अखिल भारतीय कांग्रेस क्या सचमुच मे पार्टी के अंदरूनी द्वंद से उबर गयी है ? क्या कांग्रेस ने चुनावी वेला मे अंदरूनी विवाद भुलाकर आगे बढने का फ़ैसला कर लिया है ? इन्हीं सवालों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या कांग्रेस सचिन पायलट प्रकरण का पटाक्षेप कर राजस्थान में सभी विवादों पर राख डालने में कामयाब हो गयी है ?
यदि हाँ तो जिस मुद्दे पर सचिन पायलट ने अजमेर से जयपुर तक पैदल मार्च किया ,उसका क्या होगा ? सचिन पायलट ने जो तीन मांगे कांग्रेस के सामने रखी उनका क्या होगा ?
बहुप्रतीक्षित मीटिंग के दौरान सचिन पायलट के हाव -भाव ,CM अशोक गहलोत खेमे की तिकड़ी को बैठक से दूर रखने और पायलट खेमे से मिली जानकारी पर गौर करें तो लगता है पायलट की मांगों पर अमल होने वाला है।
यानि कथित भृष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत सरकार पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के फैसलों की जांच करेगी। राज्य लोक सेवा आयोग [RPSC ] की चयन प्रक्रिया को बेहतर बनाया जाएगा।
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में खुद सचिन पायलट ने राजस्थान में एकजुट होकर चुनाव लड़ने का दावा किया है। साथ ही उनकी सारी बातें मानी जाने का दावा करते हुए कहा है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार फिर से बनेगी।
गहलोत सरकार के मंत्रियों, विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों सहित तीस नेताओं ने बैठक में कांग्रेस हाईकमान पर अपना भरोसा जाहिर करते हुए फिर से सरकार बनाने का संकल्प लिया।
अशोक गहलोत के ट्रबल शूटर कहे जाने वाले काबीना मंत्री शांति धारीवाल ,महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ को बैठक से दूर कर कांग्रेस हाईकमान ने इन तीनों नेताओं के सियासी भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
जानकारों के अनुसार पार्टी इस फीडबैक के बाद फूंक-फूंक कर कदम रख रही है कि सचिन पायलट को साथ लिए बिना कांग्रेस राजस्थान तो क्या मध्यप्रदेश,हरियाणा ,उत्तरप्रदेश में भी कुछ बेहतर नहीं कर पाएगी। इसी फीडबैक के आधार पर गहलोत के प्रिय कहे जाने वाले धारीवाल -धर्मेंद्र और जोशी को साइडलाइन किये जाने की सूचना है।
हालांकि ,गहलोत के सम्मान और उनकी सरकार की योजनाओं की तारीफ में पार्टी किसी भी तरह की कोताही बरतने के पक्ष में नहीं है। मीडिया से बातचीत में केसी वेणुगोपाल ने कहा है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है और सरकार की योजनाएं जनता को राहत देने वाली है।
सरकार की योजनाओं और पायलट के भरोसे के बाद कांग्रेस राजस्थान में चुनावी रणभेरी बजने के साथ ही राहुल गाँधी ,प्रियंका गाँधी और पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की बड़ी जनसभाओं की तैयारी में है।
कांग्रेस की स्थिति को बेहतर मान रहे रणनीतिकारों की सलाह पर पार्टी ने तय किया है कि उम्मीदवारों की घोषणा सितम्बर में ही कर दी जाये। अब और कोई विवाद खड़ा नहीं हो, इसलिए पार्टी ने सभी नेताओं की चेतावनी दी है कि वह किसी भी तरह की बयानबाजी नहीं करे।