Highlights
- सिरोही के दशहरा मैदान में 60 फीट ऊंचे रावण का दहन।
- भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमानजी रथ पर सवार होकर पहुंचे, श्रद्धालुओं ने ली सेल्फी।
- मेघनाथ के पुतले में आग लगाते समय अफरा-तफरी का माहौल बना।
- राज्य सरकार की उपलब्धियों का भी किया गया उल्लेख।
सिरोही | शहर के दशहरा मैदान में मंगलवार शाम को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक रावण दहन का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर भगवान श्रीराम ने 60 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया, जिसके साथ कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों को भी अग्नि भेंट की गई। इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में शहरवासी दशहरा मैदान पहुंचे।
कार्यक्रम की शुरुआत में भगवान श्रीराम, लक्ष्मणजी और हनुमानजी महाराज रथ पर सवार होकर राम झरोखा मैदान से रवाना हुए। शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए जब यह दल दशहरा मैदान पहुंचा, तो श्रद्धालुओं ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान कई लोगों ने भगवान के स्वरूपों के साथ सेल्फी लेकर इन पलों को यादगार बनाया। पूरे कार्यक्रम स्थल पर ड्रोन भी मंडराता हुआ नजर आया, जिससे सुरक्षा और व्यवस्था पर भी नजर रखी जा रही थी।
भव्य पुतले और आतिशबाजी
नगर परिषद द्वारा इस वर्ष 60 फीट ऊंचे रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के आकर्षक पुतले तैयार करवाए गए थे। इन पुतलों के निर्माण पर 2,45,000 रुपए का टेंडर दिया गया था। इसके अतिरिक्त, दर्शकों के मनोरंजन के लिए शानदार आतिशबाजी का भी प्रबंध किया गया था, जिस पर चार लाख रुपए का अलग से ठेका किया गया था। आतिशबाजी की चमक ने पूरे मैदान को रोशन कर दिया, जिससे उत्सव का माहौल और भी जीवंत हो उठा।
अफरा-तफरी का माहौल
कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत समारोह से हुई, जो लगभग 20 मिनट तक चला। इस दौरान राज्य सरकार की विभिन्न उपलब्धियों का भी उल्लेख किया गया। शाम करीब 7:30 बजे भगवान श्रीराम ने सबसे पहले मेघनाथ का दहन किया, उसके बाद कुंभकर्ण और अंत में रावण का पुतला दहन किया गया। हालांकि, मेघनाथ के पुतले में आग लगाते समय पलीता हाथ से छूट गया और हवा में लहराने लगा, जिससे वहां मौजूद लोग कुछ देर के लिए घबरा गए और थोड़ी देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि, स्थिति को तुरंत नियंत्रित कर लिया गया।
सुरक्षा और व्यवस्था
नगर परिषद ने कार्यक्रम स्थल पर सुचारु व्यवस्था बनाए रखने के लिए पहले से ही पार्किंग की उचित व्यवस्था कर रखी थी। सभी वाहनों को मुख्य गेट के बाहर ही खड़ा किया गया, जिससे मैदान के अंदर भीड़भाड़ और यातायात जाम से बचा जा सके। रावण दहन के बाद जब आतिशबाजी अपनी चरम पर थी, तो पूरा मैदान तालियों और जयकारों से गूंज उठा। परंपरा के अनुसार, रावण दहन के बाद शहरवासियों ने मिठाई की दुकानों पर पहुंचकर जलेबी का आनंद लिया, जो इस उत्सव का एक अभिन्न अंग है।