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आज विधानसभा में बेहद कड़ा कानून ’राजस्थान कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम’ (राकोका) पारित हो गया है। अब इस कानून के पास होते ही लॉरेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा जैसे गैंगस्टर्स और गैंग बनाकर अपराध करने वाले उनके गुर्गों की खैर नहीं होगी।
जयपुर | राजस्थान में लगातार बढ़ रहे अपराधों और गैंगस्टर्स की गैंगस्टरी का खुमार उतारने के लिए राजस्थान सरकार अब ऐसा कानून बनाने की तैयारी में है जिसमें गैंस्टर्स तो क्या उनका साथ देना वाला भी बच नहीं पाएगा।
इसके लिए राजस्थान सरकार मंगलवार को यानि आज विधानसभा में कड़ा कानून राजस्थान कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम (राकोका) पास करवाने जा रही है।
इस कानून के पास होते ही लॉरेंस बिश्नोई और रोहित गोदारा जैसे गैंगस्टर्स और गैंग बनाकर अपराध करने वाले उनके गुर्गों की खैर नहीं होगी।
राजस्थान सरकार भी प्रदेश में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के लिए महाराष्ट्र के ’माकोका’ (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम) की तर्ज पर राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक ’राकोका’ पारित करवा रही है।
यह बिल मार्च में ही सदन में पेश हो गया था, लेकिन उस वक्त पारित नहीं हो पाया था।
अब आज विधानसभा में इसे पारित करवाने के बाद जल्द गजट नोटिफिकेशन करके इसके रूल्स बनाए जाएंगे।
बड़े सख्त है इस कानून के प्रावधान
राकोका के प्रावधानों बड़े ही सख्त है। जिनके अनुसार...
- इस कानून के दायरे में गिरोह बनाकर फिरौती एंठने, पैसे के लिए धमकाने वाले भी आएंगे।
- जिन अपराधियों के खिलाफ पिछले 10 साल में एक से ज्यादा चार्जशीट पेश की गई हो और कोर्ट ने उन पर संज्ञान लिया हो। ऐसे अपराधियों को राकोका के दायरे में लिया जाएगा।
- गैंग बनाकर अपराध करने वालों की प्रॉपर्टी को राज्य सरकार अपने कब्जे में ले लेगी।
- कानून के मुताबिक, गैंगस्टर्स की प्रॉपर्टी या पैसा अपने पास में रखने वालों को भी सजा होगी।
- राकोका में मुकदमा दर्ज करने से पहले रेंज के डीआईजी से मंजूरी लेनी होगी। डीएसपी स्तर का अफसर ही राकोका में केस दर्ज करेगा। चार्जशीट पेश करने से पहले एडीजी स्तर के अफसर से मंजूरी लेनी होगी।
- राकोका के केस की सुनवाई के लिए अलग से कोर्ट होगा।
- मकोका लगने के बाद आसानी से जमानत नहीं मिलती है।
- मकोका में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का वक्त मिल जाता है, जबकि दूसरे मामलों में यह 60 से 90 दिन में ही चार्जशीट दाखिल करनी होती है।
- मकोका में 30 दिन तक की रिमांड मिल सकती है।
- इस केस में लंबे समय तक जमानत नहीं हो सकेगी।
- राकोका के मामलों की सुनवाई ओपन कोर्ट में करने की जगह बंद कोर्ट में की जाएगी।
- गैंगस्टर्स और खतरनाक अपराधियों के खिलाफ गवाही देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाएगी।
- गवाह की पहचान सार्वजनिक करने वाले को एक साल तक की जेल और एक हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।
- अगर फिरौती के लिए दो या अधिक अपराधियों ने मिलकर किसी को धमकाया तो उस पर ’राकोका’ लगाया जाएगा। ऐसा करने वालों की प्रॉपर्टी और पैसा जब्त होगा।
- अपराधी गैंग के प्रत्येक सदस्य के खिलाफ राकोका के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई होगी।
गैंगस्टर्स की मदद करने वालों को भी उम्रकैद
इस कानून में अपराधियों और उसके मददगारों के लिए माफी नाम की कोई चीज नहीं होगी।
गैंग बनाकर अपराध करने वाले अपराधियों को शरण देने वालों को कम से कम 5 साल की सजा और 5 लाख रुपए का जुर्माने का प्रावधान है।
इसके अलावा अपराधियों को शरण देने पर उम्रकैद तक की सजा भी हो सकती है।
गैंग बनाकर अवैध वसूली, फिरौती, तस्करी सहित किसी भी अवैध तरीके से पैसा या प्रॉपर्टी बनाने पर कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान है।
बेनामी प्रॉपर्टी रखने वालों की संपत्ति कुर्क होगी। इसके साथ ही 3 से 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।
यहां तक की आरोपी को उम्रकैद भी हो सकती है। सरकार इस तरह की प्रॉपर्टी को जब्त करके नीलाम कर सकती है।
हर तरह के गुनाह होंगे शामिल
राकोका कानून केवल गैंग अपराध तक ही सीमित नहीं होगा। इसमें हर तरह का गुनाह शामिल होगा।
जिसमें शराब तस्करी, अवैध वसूली, ड्रग्स तस्करी, फिरौती जैसे अपराध भी शामिल होंगे। गैंगस्टर्स के खिलाफ एक्शन के लिए नियमों में एसओपी भी बनेगी।
महाराष्ट्र ने सबसे पहले लागू किया था ’मकोका’
गौरतलब है कि महाराष्ट्र ने सबसे पहले 1999 में अंडरवर्ल्ड को खत्म करने के लिए महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) बनाया था।
महाराष्ट्र सरकार के मकोका को देखते हुए साल 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू किया।
यही नहीं, इस कानून के अच्छे परिणामों को देखते हुए यूपी सरकार ने भी इसी तरह का कानून बनाया।
अब राजस्थान सरकार भी अपराधों की दुनिया पर अंकुश लगाने के लिए इसी तर्ज पर राकोका के रूप में कानून बनाने जा रही है।