Highlights
- राजस्थान में भ्रष्टाचार के 607 मामलों में अभियोजन स्वीकृति लंबित है।
- 541 मामले ऐसे हैं जो तीन महीने से अधिक समय से अटके हुए हैं।
- स्वायत्त शासन विभाग में सबसे अधिक 142 मामले पेंडिंग हैं।
- एसीबी में करीब 45 फीसदी पद खाली पड़े हैं, जिससे जांच प्रभावित हो रही है।
जयपुर | राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की मुहिम को बड़ा झटका लग रहा है। ब्यूरो द्वारा रंगे हाथ पकड़े गए सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित विभाग अभियोजन स्वीकृति नहीं दे रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश भर में ऐसे 600 से अधिक मामले लंबित हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया बाधित हो रही है और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति प्रभावित हो रही है।
मुख्य सचिव को भेजी गई रिपोर्ट
एसीबी डीजी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य सचिव वी. श्रीनिवासन को एक विस्तृत पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि विभिन्न विभागों में अटके हुए इन मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाए। रिपोर्ट के अनुसार, 607 लंबित मामलों में से 541 प्रकरण तो ऐसे हैं जो पिछले तीन महीनों से भी अधिक समय से लंबित पड़े हैं, लेकिन विभाग स्वीकृति देने में आनाकानी कर रहे हैं।
नगर निकायों में सबसे ज्यादा मामले
पत्र में विभागवार आंकड़ों का विश्लेषण भी किया गया है। सबसे खराब स्थिति स्वायत्त शासन विभाग की है, जिसमें नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिकाएं शामिल हैं। यहां भ्रष्टाचार के 142 मामलों में अनुमति का इंतजार है। इसके बाद पंचायती राज विभाग में 51 मामले लंबित हैं। राजस्व, ऊर्जा, पुलिस और कार्मिक विभाग में भी भ्रष्टाचार के दर्जनों मामले फाइलों में कैद हैं।
रिक्त पदों से जूझती एसीबी
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में संसाधनों की कमी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। एसीबी डीजी ने बताया कि ब्यूरो में वर्तमान में लगभग 45 प्रतिशत पद रिक्त हैं। पुलिस इंस्पेक्टर के 106 स्वीकृत पदों में से 58 खाली हैं, जबकि अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के 68 में से 28 और उप पुलिस अधीक्षक के 31 में से 6 पद खाली हैं। इन पदों को भरने से जांच प्रक्रिया में तेजी आएगी।
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