कुत्ता फजीती: पीएमओ लिख चुके परिषद को तीन पत्र, कार्रवाई तो की नहीं पत्र सामने आने पर खिसियाए आयुक्त ने गमले उठवाए

पीएमओ लिख चुके परिषद को तीन पत्र, कार्रवाई तो की नहीं पत्र सामने आने पर खिसियाए आयुक्त ने गमले उठवाए
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निशाने पर अस्पताल के पीएमओ लिए जा रहे हैं, जबकि वे सिलसिलेवार नगर परिषद को ऐसे हादसों की आशंका के लिए अनुरोध करते रहे हैं। पीएमओ ने जैसे ही ये पत्र सार्वजनिक किए, परिषद के आयुक्त खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली स्टाइल में आ गए। उन्होंने पीएमओ कार्यालय के बाहर से दस गमले उठवा लिए हैं।

जब एक मासूम को श्वानों ने मार दिया तो नगर परिषद ने जवाबी हमला शहर भर के कुत्तों पर किया। वीडियो फुटेज में साफ है कि मानवीयता की हदें पार करते हुए कुत्ते पकड़े। कई कुत्ते तो मर गए, घायल हो गए। परन्तु नगर परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की अवहेलना करते हुए श्वानों को पकड़ा। न्यायालय के आदेश है कि ऐसे श्वानों को शैल्टर होम में रखा जाए। 

सिरोही | एक श्वान द्वारा मासूम बच्चे को सरकारी अस्पताल से उठाकर मारने का मामला सुर्खियों में है। सरकार भी किसी न किसी के माथे कार्यवाही धरकर अपना पिण्ड छुड़ाना चाहती है। निशाने पर अस्पताल के पीएमओ लिए जा रहे हैं, जबकि वे सिलसिलेवार नगर परिषद को ऐसे हादसों की आशंका के लिए अनुरोध करते रहे हैं।

पीएमओ ने जैसे ही ये पत्र सार्वजनिक किए, परिषद के आयुक्त खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली स्टाइल में आ गए। उन्होंने पीएमओ कार्यालय के बाहर से दस गमले उठवा लिए हैं।

इस पूरे मामले में प्रशासन को अब तक यह समझ नहीं आ रहा कि कार्रवाई क्या करनी है? इन हरकतों से क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा? शहर में लावारिस जानवर पकड़ने के लिए जिम्मेदार आयुक्त पर कार्रवाई इसलिए नहीं हो रही है क्योंकि वह स्थानीय नेताओं का चहेता है। वहां से सरकारी धन का वितरण प्रबंधन प्रभावी होता है।

पीएमओ अस्पताल का मुखिया होता है। उसके जिम्मे मरीजों का प्रभावी इलाज—उपचार का प्रबंधन करना है। वहां से नेताओं में धन वितरण का प्रबंधन किंचित प्रभावी नहीं होता। ऐसे में अंत में गाज उन पर गिराई जा सकती है। ऐसे में सारे लोग अपनी जवाबदारी उस पर उड़ेलना चाहते हैं।

सुरक्षा और कानून व्यवस्था पुलिस का जिम्मा है। वहीं लावारिस पशुओं को पकड़ने के लिए लिखे गए तीन पत्रों ने आयुक्त और उनकी टीम की पोल खोली है। इन पत्रों के सामने आने के बाद आयुक्त ने पीएमओ कार्यालय के बाहर रखवाए दस गमले जप्त करके नगर परिषद में रखवा लिए। क्या मासूम विकास के परिजनों को इससे न्याय मिल जाएगा।

यह लिखे तीन पत्र
जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में घूमते कुत्तों की समस्या बरसों से है। पीएमओ डॉ. अश्विनी कुमार मौर्य दो साल से नगर परिषद आयुक्त को पत्र लिखकर यह समस्या बता चुके थे। पीएमओ ने 24 अक्टूबर 2021 को लिखे पत्र में कहा था अस्पताल परिसर में कुत्तों की संख्या बढ़ गई है, जिससे मरीजों के तीमारदारों को खतरा है। इसके बाद भी नगर परिषद ने कार्रवाई नहीं की।

दूसरा पत्र 21 सितंबर 2022 को लिखा और तीसरा पत्र 7 अक्टूबर 2022 को पीएमओ डॉ. अश्विनी मौर्य के हस्ताक्षर से नगर परिषद को भेजा गया। नगर परिषद को बराबर समय-समय पर अवगत कराया गया। इसके अलावा उन्होंने फोन पर भी कई बार कहा, लेकिन उनकी बातों को और पत्रों को नजरअंदाज कर दिया गया।

जयपुर में जताया विरोध
जब एक मासूम को श्वानों ने मार दिया तो नगर परिषद ने जवाबी हमला शहर भर के कुत्तों पर किया। वीडियो फुटेज में साफ है कि मानवीयता की हदें पार करते हुए कुत्ते पकड़े। कई कुत्ते तो मर गए, घायल हो गए। परन्तु नगर परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशो की अवहेलना करते हुए श्वानों को पकड़ा। न्यायालय के आदेश है कि ऐसे श्वानों को शैल्टर होम में रखा जाए। उनकी नसबंदी की जाए, उन्हें मारा नहीं जाए। आबूरोड निवासी ज्योति खंडेलवाल ने जयपुर पहुंचकर डीजीपी को इसकी शिकायत की है। यही नहीं उन्होंने विधानसभा के बाहर मीडिया से बात करते हुए भी अपना विरोध जताया है।

इस मामले में ड्यूटी डॉक्टर रतन चौधरी की जवाबदारी भी बनती है। परन्तु अंदर की खबर है कि सिरोही के प्रभारी महेन्द्र चौधरी से लॉबिंग की कोशिश करते हुए मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर अश्विनी कुमार मौर्य पर ही गाज गिराने की तैयारी चल रही है।

आयुक्त और ड्यूटी डॉक्टर को चार्जशीट

इस मामले को लेकर सिरोही जिला परिषद के सीईओ शुभ मंगला 28 फरवरी को हॉस्पिटल पहुंची थीं। मामले की जांच की थी। 28 फरवरी को ही सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने विधानसभा में मुद्दा उठाया था। इसके बाद चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा को तथ्यात्मक रिपोर्ट बुधवार को भेजी गई।

अब तो रस्म अदायगी हो रही है
एक माह की गोद से उसके कलेजे के टुकड़े को कुत्ते झपट ले गए। एक माह के बच्चे को कुत्ते खा गए। इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद किसी भी जिम्मेदार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। रस्म अदायगी की जा रही है। इस जांच रिपोर्ट में नर्सिंग ऑफिसर, वार्ड बॉय, गार्ड के साथ ड्यूटी डॉक्टर को भी जिम्मेदार माना गया है। कुत्ते पकड़ने में विफल नगर परिषद आयुक्त को भी जिम्मेदार माना गया है।

 आयुक्त व ड्यूटी डॉक्टर के खिलाफ 17 सीसीए के तहत चार्जशीट और अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही व बिना अनुमति लीव के लिए पीएमओ के खिलाफ 16 सीसीए कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से इस पद से हटाने की अनुशंसा की गई है। जिला परिषद सीईओ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है, जो हर सप्ताह अस्पताल का निरीक्षण कर सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।

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