Highlights
जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक तय करने को लेकर किसान महापड़ाव जारी
आज जालोर बंद का आव्हान
समर्थन में जुटे विभिन्न संगठन
जालोर | जवाई बांध के पानी पर जालोर के हक को सुनिश्चित करने और किसानों को फसल बीमा क्लेम राशि दिलाने की मांग को लेकर जिले में किसान महापड़ाव जारी है। इस आंदोलन के तहत बुधवार को जिले में स्वेच्छिक बंद का आव्हान किया गया है। सब्जी मंडी समेत अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहेंगे।
30 से अधिक संगठनों का समर्थन
भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन को जिले के माली समाज समेत 30 से अधिक संगठनों ने समर्थन दिया है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया।
किसानों की प्रमुख मांगें
भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष रतनसिंह कानीवाड़ा ने बताया कि किसानों की फसल बीमा अर्जियां जयपुर कार्यालय में लम्बित हैं, जो लगभग 125 करोड़ रुपये की बीमा राशि से जुड़ी हैं। यह राशि जल्द से जल्द किसानों को उपलब्ध कराई जाए। साथ ही, जवाई नदी के प्राकृतिक प्रवाह पर बने जवाई बांध के पानी पर जालोर का हक तय करने की मांग की जा रही है।
आंदोलन को 8 दिन, प्रशासन का अभी तक कोई जवाब नहीं
महापड़ाव 19 नवंबर से जिला कलेक्ट्रेट के सामने शुरू हुआ है और इसे 8 दिन पूरे हो चुके हैं। बावजूद इसके, प्रशासन या सरकार की ओर से किसानों को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
जालोर बंद के लिए व्यापक प्रचार
जालोर, आहोर, सायला, बागोड़ा और भीनमाल उपखंड के ग्रामीण इलाकों में ढोल और रेडियो गाड़ियों के जरिए बंद का प्रचार किया गया। किसान जिला कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
समर्थन में जुटे विभिन्न संगठन
चामुंडा माता मंदिर के महंत पवन पुरी महाराज ने महापड़ाव पर पहुंचकर किसानों को अपना समर्थन दिया। शिव सेना के जिला अध्यक्ष रूपराज पुरोहित के नेतृत्व में शिव सेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भी किसानों के साथ खड़े होकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
किसान बोले- अब हक लेकर रहेंगे
किसानों का कहना है कि जवाई बांध का पानी जालोर का हक है और वे इसे लेकर रहेंगे। साथ ही, फसल बीमा की राशि समय पर मिलने से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
जालोर के बंद और किसानों के महापड़ाव से क्षेत्र में जनजीवन प्रभावित होने की संभावना है। सरकार और प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर क्या कदम उठाए जाते हैं, यह देखना अहम होगा।