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बीकानेर की पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी रविवार को यानि आज पंचतत्व में विलीन हो गई। राजमाता अपनी अंतिम विदाई में भी पूरे राजसी सम्मान के साथ विदा हुई। उनकी अंतिम यात्रा जूनागढ़ किले से शाही लवाजमे के साथ रवाना हुई। लवाजमे में घोड़े, ऊंट, बग्घी, बैंड शामिल आदि शामिल रहे...
बीकानेर की पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी रविवार को यानि आज पंचतत्व में विलीन हो गई। राजमाता अपनी अंतिम विदाई में भी पूरे राजसी सम्मान के साथ विदा हुई।
उनकी अंतिम यात्रा जूनागढ़ किले से शाही लवाजमे के साथ रवाना हुई। लवाजमे में घोड़े, ऊंट, बग्घी, बैंड शामिल आदि शामिल रहे।
विधायक सिद्धि कुमारी और उनके परिवार ने पूर्व राजमाता को अंतिम मुखाग्नि दी।
जूनागढ़ से गंगा थिएटर तक पहुंचे के बाद राजमाता की पार्थिव देह को वाहन से देवी कुंड सागर ले जाया गया।
देवीकुंड सागर में राजपरिवार के पैतृक श्मशान घाट में राजकीय रस्मों के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
राजमाता सुशीला देवी को अंतिम विदाई देने के लिए शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला, उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, नोखा विधायक बिहारी बिश्नोई, देवीसिंह भाटी समेत कई राजनेता भी पहुंचे।
बता दें कि, बीकाने की अंतिम महारानी रही पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी का लंबी बीमारी के चलते शुक्रवार देर रात निधन हो गया था।
उन्होंने 94 साल की आयु में आखिरी सांस ली। राजमाता के निधन की खबर से समस्त राजघरानों और राजनेताओं में शोक की लहर दौड़ गई।
पूर्व राजमाता के निधन के बाद से बीकानेर जूनागढ़ किले पर लहरा रहे बीकानेर रियासतकालीन ध्वज को आधा झुका दिया गया और 2 दिन तक जूनागढ़ किले को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया।
जनहित कार्यों में हमेशा रही अग्रणी
आपको बताना चाहेंगे कि, पूर्व राजमाता सुशीला कुमारी परोपकारिता की देवी थी। जनहित कार्यों के लिए सदैव अग्रसर रहती थी।
राजमाता सुशीला कुमारी ने विभिन्न ट्रस्टों की अध्यक्ष के रूप में रहते समाज के लिए बड़े ही महत्वपूर्ण कार्य किए।