Highlights
- जयपुर के चौमूं में मस्जिद के बाहर रेलिंग हटाने को लेकर हुआ भारी बवाल।
- उपद्रवियों के पथराव में 6 पुलिसकर्मी घायल हुए और 50 लोग हिरासत में लिए गए।
- विवाद 40 साल पुराना है और अतिक्रमण के कारण यातायात बाधित होता था।
- क्षेत्र में तनाव को देखते हुए प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है।
जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर के पास स्थित चौमूं कस्बे में गुरुवार देर रात और शुक्रवार तड़के भारी तनाव का माहौल देखने को मिला। चौमूं बस स्टैंड स्थित कलंदरी मस्जिद के बाहर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान अचानक पथराव शुरू हो गया। इस घटना में पुलिस के 6 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। अब तक इस मामले में 50 से ज्यादा उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर पूरे चौमूं क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया है ताकि किसी भी तरह की अफवाह न फैले। यह पूरा विवाद लगभग 40 साल पुराना बताया जा रहा है जो एक बार फिर हिंसक रूप में सामने आया है।
विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
चौमूं के मुख्य बस स्टैंड चौराहे पर स्थित कलंदरी मस्जिद के बाहर का हिस्सा लंबे समय से विवादों में रहा है। स्थानीय लोगों और व्यापारियों का आरोप है कि मस्जिद के बाहर करीब 100 फीट के क्षेत्र में अवैध रूप से पत्थर डालकर अतिक्रमण किया गया था। इस अतिक्रमण की वजह से 100 फीट चौड़ी मुख्य सड़क मस्जिद के पास आकर महज 80 फीट रह जाती थी। इससे बस स्टैंड जैसे व्यस्त इलाके में दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती थी। जानकारी के अनुसार इस जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए साल 1981 से कोर्ट का स्टे प्रभावी है। व्यापारियों ने कई बार पुलिस थाने में शिकायत की थी कि यहां जानबूझकर पत्थर और लोहे के सरिए डालकर रास्ता रोका जाता है। पुलिस ने यातायात सुचारू करने के लिए वहां पुलिस गुमटी लगाने का प्रयास भी किया था लेकिन स्थानीय विरोध के कारण उसे हटाना पड़ा था।
समझौते की कोशिश और वादाखिलाफी
पिछले 4 महीनों से पुलिस और प्रशासन इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के साथ निरंतर वार्ता कर रहे थे। गुरुवार दोपहर को चौमूं थानाधिकारी प्रदीप शर्मा की मौजूदगी में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में मस्जिद कमेटी के प्रतिनिधियों और सर्व मुस्लिम समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। वार्ता के दौरान सहमति बनी कि मस्जिद के बाहर सड़क पर जो अतिरिक्त पत्थर पड़े हैं उन्हें हटा लिया जाएगा ताकि रास्ता पूरी तरह खुल सके। शाम करीब 6 बजे पुलिस की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ। एक ट्रॉली पत्थर हटाकर मस्जिद की दीवार के पास रख दिए गए। उस समय माहौल शांत था और ऐसा लग रहा था कि दशकों पुराना विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझ गया है। लेकिन जैसे ही शाम 7 बजे पुलिस बल वहां से हटा कुछ लोगों ने वहां लोहे के गाटर लगाकर पक्की रेलिंग बनाना शुरू कर दिया।
आधी रात का खूनी संघर्ष
जब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने लोहे की रेलिंग लगाने की सूचना पुलिस को दी तो पुलिस प्रशासन तुरंत हरकत में आया। एसीपी ऊषा यादव पुलिस जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचीं और निर्माण कार्य रोकने को कहा। रात 8 बजे से लेकर रात 2 बजे तक पुलिस समझाइश करती रही लेकिन रेलिंग लगाने वाला पक्ष अड़ा रहा। जब वार्ता विफल हो गई तो रात करीब 3 बजे प्रशासन ने जेसीबी बुलाकर अवैध रेलिंग हटाने का निर्णय लिया। जैसे ही जेसीबी ने रेलिंग को छूना शुरू किया छतों और गलियों से पुलिस पर भारी पथराव शुरू हो गया। अंधेरे का फायदा उठाकर उपद्रवियों ने पुलिस को निशाना बनाया। इस पथराव में 6 पुलिसकर्मियों के सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लाठीचार्ज किया और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
पुलिस प्रशासन की सख्त कार्रवाई
घटना की गंभीरता को देखते हुए जयपुर से अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर डॉक्टर राजीव पचार और स्पेशल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। रात करीब 4.30 बजे पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। पुलिस की टीमें उन घरों में घुसीं जहां से पथराव किया जा रहा था। सुबह होने तक पुलिस ने 50 से अधिक संदिग्धों को हिरासत में ले लिया था। स्पेशल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने बताया कि विवाद मुख्य रूप से लोहे के गाटर लगाने को लेकर शुरू हुआ था। उन्होंने कहा कि पुलिस फिलहाल उस ट्रिगर पॉइंट की जांच कर रही है जिसकी वजह से अचानक इतनी बड़ी संख्या में पथराव हुआ। पुलिस ने साफ किया है कि कानून व्यवस्था बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। हिरासत में लिए गए लोगों से पूछताछ की जा रही है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अन्य दंगाइयों की पहचान की जा रही है।
वर्तमान स्थिति और इंटरनेट पाबंदी
फिलहाल चौमूं में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है। पूरे कस्बे में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है और आरएसी की टुकड़ियों को भी बुलाया गया है। स्थानीय निवासी मुकेश सैनी ने बताया कि सड़क से अतिक्रमण हटाने के बदले मस्जिद से कुछ दूरी पर नया धार्मिक स्थल बनाने के लिए जमीन भी दी गई थी लेकिन पुरानी जगह से कब्जा नहीं छोड़ा गया। व्यापारियों में इस घटना को लेकर गहरा रोष है और उन्होंने बाजार बंद रखने का निर्णय लिया है। प्रशासन ने इंटरनेट बंद रखने की अवधि को समीक्षा के बाद आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। पुलिस का कहना है कि जब तक पूरी तरह शांति बहाल नहीं हो जाती और सभी दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हो जाती तब तक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी। यह घटना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि यह विवाद धार्मिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील है।
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