सिरोही: गोसेवा के नाम पर क्या नंदगांव में सब—कुछ ठीक है, मामला थाने तक पहुंचा है

गोसेवा के नाम पर क्या नंदगांव में सब—कुछ ठीक है, मामला थाने तक पहुंचा है
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सुमन सुलभ ब्रह्मचारी शिष्य दत्तात्रेय महाराज ने प्रकरण दर्ज करवाया है 

अब पथमेड़ा के ट्रस्टी समेत कई पदाधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद मामले में कई सवाल खड़े हुए हैं।

सिरोही जिले की प्रसिद्ध नंदगांव गोशाला का मामला न्यायालय के माध्यम से पुलिस थाने तक पहुंच गया है। अब पथमेड़ा के ट्रस्टी समेत कई पदाधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद मामले में कई सवाल खड़े हुए हैं।

नंदगांव में तीन दशक से रहने वाले सुमन सुलभ ब्रह्मचारी जो कि दत्तात्रेय महाराज के शिष्य हैं। वे निवासी हैं मनोरमा गोलोक तीर्थ नन्दगाव तहसील रेवदर जिला सिरोही के, उन्होंने न्यायालय के माध्यम से यह प्रकरण दर्ज करवाया है।

रिपोर्ट में मेड़ा जागीर सांचौर निवासी हेमराज प्रजापत जो कि गोविंद वल्लभदास महाराज नाम से पहचाने जाते हैं। पिण्डवाड़ा निवासी ब्रह्मदत्त पुरोहित व विठ्ठलकृष्ण गोधाम पथमेड़ा दिलीप रामजीराम विठ्ठला बिच्छावाडी सांचौर, जिला जालोर समेत करीब तीन दर्जन लोगों पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज हुआ है।

रिपोर्ट में सुमन सुलभ ने बताया कि वर्ष 1996 में उनकी आयु 18 वर्ष की थी तब घर बार छोड़ कर दत्तात्रेय महाराज की सेवा में गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा में आ गया था। वहां पर मैंने सद्गुरू भगवान के आशीर्वाद से वर्ष 2003-04 तक सेवाएं दी थी। उसके बाद मुझे गोमाता की अच्छी सेवा देखकर वर्ष 2003-04 में नन्दगांव तहसील रेवदर जिला सिरोही भेज दिया। तब से वह नन्दगांव में ही सेवाएं दे रहा हैं।

उन्होंने बताया कि मनोरमा गोलोक तीर्थ नन्दगांव की स्थापना श्रीगोधाम पथमेड़ा संस्थान के सहयोग से उन्होंने ही की है और अध्यक्ष, संचालक व कोषाध्यक्ष के पद पर रहकर सेवाएं दी है। आज उस गोलोक तीर्थ नन्दगांव में दस हजार के लगभग गाये हैं।

तीन हजार बीघा से अधिक भूमि है जो सदगुरू भगवान के आशीर्वाद में मेरे द्वारा खरीद की हुई है। इसके अलावा आश्रम में बच्चे भी पढ़ते हैं। मैं पिछले 27 वर्षों से गोधाम पथमेड़ा व मनोरमा गोलोक तीर्थ, नन्दगांव में सेवाएं दे रहा हैं।

उन्होंने कहा कि संस्थान के पूर्व सेवारत गोविन्दवल्लभ दास, श्रीपतिधाम नन्दनवन राजपुरा सिरोही, उर्फ हेमराज प्रजापत मेड़ा जागीर सांचौर, विठ्ठलकृष्ण गोधाम पथमेड़ा उर्फ दिलीप रामजीराम विठ्ठला बिच्छावाडी सांचौर, ये दोनों संस्था के बड़े शक्तिशाली व्यक्ति के निजी मेवादार है इसलिए बहुत प्रभावशाली है।

ये लोग मुझे हटाने के लिए मेरे विरुद्ध काफी दिनों से पडयंत्र रच रहे थे तथा संस्था के ट्रस्टियों को उनकी झूठी शिकायत कर बिना सूचना के उन्हें गोलोकतीर्थ धाम नन्दगांव के संचालक व कोषाध्यक्ष के पद से हटा दिया। उन्होंने कहा कि जून माह में जयपुर में उनके साथ रघुनाथसिंह व महंत दिनेशगिरी ने बैठक की।

इस दौरान उनके मोबाइल बंद करवाए गए और मुझे नंदगांव छोड़ने की बात कही। तब मैंने कहा कि मैंने घर बार आज से 27 वर्ष पहले छोड़ दिया है मैने मेरा जीवन गोसेवा के लिए समर्पित कर दिया है। मेरे इसके अलावा रहने का कोई ठिकाना भी नहीं है।

इस पर उन्हें संस्था और संस्थापक महाराज की इच्छा का हवाला देते हुए मना किया गया और पीछे से उनके निवास वाले कमरों का ताला तोड़कर सामान चोरी कर ली। साथ ही वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी बेदखल कर दिया। गोलोक तीर्थ में काम करने वाले लोग जो परिवार सहित रहते थे। जिसमे पांचा भाई देवासी, गणेश देवासी, दर्जाराम, मोटाराम देवासी व रामचन्द्र चौधरी को निकाल दिया गया।

गोविन्दवल्लम दास व ब्रह्मदत पुरोहित नानरवाडा सिरोही व इनके साथ आये प्रभावशाली लोगों से मिलकर षड्यंत्र रच कर गोलोक तीर्थ नंदगांव पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद मोबाइल मैसेज के माध्यम से गोभक्तों को सम्बोधित करते हुए अनर्गल आरोप लगाते हुए मेरा प्रवेश नन्दगांव परिसर में निषेध करने की सूचना दी गई और वहां पुलिस तैनात कर दी। इस मामले में इन्होंने पुलिस को भी शिकायत की, लेकिन प्रकरण दर्ज नहीं हुआ। इस पर जरिए इस्तगासा प्रकरण दर्ज करवाया गया है।

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