बाद सुबह से ही #अमितमालवीमाफीमांगो हैशटेग ट्रेंड में है। 

मिजोरम पर बमबारी का यह था मामला

एक स्वतंत्र राज्य की मांग। उग्रवाद एमएनएफ और भारत सरकार के बीच हिंसा और सशस्त्र संघर्ष में बदल गया।

विद्रोह को दबाने के लिए, प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सैन्य बल का उपयोग करने का निर्णय लिया। इसके कारण कई ऑपरेशन शुरू हुए, जिनमें मिज़ोरम के पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में बम गिराने के लिए भारतीय वायु सेना का उपयोग भी शामिल था, जहां माना जाता था कि एमएनएफ विद्रोही छिपे हुए थे। हवाई बमबारी का उद्देश्य एमएनएफ के बुनियादी ढांचे को कमजोर करना और उनकी गतिविधियों को बाधित करना था।

यह संघर्ष कई वर्षों तक चला, जिसमें दोनों पक्ष हिंसा में शामिल रहे। हालाँकि, 1986 में, बातचीत के बाद, भारत सरकार और एमएनएफ एक समझौते पर पहुँचे। परिणामस्वरूप, 1987 में मिज़ोरम एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया और अंततः 1987 में पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। उग्रवाद समाप्त हो गया, और एमएनएफ एक राजनीतिक दल में बदल गया जिसने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लिया।

मिजोरम बमबारी और उग्रवाद काल राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बना हुआ है, जिसने इसके सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया और केंद्र सरकार और मिजोरम के लोगों के बीच संबंधों को आकार दिया।

Must Read: कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद बोले जब तक पायलट और गहलोत दिल से साथ नहीं आएंगे चुनाव नहीं जीत सकते

पढें राजनीति खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :