गोलू देवता मंदिर: न्याय का प्रतीक और श्रद्धा का केंद्र

न्याय का प्रतीक और श्रद्धा का केंद्र
गोलू देवता मंदिर
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गोलू देवता को न्याय का प्रतीक माना जाता है और उनकी लोकप्रियता इस बात में है कि वे अपने भक्तों की सभी सच्ची मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। भक्त यहां आकर अपनी अर्जी चढ़ाते हैं, जो कभी खाली नहीं लौटती

अल्मोड़ा | उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के चितई में स्थित गोलू देवता का मंदिर एक अद्भुत धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर की मान्यता और चमत्कारिक गुणों के चलते यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी श्रद्धा का केंद्र बन चुका है। गोलू देवता को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी त्वरित न्याय देने की क्षमता के लिए वे दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं।

Golu Devta Temple Uttarakhand

मंदिर के परिसर में कदम रखते ही श्रद्धालुओं को घंटियों की गुंजन सुनाई देती है, जो एक रहस्यमय ऊर्जा का अहसास कराती है। भक्त मानते हैं कि गोलू देवता शिव और कृष्ण के अवतार हैं, जो सत्य के लिए हमेशा खड़े रहते हैं और अपने भक्तों को न्याय प्रदान करते हैं। मंदिर के चारों ओर हजारों घंटियाँ चढ़ाई गई हैं, जो भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति के प्रतीक मानी जाती हैं।

Uttarakhand

गोलू देवता की मान्यता और कथा

गोलू देवता को न्याय का प्रतीक माना जाता है और उनकी लोकप्रियता इस बात में है कि वे अपने भक्तों की सभी सच्ची मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। भक्त यहां आकर अपनी अर्जी चढ़ाते हैं, जो कभी खाली नहीं लौटती।

Golu Devta Temple monkey

चाहे वह सरकारी दफ्तर से जुड़े मामले हों, संपत्ति विवाद, पारिवारिक समस्याएं, या जीवन की अन्य कठिनाइयां, लोग यहां आकर अपनी अर्जियां लगाते हैं और न्याय की गुहार लगाते हैं। भक्त अपनी मन्नत के रूप में पत्र लिखते हैं, जिन्हें मंदिर की दीवारों या पेड़ों पर टांगा जाता है। कुछ भक्त स्टांप पेपर पर अपनी अर्जी लिखते हैं, जैसे कि कानूनी अदालत में प्रस्तुत कर रहे हों।

मंदिर का इतिहास और स्थापना

चितई गोलू देवता का मंदिर अल्मोड़ा से लगभग आठ किलोमीटर दूर पिथौरागढ़ हाईवे पर स्थित है। मंदिर में सफेद घोड़े पर सवार, सफेद पगड़ी बांधे गोलू देवता की प्रतिमा है, जिनके हाथों में धनुष-बाण है। यह मंदिर गोलू देवता के शौर्य और वीरता की गाथा को दर्शाता है। इस मंदिर की स्थापना चंद वंश के राजाओं ने की थी, जो गोलू देवता को अपने कुलदेवता के रूप में मानते थे।

मन्नत पूरी होने पर घंटियों का चढ़ावा

मंदिर में घंटियों की विशाल संख्या यह साबित करती है कि यहां मांगी गई मन्नतें अधूरी नहीं रहतीं। भक्त जब अपनी मन्नत पूरी हो जाती है, तो वे घंटी चढ़ाकर अपनी आस्था और कृतज्ञता प्रकट करते हैं। मंदिर में लोहे, पीतल और चांदी की घंटियाँ देखने को मिलती हैं, जो भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक हैं।

मंदिर की यात्रा और पहुंचने का मार्ग

चितई गोलू मंदिर दिल्ली से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां यात्रा करने के लिए आनंद विहार से सीधे अल्मोड़ा के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त, दिल्ली से हल्द्वानी जा सकते हैं और वहां से अल्मोड़ा के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं। यात्रा के दौरान पहाड़ी इलाकों की प्राकृतिक सुंदरता और शांति का अनुभव होता है, जो मन और आत्मा को सुकून प्रदान करता है।

न्याय का देवता: गोलू देवता की चमत्कारी गाथा

गोलू देवता का मंदिर एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो आस्था और विश्वास को मजबूत करता है। भक्त मानते हैं कि गोलू देवता के दरबार में न्याय मांगने वाला कभी खाली हाथ नहीं लौटता। यह मंदिर सत्य और न्याय की जीत की मिसाल पेश करता है और विश्वास दिलाता है कि किसी भी अन्याय के खिलाफ सत्य और न्याय की शक्ति हमेशा जीतती है।

रिपोर्ट गणपत सिंह मांडोली

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