Highlights
- वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने पति के साथ "गलत और अन्यायपूर्ण बर्ताव" का आरोप लगाया।
- वांगचुक ने एडवाइजरी बोर्ड के सामने अपने पक्ष में कई महत्वपूर्ण बिंदु रखे।
- उन्होंने कहा कि उनके वीडियो और बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
- वांगचुक ने न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा जताया और सत्य की जीत का विश्वास व्यक्त किया।
जोधपुर: जोधपुर सेंट्रल जेल (Jodhpur Central Jail) में सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) पर NSA सुनवाई के बाद पत्नी गीतांजलि अंगमो (Gitanjali Angmo) ने 'गलत बर्ताव' का आरोप लगाया, पर न्याय पर विश्वास जताया।
गीतांजलि अंगमो का 'गलत बर्ताव' का आरोप
जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत हुई एडवाइजरी बोर्ड की सुनवाई के बाद उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने एक्स पर एक पोस्ट साझा किया है।
गीतांजलि ने अपनी पोस्ट में कहा कि उनके पति के साथ "गलत और अन्यायपूर्ण बर्ताव" हुआ है, फिर भी उनका विश्वास न्याय और सत्य पर कायम है।
उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम को "संविधान और मानवता की परीक्षा" बताया है।
देशभर से सोनम वांगचुक को मिल रहे समर्थन के लिए गीतांजलि ने सभी का धन्यवाद किया।
उन्होंने कहा कि जो लोग सत्य, न्याय और अहिंसा के मूल्यों के साथ खड़े हैं, वही इस लोकतंत्र की असली ताकत हैं।
वांगचुक का बोर्ड के समक्ष पक्ष
गीतांजलि ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा कि सोनम वांगचुक ने एडवाइजरी बोर्ड के समक्ष अपने पक्ष में कई महत्वपूर्ण बिंदु रखे।
वांगचुक ने स्पष्ट किया कि उन्हें गलत तरीके से और बिना किसी ठोस वजह के नजरबंद किया गया है।
उन्होंने कहा कि उनके वीडियो और बयानों को "तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया गया" ताकि ऐसा लगे जैसे उन्होंने कानून-व्यवस्था भड़काने की कोशिश की हो।
वांगचुक का वास्तविक उद्देश्य केवल पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों को लेकर शांतिपूर्ण जागरूकता फैलाना था।
उन्होंने बोर्ड के सामने सधी हुई भाषा में कहा कि "यह एक न्यायिक त्रासदी है और भारतीय लोकतंत्र का मजाक बनाने जैसा है।"
इसके बावजूद उन्होंने संयम नहीं खोया और पूरी बैठक के दौरान शांत बने रहे।
वांगचुक ने आत्मविश्वास से कहा कि "इंसाफ के घर देर है, पर अंधेर नहीं, सत्य की जीत निश्चित है।"
गीतांजलि ने बताया कि वांगचुक का रुख स्पष्ट और दृढ़ था कि उन्हें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस उत्पीड़न के बावजूद उनके पति आशावादी हैं कि सच्चाई सामने आएगी।
गीतांजलि ने अपनी पोस्ट के अंत में लिखा कि "वांगचुक अडिग हैं, उनका विश्वास अटल है कि 'सत्यमेव जयते' — सत्य की ही जीत होगी।"
एडवाइजरी बोर्ड की सुनवाई
यह पोस्ट तब आई है जब जोधपुर सेंट्रल जेल में तीन सदस्यीय एडवाइजरी बोर्ड ने वांगचुक की हिरासत की समीक्षा बैठक में उनसे तीन घंटे तक चर्चा की।
एडवाइजरी बोर्ड के तीन सदस्य शुक्रवार सुबह जोधपुर सेंट्रल जेल पहुंचे थे।
बोर्ड ने सोनम वांगचुक पर एनएसए लगाए जाने को लेकर उनका पक्ष जाना।
इस दौरान सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो भी मौजूद रहीं।
जोधपुर सर्किट हाउस से एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व न्यायाधीश एमके हुजूरा, सलाहकार मंडल अध्यक्ष जिला जज मनोज परिहार और सामाजिक कार्यकर्ता स्पल जयेश अंगमो सुबह 10:30 बजे जोधपुर सेंट्रल जेल पहुंचे थे।
सोनम वांगचुक को एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था, जिसका देशभर में विरोध हो रहा है और कानूनी चुनौती दी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले की सुनवाई कर रहा है, जबकि वांगचुक की पत्नी इस कानूनी लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं।
गीतांजलि अंगमो ने पहले बताया था कि न केवल हिरासत के आधारों को चुनौती दी गई है, बल्कि सरकार की ओर से तय प्रक्रिया में हुई खामियों को भी निराधार बताया गया है।
उन्होंने वांगचुक के बयानों और वीडियो के संदर्भ से बाहर तोड़-मरोड़कर पेश किए गए तथ्यों को भी गलत ठहराया था।
एडवाइजरी बोर्ड अब इस मामले की समीक्षा करेगा और यह तय करेगा कि वांगचुक की हिरासत जारी रखने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं।
क्या है एडवाइजरी बोर्ड और इसकी भूमिका?
एडवाइजरी बोर्ड (सलाहकार बोर्ड) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980 के तहत गठित एक विशेष संवैधानिक निकाय है।
यह निरोधात्मक हिरासत (प्रिवेंटिव डिटेंशन) के मामलों की समीक्षा करता है।
हिरासत के आदेश का औचित्य इसी बोर्ड के समक्ष परखा जाता है।
जरूरी होने पर व्यक्ति के पक्ष में राहत दी जा सकती है।
बोर्ड की संरचना
यह बोर्ड तीन सदस्यों से मिलकर बनता है, जो हाईकोर्ट के पूर्व या मौजूदा न्यायाधीश होते हैं।
इन सदस्यों की नियुक्ति संबंधित राज्य के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ओर से की जाती है।
यह बोर्ड की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
बोर्ड का कार्य
जब किसी व्यक्ति को एनएसए के तहत हिरासत में लिया जाता है तो सरकार को हिरासत के तीन सप्ताह के भीतर एडवाइजरी बोर्ड के सामने दस्तावेज पेश करने होते हैं।
इन दस्तावेजों में हिरासत आदेश के आधार, हिरासत में लिए गए व्यक्ति की ओर से दिया गया प्रतिनिधित्व और जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट शामिल होती है।
बोर्ड को हिरासत की तारीख से सात सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होती है।
बोर्ड की शक्तियां और प्रक्रिया
बोर्ड सरकार या किसी भी व्यक्ति से अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है।
हिरासत में लिए गए व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर देना होता है।
बोर्ड की कार्रवाई गोपनीय होती है और वकील इसमें भाग नहीं ले सकते।
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