Highlights
- सिरोही जिला अस्पताल में मरीजों को व्हीलचेयर और स्ट्रेचर नहीं मिल रहे।
- गंभीर और ऑपरेशन वाले मरीजों को परिजन खुद वार्ड तक ले जाने को मजबूर।
- अस्पताल प्रशासन कागजों में पर्याप्त सुविधाओं का दावा कर रहा है।
- आए दिन ऐसी अव्यवस्थाओं से मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है।
गणपत सिंह मांडोली
सिरोही. जिला अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को न तो व्हील चेयर मिल रही है और न स्टे्रचर। फिर मरीज चाहे गंभीर अवस्था में हो या ऑपरेशन किया हुआ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ऑपरेशन के बाद जब मरीज को बड़ी एहतियात के साथ स्टे्रचर पर लेटाकर वार्ड तक ले जाना होता उनके लिए ऐसी कोई सुविधा यहां नजर नहीं आती। राजकीय मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जिला अस्पताल में यहीं स्थिति है। यहां स्ट्रेचर व व्हील चेयर तो दूर कार्मिकों का भी टोटा बना हुआ है।
लिहाजा चेयर व स्टे्रचर कोई टूटा-फूटा मिल भी जाए पर चलाने वाला नहीं मिलेगा। मजबूरन मरीज के साथ आने वाले परिजन ही ऑपरेशन थियेटर से वार्ड तक ले जाने का काम करते हैं। वैसे अस्पताल के जिम्मेदारों को इससे कोई सरोकार नहीं है। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र महात्मा का कहना है कि व्हील चेयर, स्ट्रेचर व वार्ड ब्वाय पर्याप्त मात्रा में हैं। वैसे यह मान भी ले तो यह सब कहां हैं यह दिखना भी तो चाहिए।
कमियों पर पर्दा डाल रहे अधिकारी
वैसे प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र महात्मा बताते हैं कि सभी वार्डों में वार्ड ब्वॉय है और स्टे्रचर व व्हील चेयर भी है। उनकी माने भी तो आखिर कार्मिक दिखने तो चाहिए। शायद यह सब कागजों में ही चल रहा है। चाहे तो हो पर जिला अस्पताल की इन अव्यवस्थाओं के बीच मरीजों की जान सांसत में बनी हुई है और अधिकारी अपनी कमियों पर पर्दा डालने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
आए दिन इन हालातों से रूबरू हो रहे मरीज
ऐसा नहीं है कि यह एक दिन की बात हो, ऐसा यहां आए दिन हो रहा है। राजकीय मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जिला अस्पताल के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के बावजूद मरीजों को गंवई अस्पताल जैसी सुविधाएं तक नहीं मिल रही। ओपीडी समय में भी यहां मरीजों की लाइन लगी रहती है, लेकिन सुविधाएं शून्य नजर आती है। चिकित्सकों के कक्ष भी अक्सर खाली दिखते हैं।
एक को उतार कर अन्यों को वार्ड तक पहुंचाया
जिला अस्पताल में सोमवार को ऑपरेशन थियेटर के बाहर तीन मरीज लेटे नजर आए। इनके ऑपरेशन किया गया था, लेकिन वार्ड में शिफ्ट करने वाला कोई नहीं दिखा। परिजन स्ट्रेचर ढूंढने गए पर नहीं मिला। करीब घंटेभर तक न तो स्ट्रेचर मिला और न कार्मिक नजर आया।
इस दौरान एक जने को एक्स-रे रूम के बाहर ट्रोमा सेंटर से आया एक मरीज मिला। उसका परिजन उसे स्ट्रेचर पर लेकर आया था। बड़ी मन्नत कर थोड़ी देर के लिए यह स्ट्रेचर लिया गया। इन परिजनों ने एक-एक कर अपने मरीजों को वार्ड तक पहुंचाया। इसके बाद स्ट्रेचर वापस एक्स-रे रूम के बाहर खड़े मरीज के सुपुर्द किया।