Highlights
- किसानों के 27 दिन के धरने के बाद भी जालोर के हक का पानी जोधपुर को देने की तैयारी।
- जवाई बांध से जोधपुर तक 194 किमी फीडर के जीर्णोद्धार के लिए डीपीआर टेंडर जारी।
- विधायक जोगेश्वर गर्ग ने प्रोजेक्ट रोकने का आश्वासन दिया था, अब पलटे।
- जवाई नदी के सूखने से जालोर के 157 किमी क्षेत्र में भूजल स्तर गिरने का खतरा।
जालोर: इस मानसून में लूणी नदी (Luni River) तक बहने वाली जवाई नदी (Jawai River) का भविष्य खतरे में है। जोधपुर (Jodhpur) को पानी ले जाने वाली फीडर नहर (Feeder Canal) से जालोर (Jalore) के लोग चिंतित हैं। 2280 करोड़ के इस प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर टेंडर जारी होने से किसानों में फिर आक्रोश है।
जोधपुर फीडर नहर: एक पुराना विवाद
दरअसल, जवाई बांध से जोधपुर तक पानी ले जाने के लिए 194 किलोमीटर लंबी फीडर नहर के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव है। इस नहर के लिए सर्वे पूरा हो चुका है और अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं।
यह परियोजना जालोर जिले के किसानों और निवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि इससे जवाई नदी हमेशा के लिए प्यासी रह सकती है।
किसानों का महापड़ाव और सरकारी वादे
इस प्रोजेक्ट के लिए 2024 के बजट में 2280 करोड़ रुपये की घोषणा के बाद भारतीय किसान संघ के बैनर तले जालोर जिले के बड़ी संख्या में किसानों ने महापड़ाव किया था। यह धरना प्रदर्शन करीब 27 दिनों तक चला था, जिसमें किसानों ने अपनी मांगों को पुरजोर तरीके से उठाया था।
तत्कालीन जालोर विधायक और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को रोकने का आश्वासन दिया था। उनके आश्वासन के बाद ही धरना समाप्त हुआ था, जिससे किसानों को राहत मिली थी।
वादे के बाद भी गुपचुप कार्यवाही से आक्रोश
किसानों और जनप्रतिनिधियों के आश्वासन के बावजूद, सरकार ने जालोर की कमजोर राजनीतिक स्थिति का फायदा उठाते हुए गुपचुप तरीके से काम जारी रखा। सर्वे से लेकर डीपीआर टेंडर तक जारी कर दिए गए, जिससे लोगों में फिर से आक्रोश फैल गया है।
23 नवंबर 2023 को सायला में एक चुनावी सभा में विधायक जोगेश्वर गर्ग ने जवाई नदी को पुनर्जीवित करने का वादा किया था। हालांकि, इस वादे के बाद आज तक नदी को पुनर्जीवित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
जवाई पुनर्भरण: 32 साल पुराना मुद्दा
जालोर और आहोर के विधायकों ने भी 32 साल पुराने जवाई पुनर्भरण मुद्दे पर पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा नेताओं से समर्थन मांगा था। आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
अब जोगेश्वर गर्ग का कहना है कि उन्होंने महापड़ाव में इस प्रोजेक्ट को रोकने का आश्वासन दिया था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जवाई पुनर्भरण में जालोर का ध्यान रखा जाएगा।
जोगेश्वर गर्ग का नया रुख और 4 प्रमुख मांगें
गर्ग ने स्पष्ट किया है कि अगर पुनर्भरण की डीपीआर में जालोर को शामिल नहीं किया गया, तो वह किसी भी स्तर पर लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि पुनर्भरण होगा तो जालोर को पानी मिलेगा, उसके अलावा पानी कोई कहीं भी ले जाए, उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।
जवाई बांध के पानी को लेकर गर्ग के शपथ पत्र में चार प्रमुख मांगें शामिल थीं। इनमें जवाई बांध के पानी का एक तिहाई हिस्सा प्राकृतिक बहाव के लिए नदी में छुड़वाने का प्रयास शामिल था, जिसके लिए जल नीति में संशोधन की भी बात कही गई थी।
अन्य मांगों में प्राकृतिक बहाव का हिस्सा तय करवाना, साबरमती नदी को जवाई नदी से जुड़वाने का प्रयास करना और माही नदी का ओवरफ्लो पानी सिंचाई के लिए जालोर लाने का प्रयास करना शामिल था।
जालोर की सिंचाई और भूजल पर गहरा प्रभाव
जवाई बांध के डाउनस्ट्रीम में कुल 187 किलोमीटर में जवाई नदी का हिस्सा है। इसमें से 30 किलोमीटर पाली और सिरोही जिले में है, जबकि 157 किलोमीटर जालोर जिले में पड़ता है।
यह नदी जिले के सवा लाख किसानों की 95,000 हेक्टेयर जमीन को सिंचित करती है। इसमें आहोर, जालोर, भीनमाल और सांचौर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। सांचौर के रणोदर में यह लूणी नदी में मिलती है।
भूजल वैज्ञानिक गणपत राणा के अनुसार, जवाई नदी अमूमन सायला और बागोड़ा तक ही बहती है। इस वर्ष भरपूर बारिश के कारण यह लूणी नदी तक पहुंची थी।
जब जवाई नदी एक महीने तक बहती है, तो इसके दोनों ओर करीब 5-5 किलोमीटर तक भूजल स्तर सुधरता है। यह भूजल रिचार्ज का सबसे बड़ा स्रोत है।
अगर यह नदी सूखती है या इसका प्रवाह पूरी तरह बंद हो जाता है, तो जालोर के 157 किलोमीटर क्षेत्र में भूजल स्तर लगातार गिरता जाएगा, जिससे गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता है।
अमित शाह का आश्वासन और परियोजना का इतिहास
जालोर में एक चुनावी सभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी जवाई नदी को पुनर्जीवित करने का आश्वासन दिया था। यह दर्शाता है कि यह मुद्दा राजनीतिक रूप से कितना महत्वपूर्ण है।
यह परियोजना मूल रूप से 80 के दशक की एक नहर का जीर्णोद्धार है। जोधपुर में 1976 में इंदिरा गांधी नहर से राजीव गांधी लिफ्ट कैनाल के माध्यम से पानी की सप्लाई शुरू होने के कुछ वर्षों बाद यह नहर बंद कर दी गई थी।
194 किलोमीटर लंबी यह नहर पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। 10 जुलाई 2024 को परिवर्तित बजट में इस प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद विधानसभा में बजट चर्चा के दौरान आहोर विधायक छगनसिंह राजपुरोहित ने इसका विरोध जताया था।
जालोर विधायक जोगेश्वर गर्ग ने भी जल संसाधन मंत्री को इस संबंध में पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने जालोर के हितों की रक्षा की मांग की थी।
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