राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र: पहले दिन ही हंगामा, 'वोट चोरी' बनाम 'गालीबाज राहुल गांधी'

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Highlights

राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होते ही पहले दिन माहौल गर्मा गया

नारेबाज़ी, तख्तियां, आरोप-प्रत्यारोप और सदन की गरिमा पर सवाल खड़े हो गए

Jaipur | कांग्रेस विधायकों ने सदन में नारे लगाए – “वोट चोर गद्दी छोड़ो”। हाथों में तख्तियां लेकर भाजपा पर सीधा हमला बोला।
सचिन पायलट ने कहा – “राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ी गई लड़ाई में कांग्रेस के वोट चोरी किए गए। सरकार बनाने की कोशिश बार-बार हो रही है। कांग्रेस इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।”
टीकाराम जूली ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा – “आयोग भाजपा का नहीं, देश का है।” उन्होंने आरोप लगाया कि जयपुर ग्रामीण से लेकर हरियाणा और महाराष्ट्र तक वोट चोरी हुई है। साथ ही सवाल उठाया कि झालावाड़ स्कूल हादसे में बच्चों को श्रद्धांजलि क्यों नहीं दी गई।

कांग्रेस ‘वोट चोरी’ नैरेटिव को धार देकर राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव आयोग और भाजपा की विश्वसनीयता को चुनौती दे रही है। वहीं, बच्चों को श्रद्धांजलि न देने का मुद्दा सरकार पर मानवीय दबाव बनाने का प्रयास है।

भाजपा का पलटवार

भाजपा विधायकों ने पलटवार करते हुए नारे लगाए – “गालीबाज राहुल गांधी”।
सरकारी मुख्य सचेतक जागेश्वर गर्ग ने कहा – “गालीबाज राहुल गांधी और गालीबाज कांग्रेस का रिकॉर्ड सबके सामने है।”

भाजपा कांग्रेस के आरोपों को राहुल गांधी की बयानबाज़ी और छवि तक सीमित करना चाहती है, ताकि मुद्दा संस्थागत न बनकर व्यक्तिगत विवाद तक रह जाए।

निर्दलीय विधायक का मुद्दा

निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी खेजड़ी बचाओ पोस्टर लेकर सदन में पहुंचे और खेजड़ी संरक्षण कानून की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार कानून नहीं लाती तो वे कड़ा विरोध करेंगे।

यह संकेत है कि पर्यावरणीय और स्थानीय मुद्दे भी इस सत्र में अहम भूमिका निभाएंगे।

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, ला. गणेशन, शिबू सोरेन समेत 10 नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई।

कोचिंग रेगुलेशन बिल पर समिति की रिपोर्ट डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने रखी।

अंता सीट खाली होने की सूचना दी गई।

गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा – “एसआई भर्ती मामले में दोषियों पर कार्रवाई होगी, निर्दोषों को परेशान न किया जाए।”

कोचिंग रेगुलेशन बिल राजस्थान की शिक्षा-राजनीति पर बड़ा असर डालेगा। वहीं, एसआई भर्ती मामला युवाओं की संवेदनाओं से जुड़ा होने के कारण सरकार सावधानी से बयानबाज़ी कर रही है।

राजनीतिक निहितार्थ

मानसून सत्र के पहले ही दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष का टकराव बता रहा है कि आने वाले दिनों में सदन चलाना आसान नहीं होगा।

कांग्रेस ‘वोट चोरी’ नैरेटिव को राष्ट्रीय एजेंडा बनाने में जुटी है।

भाजपा कांग्रेस को ‘गालीबाज राहुल गांधी’ तक सीमित करना चाहती है।

निर्दलीय और छोटे दल स्थानीय मुद्दों पर सरकार पर दबाव बनाएंगे।

झालावाड़ हादसे को श्रद्धांजलि न देने का मुद्दा सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा कर सकता है।

राजस्थान विधानसभा का यह मानसून सत्र सिर्फ बिलों और नीतियों पर नहीं, बल्कि सत्ता और विपक्ष की सियासी जंग का अखाड़ा बन चुका है। अब देखना यह है कि—
क्या जनता की आवाज़ गूंजेगी,
या फिर सत्र सिर्फ नारेबाज़ी और हंगामे में बीत जाएगा?

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