पिण्डवाड़ा खनन परियोजना का विरोध तेज़: पिण्डवाड़ा में चूना पत्थर खनन परियोजना निरस्त करने की मांग

पिण्डवाड़ा में चूना पत्थर खनन परियोजना निरस्त करने की मांग
ग्रामीणों ने विधायक संयम लोढ़ा को सौंपा ज्ञापन
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Highlights

  • पिण्डवाड़ा में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना का ग्रामीणों द्वारा तीव्र विरोध।
  • चार ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों ने विधायक संयम लोढ़ा को ज्ञापन सौंपकर परियोजना रद्द करने की मांग की।
  • परियोजना में निजी कृषि और गोचर भूमि शामिल होने पर ग्रामीणों ने जताई आपत्ति।
  • विधायक संयम लोढ़ा ने ग्रामीणों को हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।

शिवगंज। पिण्डवाड़ा क्षेत्र में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों का विरोध लगातार तेज़ होता जा रहा है। शुक्रवार को पिण्डवाड़ा तहसील की चार ग्राम पंचायतों वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा के ग्रामीणों का एक प्रतिनिधि मंडल पूर्व सीएम सलाहकार एवं सिरोही विधायक संयम लोढ़ा से मिला। ग्रामीणों ने उन्हें ज्ञापन सौंप कर इस परियोजना को निरस्त करवाने की पुरजोर मांग उठाई।

ग्रामीणों का कहना है कि मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर को करीब 800.9935 हेक्टेयर भूमि चूना पत्थर खनन कार्य हेतु आवंटित की गई है। इस विशाल भूमि में न केवल ग्रामीणों की निजी खातेदारी कृषि भूमि शामिल है, बल्कि गांवों की महत्वपूर्ण गोचर भूमि भी इस परियोजना के दायरे में आ रही है, जिससे उनके पशुधन के चारे की समस्या उत्पन्न होगी। ग्रामीणों ने बताया कि यह परियोजना उनके जीवनयापन और पर्यावरण पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।

विधायक लोढ़ा का ग्रामीणों को आश्वासन

ज्ञापन सौंपने के दौरान ग्रामीणों ने विधायक लोढ़ा से खनन परियोजना को तत्काल निरस्त करवाने की मांग की। इस पर विधायक लोढ़ा ने ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा, "मैं पूरी तरह ग्रामीणों के साथ हूं और इस जनविरोधी परियोजना को रुकवाने के लिये हर सम्भव मदद करूंगा।" उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि वे इस मुद्दे को उचित मंच पर उठाएंगे और उनके हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।

जनसुनवाई में भी जताई थी आपत्ति, प्रशासन पर आरोप

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें इस परियोजना की जानकारी तब लगी जब इसकी पर्यावरणीय जनसुनवाई का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसके बाद 19 सितंबर को भीमाना ग्राम पंचायत में आयोजित जनसुनवाई में बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे और लिखित व मौखिक आपत्तियां दर्ज करवाईं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने जनसुनवाई को मात्र खानापूर्ति बनाकर बंद कमरे में पूरा करने की कोशिश की। हैरानी की बात यह रही कि संबंधित गांवों को आधिकारिक रूप से इस जनसुनवाई की सूचना तक नहीं दी गई, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। ग्रामीणों ने इसे उनके अधिकारों का हनन बताया और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरा रोष व्यक्त किया।

प्रतिनिधि मंडल में इनकी रही मौजूदगी

ज्ञापन सौंपने पहुंचे प्रतिनिधि मंडल में राजू जणवा (वाटेरा), खेताराम भील (उपसरपंच वाटेरा), वेलाराम चौधरी (वाटेरा), कमलेश घांची (वाटेरा), पदमाराम घांची (वाटेरा), गजाराम घांची (वाटेरा), किशोर चौधरी (वाटेरा), बलवंत चौधरी (भारजा पंचायत समिति सदस्य), रामसिंह सिसोदिया (पूर्व उपसरपंच रोहिड़ा), प्रवीण माली (भारजा), अमित त्रिवेदी (भारजा) और कन्हैयालाल भूला सहित कई अन्य ग्रामीण मौजूद रहे। ग्रामीणों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करने का संकल्प लिया है।

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