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इंद्र कुमार प्रजापत ने पेंटिंग में इतनी महारत हासिल की है कि वह किसी भी व्यक्ति की तस्वीर हूबहू बना देते हैं। हाल ही में उन्होंने संत प्रेमानंद जी की पेंटिंग बनाई, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई
Jalore | 12 वीं कक्षा में पढ़ने वाले इंद्र प्रजापत ने राज्य स्तरीय कला उत्सव में प्राप्त किया दूसरा स्थान संसाधनों की कमी के बावजूद राजस्थान राज्य में मूर्तिकला में दूसरा स्थान प्राप्त करने गौरव की बात मांडोली के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के कक्षा 12 में पढ़ने वाले छात्र इंद्र कुमार पुत्र गणेशा राम प्रजापत ने पेंटिंग में इतनी महारत हासिल कर ली है
कि वह हर किसी की तस्वीर हुबहू बना देता है चाहे आप उसके सामने बैठ जाइए या कोई फोटो भेज दीजिए इंद्र हर किसी की पेंटिंग इतनी हुबहू बना देता है की हर कोई यकीन नहीं करेगा की यह पेंटिंग है या फोटोग्राफर द्वारा ली गई तस्वीर कम संसाधनों के बावजूद इंद्र कुमार हर किसी की तस्वीर इस प्रकार बना देता है कि हर कोई यकीन नहीं करेगा हाल ही में संत प्रेमानंद जी की तस्वीर बनाकर आस पास के गावो के साथ साथ सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी और देखने वाला हर कोई उसकी तारीफ किए बिना नहीं रहा है

इंद्र कुमार प्रजापत एक मध्यम परिवार से ताल्लुक रखता है उसके पिताजी चाय की थड़ी लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते है

उसके बावजूद वह अपने परिवार के बच्चो को पढ़ाने में और उनके हुनर के प्रदर्शन में हर संभव मदद करते है उसकी दो बहने प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही है तो वही इंद्र कुमार स्वयं चित्रकारी के साथ साथ मूर्तिकला और पढ़ाई में भी काफ़ी होशियार है 10 वीं बोर्ड परीक्षा में उसने 87 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे पेंटिंग में वह जिला स्तर पर तीन बार प्रथम आया था

वही जिला स्तर पर प्रथम आने के कारण उसको इस वर्ष नियम के अनुसार चित्रकला में हिस्सा नहीं ले सकता था अतः उसने चित्रकला के स्थान पर दृश्यकला को चुना परंतु उसने इस क्षेत्र में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर दृश्यकला में भी प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया और राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया सही गाइडेंस नहीं मिलने के कारण उसको मिले समय में मूर्ति तो बना ली परंतु समय समाप्त होने के कारण वह अपनी मूर्ति में रंग भरने में कुछ हिस्सा बाकी रह गया जिससे उसको दूसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा यद्यपि राज्यस्तरीय कला उत्सव में दृश्यकला में द्वितीय स्थान तो प्राप्त कर लिया परंतु वह प्रथम स्थान प्राप्त नहीं करने के कारण आगे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले सका जिसका उसको मलाल रहा परंतु अगर इस प्रतिभा को उपयुक्त संसाधन मिल जाये और किसी पेंटिंग स्कूल में दाखिला मिल जाये तो पेंटिंग की नई ऊंचाइयों को छू सकता है और न केवल अपने गांव बल्कि राज्य और देश का नाम रोशन कर सकता है ।
एक रास्ता बंद तो दूसरा चुना परंतु प्रयास जारी रखा और उसमे भी सफल होकर सिद्ध कर दिया की अगर आपके अंदर कुछ करने की ललक है तो आपके प्रयास को कोई नहीं रोक सकता ।गत वर्ष जिला स्तरीय कला महोत्सव में इंद्र कुमार ने पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया था

अतः इस वर्ष वह पेंटिंग प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकता था क्योंकि इसके लिए नियम के अनुसार एक साल का अंतराल जरूरी था परंतु इंद्र कुमार में कुछ करने का जुनून इतना था कि उसने सफलता के लिए अपना रास्ता ही बदल दिया और इस वर्ष जिला स्तरीय कला महोत्सव में चित्रकला को छोड़कर दृश्यकला में हिस्सा लिया और अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उस प्रतियोगिता में भी जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया और उनका चयन राज्य स्तरीय कला महोत्सव में हो गया और अलवर में आयोजित राज्यस्तरीय कला महोत्सव प्रतियोगिता में जालोर जिले की और से भाग लिया यद्यपि समय कम मिलने के कारण उसको तैयारी का कम समय मिला और उसके लिए दृश्यकला नया विषय था
परंतु अपनी अद्भुत प्रतिभा का परिचय देते हुए उसने प्रतियोगिता में मूर्ति बनाना प्रारंभ किया परंतु समय पूरा होने के कारण उसकी बनाई मूर्ति के कुछ हिस्से में रंग भरना अधूरा रह गया परंतु ग्रामीण परिवेश की बिलोना करते हुए महिला की मूर्ति इतनी शानदार बनाई की पूरे राजस्थान में उसको द्वितीय स्थान प्राप्त किया अगर उसको समय पर तैयारी करने का समय और प्रशिक्षण मिल पाता तो वह प्रथम स्थान प्राप्त कर सकता था जिसका उसको हमेशा मलाल रहेगा आगे बारहवीं के बाद वह कला विषय में हो स्नातक की पढ़ाई करना चाहता है ताकि वह अपने हुनर का प्रदर्शन कर राज्य और देश का नाम रोशन कर सके ।
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