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दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार लीक हुए डेटा, जिसमें 62,94,482 परिवारों के व्यक्तिगत विवरण शामिल हैं, को किसी थर्ड पार्टी के साथ शेयर किया गया है।
इस डेटा को साझा करने के पीछे का मकसद राहत शिविरों में हुई प्रगति को प्रभावी बनाना था। सूचना को कलेक्टरों के आईडी पर भेजा गया.
जयपुर | एक चौंकाने वाले खुलासे में पता चला है कि राजस्थान में 63 लाख परिवारों का डेटा लीक हो गया है, जिससे जनता की महत्वपूर्ण जानकारियां जोखिम में है।
लीक हुए डेटा का उद्देश्य महंगाई राहत शिविरों में प्रगति दिखाने की कोशिशों से जुड़ा है। इसमें नाम, पते, जन आधार संख्या और मोबाइल नंबर जैसी संवेदनशील जानकारी भी शामिल हैं।
डेटा ब्रीच ने आगामी विधानसभा चुनावों में संभावित साइबर धोखाधड़ी, सेक्स्टॉर्शन और दुरुपयोग के बारे में चिंता खड़ी कर दी है।
डेटा ब्रीच विवरण
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार लीक हुए डेटा, जिसमें 62,94,482 परिवारों के व्यक्तिगत विवरण शामिल हैं, को किसी थर्ड पार्टी के साथ शेयर किया गया है।
इस डेटा को साझा करने के पीछे का मकसद राहत शिविरों में हुई प्रगति को प्रभावी बनाना था। सूचना को कलेक्टरों के आईडी पर भेजा गया.
बाद में एसडीएम (सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट) और एसडीएम के माध्यम से निचले स्तर के कर्मियों और अस्थायी शिविर संचालकों को प्रसारित किया गया है।
डेटा के इस बहु-स्तरीय साझाकरण से इसके संभावित दुरुपयोग से जुड़े जोखिम बढ़ जाते हैं।
संभाव्य जोखिम:
कम से कम सवा करोड़ व्यक्तियों के डेटा दांव पर होने से विभिन्न खतरे हैं। डेटा, यदि हैकर्स द्वारा एक्सेस किया जाता है, तो साइबर धोखाधड़ी, नकली खातों का निर्माण, सेक्स्टॉर्शन या आभासी खातों को खोलना हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, लीक हुए डेटा में संभावित राजनीतिक निहितार्थ हैं, क्योंकि आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
व्यक्तिगत जानकारी का दुरुपयोग प्रभावित परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा करता है। इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
केन्द्र सरकार कर चुकी अपील
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में नागरिकों से अनजान नंबरों से कॉल का जवाब देने से बचने की अपील की है। मंत्रालय ने स्पैम कॉल और साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए संचार सारथी पोर्टल लॉन्च किया है।
हालांकि, व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त उपायों को लागू करने की आवश्यकता है। डेटा उल्लंघन भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा बुनियादी ढांचे और सख्त प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।
परन्तु इस तरह के leak से सरकारी सिस्टम के सामने ही बड़ी चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी।
इस मामले में अधिकारियों, जैसे जयपुर कलेक्टर ने निचले स्तर के कर्मचारियों को लीक हुए डेटा की इसप्राप्ति और वितरण को स्वीकार किया है। हालाँकि, डेटा के संभावित और आशंकित परिणाम अनिश्चित हैं। सरकार और दूरसंचार कंपनियों को सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करने और व्यक्तियों की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है।