Highlights
- भारतीय सेना ने अग्निवीर प्रतिधारण दर बढ़ाने की रिपोर्ट को नकारा।
- सेना कमांडरों का सम्मेलन गोपनीय और संवेदनशील मामलों पर चर्चा का मंच है।
- आधिकारिक एजेंडे में अग्निवीर प्रतिधारण प्रतिशत बढ़ाने की चर्चा शामिल नहीं।
- द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट को 'बिल्कुल गलत' बताया गया।
नई दिल्ली: भारतीय सेना (Indian Army) ने अग्निवीर (Agniveer) प्रतिधारण दर बढ़ाने की द इंडियन एक्सप्रेस (The Indian Express) की रिपोर्ट को 'बिल्कुल गलत' बताया है। सेना कमांडरों का सम्मेलन (Army Commanders’ Conference) गोपनीय मामलों पर चर्चा का एक मंच है।
भारतीय सेना का स्पष्ट खंडन
भारतीय सेना ने एक प्रमुख समाचार पत्र, द इंडियन एक्सप्रेस, में प्रकाशित उस रिपोर्ट का खंडन किया है जिसमें दावा किया गया था कि सेना कमांडरों के सम्मेलन में अग्निवीर प्रतिधारण दर को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।
सेना के प्रवक्ता कर्नल निशांत अरविंद ने गुरुवार को कहा कि यह रिपोर्ट "बिल्कुल गलत" है और इसमें उल्लिखित एजेंडा "वास्तविक विचार-विमर्श के एजेंडे से मेल नहीं खाते हैं"।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अग्निवीरों के प्रतिधारण प्रतिशत में वृद्धि सहित लेख में वर्णित अधिकांश मुद्दों पर कोई चर्चा निर्धारित नहीं की गई है।
कर्नल अरविंद ने यह भी बताया कि इन मुद्दों को आधिकारिक एजेंडे के हिस्से के रूप में कभी परिचालित नहीं किया गया है।
यह खंडन उन अटकलों पर विराम लगाने के लिए आया है जो अग्निपथ योजना के भविष्य और अग्निवीरों के कार्यकाल को लेकर चल रही थीं।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुख्य दावे
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया था कि जैसलमेर में होने वाले सेना कमांडरों के सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
रिपोर्ट का केंद्रीय बिंदु अग्निवीर प्रतिधारण दर को मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव था।
इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया था कि तीनों सेवाओं के बीच संयुक्तता बढ़ाने के उपायों पर भी विचार किया जाएगा।
मिशन सुदर्शन चक्र के कार्यान्वयन की समीक्षा भी एजेंडे के प्रमुख मुद्दों में से एक बताई गई थी।
इन दावों ने रक्षा हलकों में और आम जनता के बीच काफी चर्चा पैदा कर दी थी।
सेना कमांडरों के सम्मेलन की प्रकृति
सेना के पीआरओ कर्नल निशांत अरविंद ने सेना कमांडरों के सम्मेलन की गोपनीय प्रकृति पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि यह एक "बंद दरवाजों वाला संस्थागत मंच" है।
इस मंच पर राष्ट्रीय सुरक्षा और परिचालन तैयारियों से संबंधित अत्यंत वर्गीकृत और संवेदनशील मामलों पर उच्चतम स्तर पर विचार-विमर्श किया जाता है।
यह सम्मेलन सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
यहां वे समग्र सुरक्षा स्थिति की गहन समीक्षा करते हैं और उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रमुख परिचालन प्राथमिकताओं पर गहन चर्चा करते हैं।
इस प्रकार, सम्मेलन का एजेंडा अत्यंत सावधानी से तैयार किया जाता है और इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है।
अग्निपथ योजना पर पूर्व की चर्चाएँ
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 14 अगस्त को द इंडियन एक्सप्रेस ने पहले भी एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
उस रिपोर्ट में कहा गया था कि सशस्त्र बल अग्निपथ योजना के पुनर्मूल्यांकन पर चर्चा कर रहे थे।
यह पुनर्मूल्यांकन तकनीकी रूप से कुशल और प्रशिक्षित जनशक्ति तथा सैनिकों की सैन्य बल में कम आयु प्रोफ़ाइल के बीच एक आदर्श अनुपात की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा था।
हालांकि, यह पूर्व चर्चा अग्निपथ योजना के व्यापक मूल्यांकन का हिस्सा थी, न कि विशेष रूप से प्रतिधारण दर में तत्काल वृद्धि का।
वर्तमान खंडन इस बात पर जोर देता है कि विशिष्ट प्रतिधारण दर में वृद्धि का प्रस्ताव मौजूदा सम्मेलन के एजेंडे में नहीं है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहला महत्वपूर्ण सम्मेलन
यह वर्तमान सेना कमांडरों का सम्मेलन मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद आयोजित होने वाला पहला महत्वपूर्ण आयोजन है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद से यह बैठक सेना के लिए अपनी रणनीतिक स्थिति और परिचालन तैयारियों का जायजा लेने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
सम्मेलन में वरिष्ठ अधिकारी देश की सीमाओं की सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों और भविष्य की युद्ध रणनीतियों पर व्यापक विचार-विमर्श करते हैं।
यह मंच भारतीय सेना को बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के अनुकूल बनाने और अपनी क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
सेना का नेतृत्व हमेशा राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहता है।
इस प्रकार, सम्मेलन के निष्कर्ष भारतीय सेना की भविष्य की दिशा के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
राजनीति