Rajasthan Politics: बाड़मेर रिफाइनरी पर राठौड़-जूली की जंग, कांग्रेस-भाजपा की अंदरूनी कलह उजागर

बाड़मेर रिफाइनरी पर राठौड़-जूली की जंग, कांग्रेस-भाजपा की अंदरूनी कलह उजागर
रिफाइनरी पर भिड़े राठौड़-जूली
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Highlights

  • रिफाइनरी में देरी को लेकर टीकाराम जूली और राजेंद्र राठौड़ में सोशल मीडिया पर तीखी बहस।
  • जूली ने राठौड़ से वसुंधरा राजे से दूरी बनाने का कारण पूछा।
  • राठौड़ ने कांग्रेस की गुटबाजी और सरकार बचाने में ध्यान न देने पर तंज कसा।
  • जूली ने रिफाइनरी की लागत बढ़ने और भाजपा सरकार की 'हवा-हवाई' घोषणाओं पर सवाल उठाए।

जयपुर: नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली (Tika Ram Juli) और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathore) बाड़मेर रिफाइनरी (Barmer Refinery) में देरी पर सोशल मीडिया पर भिड़ गए।

यह बहस सियासी संकट और कांग्रेस (Congress) की गुटबाजी तक पहुंची। राठौड़ ने कांग्रेस पर तंज कसा तो जूली ने राठौड़ के वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) से दूर होने का कारण पूछा।

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों बाड़मेर रिफाइनरी के मुद्दे पर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बीच सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर तीखी नोकझोंक देखने को मिली।

यह बहस केवल रिफाइनरी तक सीमित नहीं रही, बल्कि जल्द ही राजनीतिक संकट, कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी और यहां तक कि वसुंधरा राजे के साथ राठौड़ के संबंधों तक पहुंच गई।

विवाद की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 4 दिसंबर को रिफाइनरी पर किए गए एक ट्वीट से हुई थी। गहलोत ने रिफाइनरी के शुरू होने में देरी और लागत बढ़ने पर सवाल उठाए थे, जिस पर राजेंद्र राठौड़ ने पलटवार करते हुए देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया।

इसके बाद टीकाराम जूली ने भी पलटवार किया और दोनों नेताओं के बीच वार-पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया।

टीकाराम जूली का पहला वार: 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे'

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राजेंद्र राठौड़ को जवाब देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि रिफाइनरी पर बोलने से पहले आपको अपने गिरेबान में झांकना चाहिए था। उन्होंने कहा कि आप पर 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटे' वाली कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। जूली ने राठौड़ से सवाल किया कि वे किस 'गति' की बात कर रहे थे?

जूली ने आरोप लगाया कि सच यह है कि 2013 में कांग्रेस सरकार की स्वीकृत रिफाइनरी को 2014 से 2018 तक आपकी सरकार ने अटकाए रखा। उन्होंने कहा कि 4 साल तक 'रिव्यू' के नाम पर आपने राजस्थान के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया।

टीकाराम जूली ने आगे कहा कि अभी तो आप सरकार को बिना मांगी सलाह देने वाले सलाहकार हैं, पर उस समय तो आप ही मुख्य सलाहकार हुआ करते थे। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी सरकार के कारण रिफाइनरी की लागत 40 हजार करोड़ रुपए बढ़ गई।

'आंकड़ों की बाजीगरी मत कीजिए, राजेंद्र राठौड़ जी'

जूली ने राठौड़ पर आंकड़ों की बाजीगरी करने का आरोप लगाते हुए लिखा कि सच यह है कि आपकी 'डबल इंजन' सरकार ने राजस्थान के खजाने में 'डबल छेद' किए हैं। उन्होंने कहा कि आपने 4 साल काम रोककर प्रोजेक्ट की लागत 37 हजार करोड़ से बढ़ाकर 79 हजार करोड़ कर दी और राज्य सरकार को जबरन 26% का पार्टनर बना दिया, जो सामान्यतः कहीं नहीं होता है।

जूली के अनुसार, इस कारण बढ़ी हुई लागत का 10,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ सीधे राजस्थान की जनता की जेब पर पड़ा है। उन्होंने इसे राठौड़ की देन बताया। जूली ने यह भी कहा कि आज आप जिस 90% काम का श्रेय ले रहे हैं, वह वास्तव में 2018 से 2023 के बीच कांग्रेस सरकार की रात-दिन की मेहनत का नतीजा है, जिसे हमने कोरोना जैसी महामारी के बावजूद रुकने नहीं दिया।

राजेंद्र राठौड़ का पलटवार: कांग्रेस की गुटबाजी पर तंज

टीकाराम जूली के आरोपों का जवाब देते हुए राजेंद्र राठौड़ ने फिर पलटवार किया। उन्होंने लिखा कि यदि आपकी सरकार के लिए 2018 से 2023 तक रिफाइनरी की प्राथमिकता रही थी तो 5 साल में इस प्रोजेक्ट का काम कितना बढ़ा था? राठौड़ ने आरोप लगाया कि आपकी सरकार ने रिफाइनरी को लेकर जितना शोर किया, काम उसका आधा भी नहीं हुआ था।

राठौड़ ने कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह काम होना भी नहीं था क्योंकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार रूपी जहाज में इतने छेद हो गए थे कि हिचकोले खाते-खाते जैसे तैसे 5 साल पूरे किए थे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री सहित समस्त मंत्रिमंडल का पूरा ध्यान सरकार बचाने में था ना कि बाड़मेर रिफाइनरी जैसी महत्वपूर्ण परियोजना को पूरी करने में।

कांग्रेस सरकार ने भी 6 सलाहकार बनाए थे

राजेंद्र राठौड़ ने टीकाराम जूली को याद दिलाते हुए लिखा कि शायद आप भूल गये हैं कि आपकी ही सरकार ने 6 विधायकों को सलाहकार की उपाधि दी थी। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि अगर उनकी कीमती सलाह सच में आपके नेताओं को समझ आती, तो शायद आज कांग्रेस के “अच्छे दिन” कहीं तो दिखाई दे जाते।

राठौड़ ने जूली के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे आपके प्रति सहानुभूति है कि आप उस वक्त सलाहकार की भूमिका में नहीं थे वरना 25 सितंबर 2022 का वह कुख्यात घटनाक्रम जिसने आपकी पार्टी की अंतर्कलह को देशभर में तमाशा बना दिया था शायद घटित ही नहीं होता।

भाजपा में सलाहकार पद नहीं संस्कार है: राठौड़

राठौड़ ने जूली को संबोधित करते हुए कहा कि खैर जूली जी, आपका ध्यान मुझे सलाहकार की उपाधि देने में लगा है लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा में सलाह देना कोई पद नहीं बल्कि एक संस्कार है।

उन्होंने अपनी पार्टी की कार्यशैली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मैं तो हूं ही, मेरे जैसे हजारों समर्पित कार्यकर्ता रोज अपनी सरकार को सुझाव देते हैं और फर्क यह है कि भाजपा सरकार उन सुझावों को सुनती भी है और लागू भी करती है।

'अपनी नाव देखिए', वसुंधरा राजे से दूरी पर सीधा सवाल

टीकाराम जूली ने राजेंद्र राठौड़ को कांग्रेस के 'जहाज' की चिंता छोड़कर अपनी 'नाव' देखने की सलाह दी। उन्होंने सीधे तौर पर राठौड़ से पूछा कि पूरा राजस्थान जानता है कि एक समय वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सबसे बड़े 'सलाहकार' हुआ करते थे। फिर अचानक ऐसी क्या बात हो गई कि वे उनसे इतना दूर हो गए?

जूली ने जानना चाहा कि वह कौन सा राज है जिसने राठौड़ जैसे 'चाणक्य' को हाशिए पर ला खड़ा किया? उन्होंने भाजपा की आंतरिक स्थिति पर तंज कसते हुए कहा कि आज राजस्थान भाजपा में 'सीएम इन वेटिंग' (मुख्यमंत्री के दावेदारों) की लिस्ट विधायकों की संख्या से भी ज्यादा लंबी है।

जूली ने कहा कि हालत यह है कि जयपुर तो छोड़िए, दिल्ली वाले भी राजस्थान आकर सीएम बनने का सपना देख रहे हैं।

उन्होंने अंत में कहा कि जिस पार्टी में हर दूसरा नेता खुद को मुख्यमंत्री मान बैठा हो, हर विधायक, मंत्री कहता हो कि 'मेरी कुछ नहीं चल रही', वहां अनुशासन की दुहाई देना हास्यास्पद है।

यह दर्शाता है कि भाजपा के भीतर गहरे मतभेद और सत्ता संघर्ष चल रहा है, जिसका सीधा असर राज्य के विकास और सुशासन पर पड़ रहा है।

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