जसवंतपुरा, पहाड़पुरा – जसवंतपुरा उपखंड के पहाड़पुरा गांव में देवल परिवार की ओर से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पांचवें दिन, भागवताचार्य पंडित भरत शास्त्री ने भगवान के लीलावतारों का हृदयग्राही वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से अभिभूत कर दिया। कथा स्थल पर उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दिव्य प्रसंगों को सुनकर भाव-विभोर होकर भक्ति रस का अनुभव किया।
पंडित भरत शास्त्री ने बताया कि जब-जब धरती पर अधर्म और अत्याचार की बढ़ोतरी हुई, तब-तब भगवान ने अवतार लेकर अधर्म का नाश किया और धर्म की पुनर्स्थापना की। उन्होंने नृसिंह अवतार में भगवान की भयानकता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान ने खंभे से प्रकट होकर अत्याचारी हिरण्यकश्यप का संहार किया। वामन अवतार की कथा सुनाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान ने एक छोटे ब्राह्मण बालक के रूप में जन्म लेकर राजा बलि के अभिमान का नाश किया।
श्री राम अवतार के प्रसंग में पंडित शास्त्री ने कहा कि भगवान राम ने मर्यादा और सत्य के पालन का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसके कारण वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। वहीं, श्रीकृष्ण अवतार की लीलाओं का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं से सभी को मोहित किया और प्रेम व भक्ति का संदेश फैलाया। उन्होंने कुरुक्षेत्र के महायुद्ध में अर्जुन को गीता का दिव्य ज्ञान देकर धर्म की महत्ता स्थापित की।
भागवताचार्य शास्त्री ने कहा, "जब-जब भक्तों पर अत्याचार हुए और अधर्म ने सिर उठाया, तब-तब भगवान ने अवतार लेकर धर्म और सत्य की स्थापना की है। भक्तों की करुण पुकार सुनकर श्री हरि ने अपने भक्तों को सदैव संकट से उबारा है।" उनके इस प्रवचन को सुनकर श्रद्धालुओं ने जयकारों के साथ भगवान की महिमा का गुणगान किया।
कथा के इस विशेष अवसर पर गांव और आसपास के क्षेत्रों से सैकड़ों श्रद्धालु उमड़े, जिन्होंने श्रद्धा और भक्ति भाव से कथा का रसपान किया। भक्तों ने कहा कि यह आध्यात्मिक आयोजन उनके जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा लेकर आया है।