Highlights
- सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
- वांगचुक को लद्दाख में राज्य की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था।
- याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत बंदी प्रत्यक्षीकरण के माध्यम से उनकी रिहाई की मांग की गई है।
- दशहरा अवकाश के बाद 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में मामले की तत्काल सुनवाई की संभावना है।
लद्दाख | केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी का मामला अब देश की सर्वोच्च अदालत, सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो ने अपने पति की हिरासत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है, जिसमें वांगचुक की रिहाई की मांग की गई है।
गिरफ्तारी और आरोप
सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में राज्य की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत में लिया गया था। लद्दाख के लोग लंबे समय से पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों में सोनम वांगचुक एक प्रमुख आवाज रहे हैं, जिन्होंने पर्यावरण और स्थानीय संस्कृति के संरक्षण के लिए भी लगातार आवाज उठाई है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर स्थानीय स्तर पर काफी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है।
पत्नी ने दायर की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका
गीतांजलि आंगमो ने गुरुवार को दायर अपनी रिट याचिका में अपने पति की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। उन्होंने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus petition) के माध्यम से यह चुनौती दी है, जो किसी व्यक्ति की अवैध हिरासत को चुनौती देने के लिए दायर की जाती है। वर्तमान में, सोनम वांगचुक को राजस्थान के जोधपुर जेल में रखा गया है। याचिका में उठाए गए विशिष्ट आधारों और कानूनी तर्कों की विस्तृत जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन यह माना जा रहा है कि इसमें हिरासत की वैधता और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर सवाल उठाए गए होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की उम्मीद
माना जा रहा है कि दशहरा की छुट्टियों के बाद सुप्रीम कोर्ट के दोबारा खुलने पर, यानी 6 अक्टूबर को इस महत्वपूर्ण मामले की तत्काल सुनवाई हो सकती है। सोनम वांगचुक एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित व्यक्ति हैं, जो एक नवप्रवर्तक और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता हैं। उन्होंने लद्दाख में शिक्षा सुधार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी गिरफ्तारी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है, और कई मानवाधिकार संगठनों ने उनकी रिहाई की मांग की है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लद्दाख में चल रहे आंदोलन और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रख सकता है।
ब्रिटिश शासन की तरह अत्चायार
इससे पहले गीतांजलि अंगमो ने गृह मंत्रालय को आड़े हाथों लेते हुए लद्दाख में पुलिसिया कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय लद्दाख में ब्रिटिश शासन की तरह अत्याचार कर रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या भारत वाकई में आजाद है? यहां तो हालत ब्रिटिश शासन से भी ज्यादा खराब है।
गीतांजलि ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर काफी आक्रामक अंदाज में पूछते हुए लिखा कि क्या भारत सचमुच आजाद है? 1857 में, 24000 अंग्रेजों ने महारानी के आदेश पर 30 करोड़ भारतीयों पर अत्याचार करने के लिए 1,35,000 भारतीय सिपाहियों का इस्तेमाल किया था। आज, गृह मंत्रालय के आदेश पर, एक दर्जन प्रशासक 2,400 लद्दाखी पुलिस का दुरुपयोग करके 3 लाख लद्दाखियों पर अत्याचार और अत्याचार कर रहे हैं।