Supreme Court: धोखाधड़ी और जबरन धर्म परिवर्तन पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: केंद्र और राज्यों से जवाब तलब, राजस्थान में बनेगा कानून

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नई दिल्ली, 20 जून 2024: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है, जिसमें धोखाधड़ी और जबरन धार्मिक रूपांतरण को रोकने के उपायों की मांग की गई थी। इस याचिका के जवाब में, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भरत लाल मीणा ने शीर्ष अदालत में हलफनामा दायर किया, जिसमें निर्देशों का सख्ती से पालन करने की बात कही गई है।

याचिका का विवरण और अदालत की चिंता

2022 में दायर की गई इस जनहित याचिका में उपाध्याय ने केंद्र और राज्य सरकारों से अनुरोध किया था कि वे धोखाधड़ी, धमकी, धोखेबाज प्रलोभन और मौद्रिक लाभ के माध्यम से किए गए धार्मिक रूपांतरणों को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई करें। उपाध्याय ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर संभावित खतरे के रूप में जबरन धर्म परिवर्तन को उठाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया।

शीर्ष अदालत की प्रतिक्रिया

नवंबर 2022 में हुई सुनवाई में, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरे को स्वीकार करते हुए इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की और केंद्र तथा राज्यों से प्रतिक्रिया मांगी। अदालत ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन यदि सच है, तो यह राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।

याचिका के बयानों पर विवाद

हालांकि, अदालत ने उपाध्याय की याचिका में कुछ बयानों को अल्पसंख्यक धर्मों के प्रति अपमानजनक पाया। परिणामस्वरूप, याचिकाकर्ता का नाम मामले के शीर्षक से हटा दिया गया और इसे बदलकर "इन रे: द इश्यू ऑफ रिलीजियस कन्वर्जन" कर दिया गया।

अन्य याचिकाओं का समेकन

सुप्रीम कोर्ट ने उपाध्याय की याचिका के अलावा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात सहित कई राज्यों द्वारा पारित कानूनों को चुनौती देने वाली अन्य जनहित याचिकाओं को भी समेकित किया। अदालत ने इन कानूनों की आलोचना की थी, विशेषकर उनके कथित भेदभावपूर्ण प्रभाव के लिए।

भविष्य की दिशा

याचिकाकर्ता ने धार्मिक रूपांतरणों की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) जैसी एजेंसियों के हस्तक्षेप की भी मांग की थी। इसके अलावा, उन्होंने भारत के विधि आयोग से डराने, धमकाने, धोखेबाज प्रलोभन और मौद्रिक लाभ के माध्यम से किए गए धार्मिक रूपांतरण को संबोधित करने के लिए एक रिपोर्ट और मसौदा कानून तैयार करने का प्रस्ताव दिया था।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी को रेखांकित करता है। कोर्ट के सख्त निर्देश और विभिन्न एजेंसियों की जांच के प्रस्ताव से उम्मीद की जा रही है कि इस गंभीर मुद्दे पर उचित कार्रवाई हो सकेगी। इस बीच, अदालत के निर्देशों के पालन और इसके प्रभाव पर निगरानी रखी जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता दोनों का सम्मान हो।

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