Bundi Rajasthan: बूंदी में आराध्य देव श्री रंगनाथ जी की डोल यात्रा निकली

बूंदी में आराध्य देव श्री रंगनाथ जी की डोल यात्रा निकली
बूंदी में आराध्य देव श्री रंगनाथ जी की डोल यात्रा निकली
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बूंदी, 14 सितंबर 2024 | बूंदी शहर में आज श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय नजारा देखने को मिला जब आराध्य देव श्री रंगनाथ जी की डोल यात्रा नगर भ्रमण पर निकली। श्री रंगनाथ जी अपने निज मंदिर से तोप की सलामी और शहनाई, मृदंग, बैंड बाजों की मधुर ध्वनि के बीच जयकारों के साथ मंदिर प्रांगण में आए। बूंदी के महाराव राजा वंशवर्धन सिंह हाड़ा के नेतृत्व में यहां से भगवान देव विमान में विराजमान होकर नगर भ्रमण के लिए प्रस्थान किए। भगवान के दर्शन के लिए शहरवासियों में अपार उत्साह देखा गया।

श्री रंगनाथ सेवा समिति के अध्यक्ष पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि मोतीमहल रावला से भगवान श्री रंगनाथ जी के विमान को शाही अंदाज में निकाला गया। मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं ने खुले परिसर में भगवान के दर्शन किए। पंडित गणेश शर्मा और पंडित मुकेश शर्मा ने पूजा-अर्चना कर आरती उतारी। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ विमान यात्रा रवाना हुई।

पूरे शहर में यात्रा के मार्ग पर छतों और पांडालों में भारी भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने जगह-जगह भगवान के विमान पर पुष्प वर्षा की और फल, श्रीफल अर्पित कर स्वागत किया। यात्रा में शामिल श्रद्धालु लाल छड़ियां लिए हुए भगवान के साथ चल रहे थे। प्रमुख मार्गों से होती हुई यह यात्रा देर रात रामबाग स्थित मोतीमहल रावला के बाग पहुंची, जहां ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ महाराव राजा वंशवर्धन सिंह ने सभी देवों का कलशाभिषेक और जलवा पूजन किया।

महाराव राजा वंशवर्धन सिंह ने इस अवसर पर बताया कि डोल ग्यारस के दिन माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे, इसलिए इसे 'जलझूलनी एकादशी' भी कहा जाता है। इस एकादशी के पुण्य से सभी दुःखों का नाश होता है। भगवान विष्णु और बालकृष्ण की पूजा के प्रभाव से इस दिन व्रत का पुण्य प्राप्त होता है। जो व्यक्ति भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, वह तीनों लोकों में पूज्य होता है।

यात्रा में गोविंदानाथ, पीताम्बरनाथ और रंगनाथ महाराज के विमान शामिल रहे। इस धार्मिक यात्रा में विधायक हरिमोहन शर्मा, समिति अध्यक्ष पुरुषोत्तम पारीक, महासचिव अजय नुवाल, पार्षद मनीष सिसोदिया समेत शहर के गणमान्य लोग और विद्वान शामिल हुए। यात्रा के आगे-आगे वेद मंत्रोच्चार करते हुए पंडित श्रीकांत शर्मा, पंडित लक्ष्मीकांत शर्मा, पंडित श्याम भारद्वाज और पंडित रघुनंदन राजमुखिया चल रहे थे।

यात्रा मार्ग में श्री लक्ष्मीनाथ, श्री जगन्नाथ, श्री चारभुजानाथ, श्री कल्याण राय और श्री त्रिहस्त गणेश मंदिरों में भगवान श्री रंगनाथ जी की आरती की गई और प्रसाद चढ़ाया गया। यात्रा को देखने के लिए लोग पूरे मार्ग पर आतुर दिखे, वहीं युवा ढोल-नगाड़े बजाते हुए भगवान की आगवानी कर रहे थे।

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