Highlights
- ऊर्जा मंत्री ने मुख्यमंत्री से की स्कूलों में घटिया निर्माण की शिकायत।
- शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने जांच कमेटी का गठन कर कार्रवाई के आदेश दिए।
- पीडब्ल्यूडी से इंजीनियर लाकर गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित किया जाएगा।
- बिशनपुरा स्कूल भवन में थर्ड पार्टी जांच के निर्देश।
जयपुर: ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर (Energy Minister Hiralal Nagar) ने मुख्यमंत्री (Chief Minister) से स्कूलों में घटिया निर्माण की शिकायत की। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Education Minister Madan Dilawar) ने जांच कमेटी बनाई और कार्रवाई के आदेश दिए।
शिक्षा विभाग सक्रिय, जांच कमेटी गठित
राजस्थान सरकार के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर द्वारा सरकारी स्कूलों में घटिया गुणवत्ता के निर्माण की मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद शिक्षा विभाग त्वरित कार्रवाई मोड में आ गया है।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस पूरे गंभीर मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है।
उन्होंने मामले में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के आदेश भी जारी किए हैं।
ऊर्जा मंत्री की शिकायत का आधार और शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि ऊर्जा राज्य मंत्री हीरालाल नागर ने बीते दिनों कोटा के सरकारी स्कूलों के औचक निरीक्षण के दौरान कई गंभीर कमियां पाई थीं।
इन कमियों को लेकर उन्होंने मौके पर ही अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की थी।
नागर द्वारा उठाए गए इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर शिक्षा विभाग ने एक तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार की है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
विभिन्न स्कूलों में निर्माण कार्यों की स्थिति और जिम्मेदारियां
राज्य परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा राजस्थान द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्लीपूरा स्कूल में 42 लाख रुपये की लागत से निर्माण कार्य 2021 में पूरा हुआ था।
खजूरना और उरना स्कूलों में 38 लाख रुपये की लागत से सीएसआर फंड के तहत निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें समग्र शिक्षा अभियान (समसा) की कोई सीधी भूमिका नहीं है।
डूंगरज्या स्कूल में भी ग्राम पंचायत द्वारा 13 लाख रुपये से निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिसकी गुणवत्ता पर भी सवाल उठे हैं।
पिछली सरकार के समय हुए निर्माण कार्यों में खामियां
दिलावर ने स्पष्ट किया कि ऊर्जा मंत्री ने अपनी जान-पहचान के जिन स्कूलों का निरीक्षण किया था, उनमें से अधिकांश में पाई गई खामियां पूर्व की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल की हैं।
उन्होंने बताया कि ऐसे सभी मामलों की गहन जांच की जाएगी और यदि लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
गुणवत्तापूर्ण निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी से इंजीनियरों की तैनाती
शिक्षा विभाग में इंजीनियरिंग विंग की कमी को देखते हुए अब पीडब्ल्यूडी विभाग से इंजीनियरों को डेपुटेशन पर लाया जाएगा।
यह निर्णय राजस्थान के सरकारी स्कूलों में भविष्य के निर्माण कार्यों को बेहतर और उच्च गुणवत्ता वाला बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।
बिशनपुरा स्कूल में थर्ड पार्टी जांच के निर्देश
कनवास तहसील के बिशनपुरा स्कूल भवन के निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठने के बाद ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने जिला कलेक्टर को थर्ड पार्टी से जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
मंत्री नागर ने यह महत्वपूर्ण निर्देश कोटा जिले की कनवास तहसील के बिशनपुरा गांव में आयोजित रात्रि चौपाल में ग्रामीणों की शिकायत सुनने के बाद दिया।
ग्रामीणों ने ऊर्जा मंत्री से स्कूल भवन के निर्माण में घटिया सामग्री के खुलेआम इस्तेमाल की शिकायत की थी।
यह निर्माण लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अनुशंसा पर कोल इंडिया के सीएसआर फंड से स्वीकृत 15 लाख रुपये की लागत से कराया जा रहा है।
इस परियोजना के तहत दो कमरे और एक बरामदा बनाया जा रहा है, जिसकी कार्यकारी एजेंसी पंचायत समिति है।
ग्रामीणों की शिकायत पर मंत्री का औचक निरीक्षण और चौंकाने वाले खुलासे
ऊर्जा मंत्री के चौपाल में पहुंचने पर ग्रामीणों ने स्कूल निर्माण कार्य में व्याप्त अनियमितताओं की विस्तार से शिकायत की।
शिकायत पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मंत्री देर रात स्कूल पहुंचे और निर्माणाधीन कार्य का औचक निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान उन्हें निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग स्पष्ट रूप से मिला।
डीपीसी की गिट्टी महज ठोकर मारने से ही उखड़ रही थी, जो निर्माण की कमजोर नींव को दर्शाती है।
दीवारों की ईंटें हाथों से ही आसानी से निकाली जा सकती थीं, जिससे गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा।
नवनिर्मित बीम में भी स्पष्ट दरारें पाई गईं, जो संरचनात्मक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि नींव में रेत-सीमेंट की जगह मिट्टी भरी गई थी, और चुनाई में भी रेत-सीमेंट की जगह धूल (डस्ट) का प्रयोग किया गया था।
देश के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा: ऊर्जा मंत्री
ऊर्जा मंत्री ने मौके पर ही अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर माफी नहीं दी जाएगी।
उन्होंने दृढ़ता से कहा कि अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार की लापरवाही के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाकर दोषियों को सख्त सबक सिखाया जाएगा।
नागर ने घटिया निर्माण पर चिंता जताते हुए कहा कि जिस प्रकार से निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई है, उसे देखते हुए पूरे स्कूल भवन को जमींदोज कर पुनर्निर्माण कराए जाने की तत्काल आवश्यकता है।
जांच के आदेश और दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई
मंत्री ने तत्काल प्रभाव से जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन और मटेरियल टेस्टिंग के लिए विस्तृत निर्देश दिए हैं।
इसके साथ ही, सीईओ जिला परिषद को भी स्कूल निर्माण की गहन जांच करने के लिए कहा गया है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच में दोषी पाए जाने वाले सभी व्यक्तियों के खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का भास्कर इंटरव्यू में स्पष्टीकरण
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर द्वारा सीएम भजनलाल शर्मा को सरकारी स्कूलों में घटिया निर्माण को लेकर पत्र लिखने पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने उनका धन्यवाद ज्ञापित किया।
दिलावर ने नागर को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने कमियों को उजागर कर एक महत्वपूर्ण कार्य किया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नागर द्वारा निरीक्षण किए गए स्कूलों में से केवल एक स्कूल ही शिक्षा विभाग ने बनाया था, और वह भी 2021 में कांग्रेस शासन के दौरान बन चुका था।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि अन्य स्कूल पंचायत समितियों ने बनाए थे, वे भी कांग्रेस सरकार के समय के हैं।
हालांकि, उन्होंने इन सभी स्कूलों की जांच के आदेश दे दिए हैं और जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
समग्र शिक्षा अभियान (समसा) पर उठे सवालों का जवाब
ऊर्जा मंत्री ने समग्र शिक्षा अभियान (समसा) की सिविल विंग पर भी सवाल उठाए थे।
इस पर दिलावर ने कहा कि नागर ने जिन स्कूलों का निरीक्षण किया है, उनमें से समसा से बहुत कम स्कूल बने हैं।
उन्होंने बताया कि अधिकांश निर्माण तब पंचायत समितियों ने किए थे, और उनकी सूची में से केवल एक ही समसा से बना था, वह भी पिछली कांग्रेस सरकार के शासन में।
नागर ने सीएम को लिखे पत्र में समसा की सिविल विंग को भंग करने का सुझाव दिया था।
दिलावर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि समसा केवल निर्माण ही नहीं, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सारे अन्य महत्वपूर्ण कार्य भी करता है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्माण कार्यों में डेपुटेशन पर अधिकांश इंजीनियर पीडब्ल्यूडी से ही लिए जाते हैं।
शिक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि वर्तमान में उनके पास पर्याप्त अधिकारी और जूनियर इंजीनियर (जेईएन) नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि वे पीडब्ल्यूडी से पर्याप्त संख्या में इंजीनियर देने का निवेदन कर रहे हैं ताकि गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित हो सके।
ऊर्जा मंत्री के इस सुझाव पर कि समसा की सिविल विंग की बजाय पीडब्ल्यूडी से ही काम कराया जाए, दिलावर ने कहा कि नागर को शायद पूरी जानकारी नहीं है, क्योंकि समसा में इंजीनियर पीडब्ल्यूडी के ही होते हैं।
उन्होंने बताया कि अभी इंजीनियरों की कमी के कारण, प्रयोगशाला सहायक, जिन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में बीई की हुई है, उनकी सहायता ली जाती है।
पीडब्ल्यूडी से कितने इंजीनियर मांगे गए हैं, इस सवाल पर दिलावर ने कहा कि संख्या तो उनके पास नहीं है, लेकिन सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद वे उतने इंजीनियर चाहेंगे जितने पीडब्ल्यूडी सरप्लस कर सकता है, क्योंकि उनके पास भी कमी होती है।
नए निर्माण की गुणवत्ता निगरानी के उपाय
नए निर्माण की गुणवत्ता कैसे मॉनिटरिंग करेंगे, इस सवाल पर दिलावर ने कहा कि विभाग ने यह तय कर दिया है कि जहां भी गुणवत्ता में कमी पाई जाएगी, उसकी वसूली ठेकेदार और संबंधित इंजीनियर से की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी निर्माण कार्यों का थर्ड पार्टी से असेसमेंट (मूल्यांकन) भी कराया जाएगा।
जिन स्कूलों को लेकर चिट्ठी लिखी गई थी, उनकी भी थर्ड पार्टी से जांच कराएंगे, इस पर दिलावर ने कहा कि ये अधिकांश पिछली सरकार में पंचायत समितियों ने बनाए हैं।
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